Gurmeet Singh Khuddian: पंजाब के पशुपालन विभाग ने राज्य के डेयरी सेक्टर को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए एक अभूतपूर्व योजना बनाई है।
विभाग ने राज्यभर में हर साल 30 लाख दुग्ध पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान का विशाल लक्ष्य निर्धारित किया है।
इसका उद्देश्य पशुओं की नस्ल में सुधार करके दूध उत्पादन को बढ़ाना और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना है।
Gurmeet Singh Khuddian ने कहा कि राज्य में पशुधन की नस्ल में सुधार
आज इस योजना की घोषणा करते हुए, पंजाब के पशुपालन, डेयरी विकास और मछली पालन मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने कहा कि
राज्य में पशुधन की नस्ल में सुधार के लिए नाभा और रोपड़ में दो अत्याधुनिक सीमेन स्टेशन स्थापित किए गए हैं।
इन सीमेन स्टेशनों पर उच्च गुणवत्ता वाले वीर्य का उत्पादन किया जाएगा, जो पशुधन के आनुवंशिक गुणों को बेहतर बनाएगा।
नाभा के ए-ग्रेड सीमेन स्टेशन में कुल 93 सांड रखे गए हैं।
इनमें 60 मुर्रा नस्ल के, 10 नीली रावी नस्ल के, 7 होल्सटाइन फ्रीजियन (एच.एफ.), 4 एच.एफ. क्रॉस, 3 जर्सी और 9 साहिवाल नस्ल के सांड शामिल हैं।
इन सांडों के माध्यम से एक नई दिशा में बदलाव होगा, जिससे पशुधन की नस्ल में गुणात्मक सुधार होगा।
वहीं, रोपड़ के बी-ग्रेड सीमेन स्टेशन में 46 सांड रखे गए हैं,
जिनमें 26 मुर्रा नस्ल के, 8 नीली रावी नस्ल के, 4 होल्सटाइन फ्रीजियन (एच.एफ.), 1 एच.एफ. क्रॉस और 7 साहिवाल नस्ल के सांड शामिल हैं।
इन सांडों की मदद से भी नस्ल में सुधार होगा और दूध उत्पादन में वृद्धि होगी।
राज्य सरकार ने तीन विशेष परियोजनाएं शुरू
मंत्री श्री खुड्डियां ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने तीन विशेष परियोजनाएं शुरू की हैं:
नीली रावी के लिए पैडिग्री सिलेक्शन, मुर्रा के लिए प्रोजनी टेस्टिंग (पी.टी.), और साहिवाल के लिए भी प्रोजनी टेस्टिंग।
ये परियोजनाएं राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत चल रही हैं
और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एन.डी.डी.बी.) के माध्यम से संचालित की जा रही हैं।
इन परियोजनाओं का लक्ष्य मुर्रा, साहिवाल और नीली रावी नस्लों के आनुवंशिक गुणों में सुधार करना है।
पी.टी.-मुर्रा परियोजना पटियाला, बरनाला और संगरूर जिलों में लागू की गई है।
वहीं, पी.टी.-साहिवाल परियोजना श्री मुक्तसर साहिब और फाजिल्का जिलों में और पी.एस.-नीली रावी परियोजना अमृतसर,
तरनतारन और फिरोजपुर जिलों में लागू है।
इन परियोजनाओं में 2019 से लेकर 2026 तक कुल 57 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।
इनमें से 28.5 करोड़ रुपये पी.टी.-मुर्रा के लिए, 20.88 करोड़ रुपये पी.टी.-साहिवाल के लिए
और 7.55 करोड़ रुपये पी.एस.-नीली रावी परियोजना के लिए हैं।
अब तक इन परियोजनाओं के तहत कुल 25.8 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
इनमें से 16.25 करोड़ रुपये पी.टी.-मुर्रा, 6.89 करोड़ रुपये पी.टी.-साहिवाल और 2.66 करोड़ रुपये पी.एस.-नीली रावी परियोजनाओं में लगाए गए हैं।
इस अवधि में 419 मुर्रा नस्ल, 194 साहिवाल नस्ल और 19 नीली रावी नस्ल के उच्च गुणवत्ता वाले बछड़े खरीदे गए हैं।
पशुपालन मंत्री ने इस योजना की सफलता
पशुपालन मंत्री ने इस योजना की सफलता पर जोर देते हुए कहा कि
यह न केवल पशुधन के आनुवंशिक गुणों को सुधारने में मदद करेगी,
बल्कि दूध उत्पादन और गुणवत्ता में भी सुधार लाएगी।
इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी और पंजाब का डेयरी सेक्टर मजबूती के साथ नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा।
पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. गुरशरनजीत सिंह बेदी ने भी कहा
कि विभाग ने एक मजबूत निगरानी और रिकॉर्डिंग प्रणाली स्थापित की है।
यह प्रणाली पंजाब को एक आदर्श डेयरी राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और किसानों की प्रगति सुनिश्चित करेगी।