चंडीगढ़, 25 अप्रैल: झारखंड सरकार के उच्च शिक्षा, पर्यटन और कला-संस्कृति मंत्री सुदिव्य सोनू एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह कुछ अलग है। सोशल मीडिया पर उनका एक बयान वायरल हो गया है, जिसमें वे जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए सीधे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस्तीफा मांगते नजर आ रहे हैं।
इस वीडियो में मंत्री सुदिव्य सोनू पूरे आत्मविश्वास और गंभीरता के साथ कहते हैं कि “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पहलगाम में ऐसी घटना हुई और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री इसमें अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं। उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।”
बयान सुनने वालों की पहली प्रतिक्रिया यही थी—“क्या उन्होंने सच में ये कहा?” और जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर फैला, लोगों ने प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया। व्यंग्य, कटाक्ष और मीम्स की बाढ़ सी आ गई।
असल में गड़बड़ी क्या थी?
जिस पहलगाम का जिक्र सुदिव्य सोनू कर रहे थे, वह हिमाचल प्रदेश में नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर में है। यानी जिस हमले की बात उन्होंने की, उसका उस राज्य से कोई लेना-देना नहीं था, जिसके मुख्यमंत्री से वे इस्तीफा मांग रहे थे।
अब सवाल उठ रहे हैं—क्या मंत्री को भारत के राज्यों की बुनियादी भौगोलिक जानकारी नहीं है? या फिर यह एक सादा ‘जुबान फिसलना’ था, जो राजनीतिक रूप से एक भारी चूक में तब्दील हो गया?
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, नेटिज़न्स ने तुरंत प्रतिक्रिया देना शुरू कर दी।
कई यूज़र्स ने तंज कसते हुए लिखा:
“अगर उच्च शिक्षा मंत्री को ही देश के नक्शे की जानकारी नहीं है, तो फिर छात्रों की शिक्षा का क्या हाल होगा?”
कुछ ने व्यंग्य में हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के नक्शे साझा कर डाले, तो कई लोगों ने इसे गंभीर मुद्दा मानते हुए सुदिव्य सोनू की योग्यता पर सवाल उठा दिए।
राजनीतिक हलकों में भी हलचल
मामला अब सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहा। विपक्षी दलों ने इस बयान को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जवाब तलब किया है।
उनका कहना है कि जब उच्च शिक्षा जैसे जिम्मेदार विभाग की बागडोर ऐसे हाथों में है, तो राज्य के शैक्षणिक ढांचे को लेकर चिंता स्वाभाविक है।
अब तक क्या सफाई आई है?
अब तक मंत्री सुदिव्य सोनू की तरफ से कोई आधिकारिक सफाई सामने नहीं आई है। इससे कन्फ्यूजन और गहरा गया है। क्या यह बस एक बोलचूक थी, या फिर उनके ज्ञान में ही चूक थी—इस पर अब सबकी निगाहें टिकी हैं।
बोलना राजनीति का हिस्सा है, लेकिन बोलने से पहले सोचना ज़िम्मेदारी का हिस्सा होता है।
एक वरिष्ठ मंत्री से अपेक्षा की जाती है कि वह संवेदनशील मुद्दों पर न सिर्फ सोच-समझकर प्रतिक्रिया दे, बल्कि जनता और राज्य का प्रतिनिधित्व भी संजीदगी से करे।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयानबाज़ी पर मंत्री सुदिव्य सोनू कोई सफाई देते हैं या नहीं, और क्या झारखंड सरकार इस पूरे विवाद पर कोई कार्रवाई करती है।