भारत से जुड़ाव, ज्ञान और गीता की सौगात – हरियाणा में 13 देशों के प्रतिनिधियों की खास मुलाकात!

चंडीगढ़, 17 अप्रैल: हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में आज एक बेहद खास और अंतरराष्ट्रीय स्तर की मुलाकात देखने को मिली। भारत के विधायी प्रारूपण (लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग) से जुड़े 36वें अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 13 विभिन्न देशों से आए 28 प्रतिनिधियों ने हरियाणा के मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी से भेंट की। यह मुलाकात न केवल ज्ञान और विधायी अनुभव के आदान-प्रदान का जरिया बनी, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत और मेहमाननवाज़ी का परिचय भी इन विदेशी प्रतिनिधियों को मिला।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्य कोटे डी आइवर, इक्वाडोर, होंडुरास, ग्वाटेमाला, श्रीलंका, मंगोलिया, म्यांमार, नाइजर, नाइजीरिया, मालदीव, तंजानिया, जाम्बिया और जिम्बाब्वे जैसे देशों से थे। ये सभी प्रतिभागी लोकसभा सचिवालय के संसदीय लोकतंत्र अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (PRIDE) द्वारा आयोजित पांच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा हैं, जो 16 से 21 अप्रैल 2025 तक चल रहा है।

मुख्य सचिव का प्रेरणादायक संबोधन

मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी ने प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए विधायी प्रक्रिया की बारीकियों को साझा किया। उन्होंने कहा कि किसी भी कानून की मजबूती और प्रासंगिकता तभी सुनिश्चित हो सकती है जब उसमें समाज के सभी वर्गों की आकांक्षाएं, भावनाएं और ज़रूरतें समाहित हों। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि एक समावेशी और पारदर्शी विधायी प्रक्रिया किसी भी लोकतंत्र की रीढ़ होती है।

उन्होंने भारत के संविधान को “एक मार्गदर्शक प्रकाश स्तंभ” की संज्ञा देते हुए कहा कि यह दस्तावेज सिर्फ कानून की किताब नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और मूल्यों की अभिव्यक्ति है। रस्तोगी ने हरियाणा की आर्थिक स्थिति की ओर भी इशारा किया और बताया कि कैसे यह राज्य उच्चतम प्रति व्यक्ति आय और कर संग्रह के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में गिना जाता है।

भगवद्गीता की सौगात और भारतीय मूल्यों की झलक

इस मुलाकात को और भी खास बनाते हुए श्री रस्तोगी ने सभी विदेशी मेहमानों को श्रीमद्भगवद्गीता की प्रति भेंट की। उन्होंने कहा कि महाभारत केवल एक पौराणिक कथा नहीं, बल्कि जीवन की गहराइयों को समझाने वाला ग्रंथ है। उन्होंने गीता के कर्म-सिद्धांत को जीवन के हर मोड़ पर सहारा देने वाला बताया और कहा कि यह ग्रंथ कठिन समय में मानसिक बल देने वाला स्रोत बन सकता है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि जब ये प्रतिनिधि अपने-अपने देशों को लौटेंगे, तो वे भारत से सिर्फ पेशेवर अनुभव ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की गर्मजोशी, सहयोग की भावना और मानवीय मूल्यों की गहराई भी अपने साथ लेकर जाएंगे।

प्रशिक्षण कार्यक्रम की व्यापकता

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल एक पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय संवाद का माध्यम है। इसमें विधायी मसौदे की उन्नत तकनीकें, विभिन्न देशों की कानूनी प्रणालियों की तुलना, और प्रौद्योगिकी का विधायी प्रक्रियाओं में समावेश जैसे विषयों पर गहन सत्र आयोजित किए जा रहे हैं।

केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग के पूर्व सचिव एवं कोर्स डायरेक्टर डॉ. के.एन. चतुर्वेदी ने इस मौके पर प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्य और उसकी रूपरेखा की जानकारी दी।

विदेशी मेहमानों की प्रतिक्रिया: भारत से मिली सीख और स्नेह

इक्वाडोर से आए श्री एलेजांद्रो निकोलस वीसन नेमलसेफ, जो कि अपने देश के वित्तीय नीति और विनियमन निकाय के निदेशक हैं, ने भारत की मेहमाननवाज़ी और कार्यक्रम की गुणवत्ता की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण ने उन्हें केवल एक बेहतर पेशेवर ही नहीं, बल्कि एक बेहतर इंसान भी बनाया है। उन्होंने भारत के लोगों की आत्मीयता और सांस्कृतिक विविधता को यादगार बताया।

अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी रहे मौजूद

इस अवसर पर हरियाणा सरकार के अन्य कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे, जिनमें उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रधान सचिव श्री डी. सुरेश, कार्मिक, प्रशिक्षण एवं संसदीय कार्य विभाग के विशेष सचिव श्री आदित्य दहिया, और अन्य विभागों के अधिकारी शामिल थे। सभी ने प्रतिनिधियों के अनुभव को और समृद्ध बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई