दिग्गज गीतकार और लेखक एचएस वेंकटेशमूर्ति का निधन: साहित्य और सिनेमा को भारी क्षति!

चंडीगढ़, 30 मई: सिनेमा और साहित्य जगत के लिए यह समय पीड़ा से भरा हुआ है। जहां एक ओर लगातार वरिष्ठ कलाकार और रचनाकार इस दुनिया को अलविदा कह रहे हैं, वहीं अब एक और बड़ी क्षति ने हर किसी की आंखें नम कर दी हैं। कन्नड़ भाषा के मशहूर लेखक, कवि, गीतकार और नाटककार एचएस वेंकटेशमूर्ति का शुक्रवार सुबह बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से उम्र से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे।

उनकी निधन की खबर फैलते ही कर्नाटक ही नहीं, बल्कि पूरे देश की साहित्यिक और फिल्मी बिरादरी में शोक की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया से लेकर साहित्यिक मंचों तक, हर स्थान पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है।

एक बहुमुखी प्रतिभा का अंत

एचएस वेंकटेशमूर्ति का नाम कन्नड़ साहित्य और सिनेमा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। वे सिर्फ गीतकार नहीं थे, बल्कि एक ऐसे बहुआयामी कलाकार थे, जिन्होंने नाटक, कविता, संवाद लेखन, आलोचना, अध्यापन और गीतों के माध्यम से कन्नड़ भाषा को एक नई ऊंचाई दी।

उनकी लेखनी में संवेदना, गहराई और सामाजिक चेतना का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता था। उन्होंने 100 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें काव्य-संग्रह, आलोचनात्मक निबंध, नाटक, और आत्मकथाएं शामिल हैं। उनकी प्रसिद्ध रचना ‘हूवी’ को ICSE पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था, जो इस बात का प्रमाण है कि उनकी कृतियों की शैक्षणिक और साहित्यिक गुणवत्ता कितनी ऊंची थी।

सिनेमा से भी था गहरा नाता

एचएस वेंकटेशमूर्ति ने साहित्य से इतर कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री में भी अपना अद्भुत योगदान दिया। वे कई फिल्मों और धारावाहिकों के लिए गीत और संवाद लिख चुके थे।

उनकी प्रतिभा का एक उदाहरण है सुपरहिट फिल्म ‘किरिक पार्टी’, जिसमें उनका लिखा गीत ‘थुगु मंचदल्ली कूथु’ आज भी लोगों की जुबान पर है। उनके गीतों में जहां भावनाओं की सरलता थी, वहीं शब्दों की गहराई भी देखने को मिलती थी।

शिक्षा और अध्यापन में योगदान

एक लेखक होने के साथ-साथ वे एक प्रोफेसर भी थे। उन्होंने कई वर्षों तक छात्रों को साहित्य की गहराइयों से अवगत कराया। उनके पढ़ाने का तरीका, उनकी भाषण शैली, और उनके विचारों की स्पष्टता आज भी उनके शिष्यों के हृदय में अमिट हैं।

साहित्य जगत में शोक

कई नामी साहित्यकारों और कलाकारों ने वेंकटेशमूर्ति के निधन पर शोक व्यक्त किया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री, साहित्य परिषदों और फिल्म संगठनों ने भी उनके योगदान को अविस्मरणीय बताया है। सोशल मीडिया पर साहित्यप्रेमियों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा,
“कन्नड़ भाषा ने आज अपना सच्चा सेवक खो दिया।”