हरियाणा सरकार ने किए अहम प्रशासनिक बदलाव, गुरुग्राम व नूंह जिलों को मिले नए प्रभारी अधिकारी!

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चंडीगढ़, 30 अप्रैल: हरियाणा सरकार ने राज्य के प्रशासनिक ढांचे को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस क्रम में दो वरिष्ठ अधिकारियों को नई जिम्मेदारियों से नवाजा गया है। सहकारिता विभाग की आयुक्त एवं सचिव तथा हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम की प्रबंध निदेशक, श्रीमती आशिमा बराड़ को अब उनके वर्तमान दायित्वों के साथ-साथ गुरुग्राम और रोहतक मंडलों की आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा गया है। वहीं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्री फूल चंद मीणा को नूंह जिले का प्रभारी नियुक्त किया गया है।

मुख्य सचिव द्वारा जारी आधिकारिक आदेश के मुताबिक, इन दोनों अधिकारियों को न सिर्फ प्रशासनिक निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है, बल्कि कई अहम योजनाओं और विषयों की समीक्षा का दायित्व भी सौंपा गया है। इनमें विशेष रूप से उन परियोजनाओं की निगरानी शामिल है जिनकी लागत 25 करोड़ रुपये या उससे अधिक है। इसके अतिरिक्त, राज्य में होने वाले गंभीर अपराधों और भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों पर भी यह अधिकारी नजर रखेंगे। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और 19 के अंतर्गत आने वाले मामलों में मंजूरी संबंधी विषयों की जांच और समीक्षा भी इन्हीं के अधीन होगी।

इन अधिकारियों को सेवा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सेवा वितरण तंत्र की प्रभावशीलता और उसकी कार्यशैली की भी गहन समीक्षा करनी होगी। इसके अलावा स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक विकास से संबंधित योजनाओं के कार्यान्वयन के मानकों को परखना भी इनके दायित्वों में शामिल है। कराधान और जीएसटी से जुड़े मामलों में जिला स्तर पर सामने आ रही अड़चनों को चिन्हित कर उनके समाधान की दिशा में काम करना भी इनकी जिम्मेदारियों में शामिल किया गया है।

सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ये अधिकारी जिलों में उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक की उपस्थिति में स्थानीय विधायकों तथा अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ भी नियमित बातचीत करें, ताकि जनता की समस्याओं को बेहतर ढंग से समझा और हल किया जा सके। इसके अलावा इन अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया गया है कि वे अपने निरीक्षण के दौरान किसी एक महत्त्वपूर्ण स्थान — विशेषकर स्वास्थ्य अथवा शिक्षा विभाग से संबंधित — का दौरा जरूर करें, ताकि जमीन पर योजनाओं के क्रियान्वयन का वास्तविक मूल्यांकन हो सके।

इस नई प्रशासनिक व्यवस्था से सरकार को उम्मीद है कि जिलों में सुशासन की भावना और जवाबदेही को और अधिक मजबूती मिलेगी, साथ ही जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रभाव भी आम लोगों तक तीव्र गति से पहुंचेगा।