जालंधर में एक और भाजपा नेता को पाकिस्तान से धमकी, पुलिस की चुप्पी पर सवाल!

Kisan Andolan

चंडीगढ़, 17 अप्रैल: पंजाब के जालंधर शहर में राजनीतिक और सुरक्षा हालात लगातार चिंताजनक होते जा रहे हैं। बीते दिनों भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया के घर हुए ग्रेनेड हमले से अभी लोग उबर भी नहीं पाए थे कि अब एक और भाजपा नेता को पाकिस्तान से धमकी मिलने की खबर सामने आई है। इस मामले ने पूरे शहर में हड़कंप मचा दिया है और प्रशासन की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, संबंधित भाजपा नेता को यह धमकी एक पाकिस्तानी नंबर से दी गई। उन्होंने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत पंजाब पुलिस के महानिदेशक (DGP) गौरव यादव को इसकी शिकायत दी। हालांकि, शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने केवल औपचारिक कार्रवाई करते हुए डेली डायरी रिपोर्ट (DDR) दर्ज की है। अब तक इस मामले में किसी तरह की ठोस जांच या कार्रवाई की खबर नहीं है।

धमकियों पर कार्रवाई में सुस्ती, पुलिस के रवैये पर उठे सवाल

चौंकाने वाली बात यह है कि इस धमकी की शिकायत के बावजूद, संबंधित भाजपा नेता ने मीडिया से इस विषय पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेता किसी अनचाही सार्वजनिक हलचल से बचने के लिए फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं।

यह मामला तब और भी गंभीर हो जाता है जब देखा जाए कि इसी प्रकार की धमकी एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र से जुड़े पत्रकार को भी कुछ दिन पहले मिली थी। उन्हें भी एक पाकिस्तानी नंबर से फोन कर डराया गया था। इस घटना की शिकायत भी डीजीपी गौरव यादव और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी गई थी, लेकिन पुलिस ने अब तक इस पर भी कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया है।

पुलिस का कहना है कि वे अभी “इनपुट” का इंतजार कर रहे हैं। मगर यह बयान सिर्फ एक औपचारिकता जैसी लगती है, क्योंकि पंजाब में बीते समय में करीब 16 बम धमाके हो चुके हैं और उन में से किसी एक में भी पुलिस के पास कोई पूर्व जानकारी नहीं थी।

खुफिया तंत्र की विफलता या लापरवाही?

इन घटनाओं से एक बड़ा सवाल उठता है – क्या पंजाब की खुफिया एजेंसियां पूरी तरह निष्क्रिय हो चुकी हैं? अगर इतने गंभीर मामलों में भी पुलिस और खुफिया विभाग के पास कोई ठोस जानकारी या पूर्व चेतावनी नहीं है, तो यह निश्चित ही प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न है।

पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया के घर पर हुए हमले के बाद पुलिस ने जिस तेजी से उस इलाके को घेरा, गार्ड तैनात की और सुरक्षा बढ़ाई, वह सतर्कता सराहनीय जरूर थी। लेकिन सवाल यह है कि क्या हर बार कोई घटना होने के बाद ही पुलिस जागेगी?

एन.आई.ए. की जांच की संभावना, लेकिन आम नागरिकों की सुरक्षा पर प्रश्न

सूत्रों की मानें तो कालिया के घर पर हुए हमले के बाद इस मामले की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपी जा सकती है। यह जरूर एक सकारात्मक पहल हो सकती है, लेकिन जब तक स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियां सक्रिय नहीं होंगी, तब तक जमीनी स्तर पर खतरे को रोक पाना असंभव है।

चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि हाल ही में नगर निगम चुनाव के दौरान आप (आम आदमी पार्टी) में शामिल हुए कई ऐसे लोगों को गनमैन मुहैया करवा दिए गए हैं, जिन्हें इसकी आवश्यकता नहीं थी। इसके विपरीत जिन नेताओं और पत्रकारों को सीधे-सीधे धमकियाँ मिल रही हैं, उन्हें पर्याप्त सुरक्षा देने में प्रशासन नाकाम नजर आ रहा है।

यह घटना और उससे जुड़ी लापरवाही यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या पंजाब में सुरक्षा भी अब राजनैतिक समीकरणों पर आधारित होती जा रही है? जिन लोगों को असली खतरा है, उन्हें सुरक्षा से वंचित रखना और जिन पर कोई खतरा नहीं, उन्हें सरकारी गनमैन देना — यह नीति न केवल असंवेदनशील है, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी तोड़ने वाली है।

सरकार और प्रशासन को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि राजनीतिक मतभेदों और पार्टियों से ऊपर उठकर आम नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। क्योंकि अगर समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।