Technologist in Bangalore – बेंगलुरू के एक टेक्नोलॉजिस्ट ने भारत की एक बड़ी IT कंपनी में काम करने का अनुभव साझा किया है और इसे “गुलामी” से भी बदतर बताया।
उन्होंने बताया कि 9 साल इस कंपनी में काम करने के बाद उनकी सैलरी सिर्फ ₹35,000 प्रति महीना थी।
चलिए बताते है, क्या रही इसकी वजह ?
बता दें कि टेक्नोलॉजिस्ट ने और भी कई समस्याएं बताईं, जैसे कर्मचारियों से पार्किंग के लिए पैसे लेना, कैंटीन के खाने को सब्सिडी ना देना,
और ऑफिस में मिनिमम काम के घंटे, जिससे कर्मचारियों को वीकेंड्स पर भी ऑफिस आना पड़ता था।
Technologist in Bangalore – “कम वेतन की सच्चाई”
रेडिट पोस्ट में उन्होंने बताया कि 9 साल बाद वह कंपनी छोड़कर अब बेंगलुरू के एक बड़े IT दिग्गज में काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पहले वह समझते थे कि सभी IT कंपनियां ऐसी ही काम करती हैं,
लेकिन जब उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ‘Big 4’ कंपनियों में काम किया,
तो उन्हें समझ में आया कि उनकी पुरानी कंपनी अपने कर्मचारियों का कैसे शोषण कर रही थी।
सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि कंपनी ने अपने कर्मचारियों को कितना कम वेतन दिया था।
उन्होंने बताया कि “जब मैंने 9 साल बाद कंपनी छोड़ी, मेरी सैलरी ₹35,000 थी।
आज, मैं ₹1.7 लाख कमाता हूं – लगभग 400% ज्यादा”।
उन्होंने बताया कि कम वेतन की वजह कंपनी की “प्रोग्रेशन” नीति थी,
जिसमें सैलरी बढ़ोतरी बहुत कम होती थी और कर्मचारियों को सालों तक उसी लेवल पर रखा जाता था।
“मेरी सैलरी ज्यादातर सालाना 4-6% की मामूली बढ़ोतरी पर टिकी थी, और ‘प्रोग्रेशन’ स्टेज में सालों बर्बाद हो गए”।
ID कार्ड स्वाइप से ट्रैक किया जाता
साथ ही हैरानी की बात ये है कि इस कंपनी में सिर्फ कम वेतन नहीं था,
बल्कि कर्मचारियों को मिनिमम काम के घंटे पूरे करने के लिए भी मजबूर किया जाता था।
यह ID कार्ड स्वाइप से ट्रैक किया जाता था।
जिस से अजीब परिस्थितियां बनती थीं, जैसे कि कर्मचारी वीकेंड्स पर भी ऑफिस आते थे, सिर्फ काम के घंटे पूरे करने के लिए।
उन्होंने और भी कई समस्याएं बताईं जैसे कैंटीन में सस्ती खाने की सुविधाओं का ना होना (जैसे एक गिलास जूस ₹40 में बिकता था), ₹3,200 का ट्रांसपोर्टेशन चार्ज और कर्मचारियों से पार्किंग के लिए पैसे लिया जाना।
पोस्ट के कमेंट्स सेक्शन में कई लोगों ने इस टेक्नोलॉजिस्ट की बातों से सहमति जताई और अपने खुद के अनुभव भी साझा किए,
जो इस कंपनी में काम करने के दौरान उनके साथ हुए थे।
यह घटना हमें यह समझाती है कि किसी भी नौकरी को चुनने से पहले कंपनी की नीतियों
और कर्मचारियों के लिए दिए जाने वाले लाभ को सही से जानना कितना ज़रूरी है।