मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने नवाचार को बताया भारत की भविष्य दिशा का मूल मंत्र, हर जिले में बनेंगे इनोवेशन हब!

चंडीगढ़, 25 अप्रैल – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने नवाचार को आज की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने का मूल मंत्र बताते हुए कहा कि देश की प्रगति और युवाओं के सुनहरे भविष्य के लिए नए विचारों और तकनीकी समाधानों की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। उन्होंने इस दिशा में हरियाणा सरकार की ओर से उठाए गए ठोस कदमों का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे प्रदेश को नवाचार, शिक्षा, कौशल विकास और तकनीकी प्रगति का केंद्र बनाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री नई दिल्ली के पूसा भवन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन “विजन 2047 – समृद्ध और महान भारत” के दूसरे दिन बोल रहे थे। यह सम्मेलन भारत के भविष्य की दिशा तय करने, साझा राष्ट्रीय लक्ष्यों को पहचानने और उन्हें साकार करने के लिए देश-विदेश के शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को एक मंच पर लाने का प्रयास है।

मुख्यमंत्री सैनी ने बताया कि हरियाणा सरकार ने इनोवेशन की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राज्य के विश्वविद्यालयों में इनक्यूबेशन सेंटर और स्कूलों में टिंकरिंग लैब स्थापित की हैं। ये प्रयोगशालाएं बच्चों और युवाओं में अनुसंधान, खोज और वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई हैं। इसके अलावा, हर जिले में इनोवेशन हब विकसित किए जा रहे हैं, जहां छात्र, युवा और स्टार्टअप्स अपने विचारों को व्यवहारिक रूप दे सकें।

गुरुग्राम और पंचकूला में बनेंगे ए.आई. हब, 50 हजार से अधिक युवाओं को मिलेगा प्रशिक्षण

मुख्यमंत्री ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, रोबोटिक्स, बायोटेक्नोलॉजी और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्र नए भारत के भविष्य के स्तंभ हैं। इन क्षेत्रों में दक्षता के लिए हरियाणा सरकार ने ए.आई. मिशन की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत गुरुग्राम और पंचकूला में अत्याधुनिक ए.आई. हब स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों में 50 हजार से अधिक युवाओं और पेशेवरों को उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण देकर उन्हें नई नौकरियों और स्टार्टअप अवसरों के लिए तैयार किया जाएगा।

शिक्षा और कौशल विकास को बनाया भविष्य निर्माण का आधार

श्री सैनी ने कहा कि शिक्षा वह नींव है, जिस पर एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र की इमारत खड़ी होती है। हरियाणा सरकार ने शिक्षा को रोजगार से जोड़ने के लिए कई नवाचार किए हैं। ड्यूल एजुकेशन मॉडल के अंतर्गत छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ काम करने का अनुभव भी मिल रहा है। स्कूल स्तर पर कोडिंग, डिजिटल साक्षरता और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

इसके साथ ही कौशल विकास को शिक्षा के साथ जोड़ते हुए स्कूलों में एनएसक्यूएफ (नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क) और कॉलेजों में ‘पहल योजना’ की शुरुआत की गई है। इसका मकसद युवाओं को शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक दक्षता से लैस करना है, ताकि वे न केवल नौकरी पाने वाले, बल्कि नौकरी देने वाले भी बनें।

खेती में नवाचार, फॉर्म टूरिज्म को बढ़ावा और पर्यावरण पर विशेष जोर

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि हरियाणा की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि है। इसलिए पारंपरिक खेती के साथ-साथ वर्टिकल फार्मिंग और कृषि पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे न केवल खेती को लाभकारी बनाया जा सकेगा, बल्कि ग्रामीण युवाओं को गांव में ही रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। पर्यावरण के क्षेत्र में ‘3R नीति’ – रिसायकल, रियूज़ और रिड्यूस को लागू कर हरियाली अभियान चलाए जा रहे हैं, जिनमें ‘एक पेड़ मां के नाम’, ‘हर गांव पेड़ों की छांव’ और ‘हर घर हरियाली’ जैसी योजनाएं शामिल हैं।

‘विजन 2047’ – भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में हरियाणा की अहम भागीदारी

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2047, जब भारत आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, वह केवल जश्न का समय नहीं होगा, बल्कि आत्ममूल्यांकन का अवसर भी होगा कि हमने इन सौ वर्षों में देश को किस दिशा में आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुसार, भारत को 2047 तक एक विकसित, आत्मनिर्भर, सामाजिक रूप से समावेशी और तकनीकी रूप से अग्रणी राष्ट्र बनाना है। यह सपना तभी साकार होगा, जब हम देश की सबसे बड़ी ताकत – हमारी युवा शक्ति – को शिक्षा, तकनीक और नवाचार से सशक्त बनाएंगे।

उन्होंने जोर देकर कहा कि हरियाणा, भले ही आकार में छोटा हो, लेकिन यह देश की जीडीपी में 3.8 प्रतिशत का योगदान देता है। यहां की प्रति व्यक्ति आय देश के औसत से लगभग दोगुनी है। यह प्रदेश आने वाले वर्षों में भारत के समग्र विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार है।

सम्मेलन में भागीदारी और निष्कर्ष

इस सम्मेलन में देश-विदेश के अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें स्वदेशी शोध संस्थान नई दिल्ली, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार, इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश और यूनिवर्सिटी ऑफ एग्डर, नॉर्वे शामिल थे। सभी प्रतिनिधियों ने विचार-विमर्श के माध्यम से एक समृद्ध और विकसित भारत की दिशा में रोडमैप तैयार करने का प्रयास किया।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि भारत को वर्ष 2047 तक एक महान राष्ट्र बनाने की जो कल्पना इस सम्मेलन में की गई है, वह हरियाणा जैसे प्रगतिशील राज्यों की भागीदारी और नवाचार संस्कृति के बिना अधूरी रह जाएगी। अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर, सोच और संसाधनों को एकजुट कर, देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।