भारत में Human Metapneumovirus मतलब HMPV के मामलों ने स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क कर दिया है। बता दें कि गुजरात, असम और पुडुचेरी से इस वायरस के कुल 17 मामले सामने आए हैं। हाल ही में पुडुचेरी में एक बच्ची को HMPV पॉजिटिव पाया गया, जिसका इलाज जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (JIPMER) में किया जा रहा है।
क्या है मामला? चलिए बताते है :
पुडुचेरी के स्वास्थ्य निदेशक वी. रविचंद्रन ने बताया कि बच्ची को तेज बुखार, खांसी और नाक बहने की शिकायत थी। JIPMER में भर्ती बच्ची की हालत में अब सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा, “सभी एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं, और बच्ची जल्द ठीक हो जाएगी।” गुजरात और असम में भी HMPV के मामले तेजी से सामने आए हैं, जिनमें से पांच गुजरात से हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि इस वायरस को लेकर ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है।
HMPV: क्या है यह वायरस?
HMPV कोई नया वायरस नहीं है। इसे सबसे पहले 2001 में नीदरलैंड में खोजा गया था। यह वायरस मुख्य रूप से 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि COVID-19 और HMPV में कोई समानता नहीं है। HMPV से संक्रमित बच्चों में खांसी, बुखार, और सर्दी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन यह आमतौर पर जानलेवा नहीं होता।
क्या करें, क्या ना करें?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने घबराने की बजाय सतर्कता बरतने की सलाह दी है। जैसे :
1. साफ-सफाई का ध्यान रखें।
2. भीड़भाड़ वाले इलाकों में मास्क पहनें।
3. बच्चों को खांसी या सर्दी होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
4. एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए इस वायरस का पता लगाया जा सकता है। अगर शक है तो डॉक्टर की सलाह से ये टेस्ट जरूर कराएं।
क्या यह गंभीर है?
विशेषज्ञों का कहना है कि HMPV के खिलाफ इंसानी इम्यूनिटी पहले से मौजूद है। COVID-19 जैसी गंभीर स्थिति का कोई संकेत अभी तक नहीं देखा गया है। तो, सतर्क रहें, घबराएं नहीं, और अपने बच्चों की सेहत का खास ख्याल रखें।