Gurdaspur में ‘तितली’ राजनीति: भाजपा से दूर, आम आदमी पार्टी की दस्तक

Gurdaspur सीट हमेशा से देश की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक रही है, क्योंकि यहां के पूर्व BJP सांसद और दिग्गज फिल्म अभिनेता विनोद खन्ना और वर्तमान सांसद सनी देओल रहे हैं। हालांकि, इस बार यहां ‘तितली’ की चर्चा है। दरअसल, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में अपने घोषित उम्मीदवार के BJP में शामिल होने पर तंज कसा था कि ये सभी तितलियां हैं। कोई नहीं जानता कि ये कब यहां से वहां उड़ जाएंगी। इन पर भरोसा नहीं करना चाहिए। अब मान ने BJP की तितली स्वर्ण सलारिया को पकड़ लिया है…और दावा कर रहे हैं कि यह तितली भरोसेमंद है।

साल 2017 में सांसद विनोद खन्ना के निधन के बाद हुए उपचुनाव में BJP ने स्वर्ण सलारिया को मैदान में उतारा था। तब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने उन्हें बुरी तरह हराया था। इस सीट पर कांग्रेस की पकड़ का असर हिमाचल प्रदेश तक महसूस किया गया। 2017 के विधानसभा चुनावों में, सलारिया के गांव चौहाना में BJP 53 वोटों से हार गई थी। सलारिया इस बार भी लोकसभा टिकट की मांग कर रहे थे। उन्हें हराने वाले सुनील जाखड़ अब पंजाब BJP के अध्यक्ष हैं। जाखड़ का कहना है कि तितलियों की उड़ान हवा की दिशा नहीं बताती।

आम आदमी पार्टी (AAP) Gurdaspur सीट पर विशेष जोर दे रही है। AAP उम्मीदवार अमनशेर सिंह (शेरी कलसी) के समर्थन में पहले चुनावी रैली में, सीएम भगवंत मान ने सांसद सनी देओल के बाहरी होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने तंज कसा कि वह केवल पर्दे पर हैंड पंप उखाड़ सकते हैं, यहां कुछ नहीं कर पाएंगे। AAP स्थानीय नेताओं को तोड़कर BJP के गढ़ में सेंध लगा रही है। लेकिन, BJP ने बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा उससे छीन लिया है। पार्टी ने स्थानीय नेता और सुजानपुर विधायक दिनेश बब्बू को मौका दिया है। कांग्रेस ने सुखजिंदर सिंह रंधावा को अपना उम्मीदवार बनाया है। वह चार बार के विधायक और पूर्व डिप्टी सीएम हैं। उनकी कद तो बड़ा है, लेकिन पार्टी में एकता नहीं दिख रही।

शिरोमणि अकाली दल (SAD) के लिए यहां का चुनाव सबसे कठिन है। जब वह BJP के साथ गठबंधन में था, तब उसने यहां से कभी चुनाव नहीं लड़ा। कड़ी टक्कर में SAD ने पूर्व मंत्री डॉ. दलजीत सिंह चीमा को मैदान में उतारा है। वह अब तक रोपड़ से चुनाव लड़ते रहे हैं। Gurdaspur उनके लिए नई जमीन है।

सिख गुरुओं की भूमि का रामनगरी से गहरा संबंध

सिख गुरुओं की भूमि, Gurdaspur का रामनगरी से गहरा संबंध है। 17वीं सदी में Gurdaspur शहर की स्थापना करने वाले गुरियाजी के पूर्वज अयोध्या से आए थे और यहां पनियार गांव में बस गए थे। BJP भी राम मंदिर को लेकर सिख समुदाय की खुशी को वोटों में बदलने की कोशिश कर रही है।

ड्रग्स, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था बड़े मुद्दे

Gurdaspur के दीनानगर विधानसभा क्षेत्र के शिक्षक दिनेश शर्मा का कहना है कि पाकिस्तान सीमा के नजदीक होने के कारण यहां ड्रग्स की तस्करी एक बड़ी समस्या है। इससे राष्ट्रविरोधी गतिविधियां भी शुरू हो गई हैं।

रवि नदी के किनारे रहने वाले हरजोत ने स्वास्थ्य और शिक्षा की समस्या उठाई। पठानकोट के व्यापारी संजीव महाजन ने कहा, आप सरकार में काम नहीं हो रहा है। अधिकारी सुनते नहीं हैं। व्यापारी सुभाष शर्मा ने बीच में टोकते हुए कहा, कानून व्यवस्था की स्थिति और भी खराब है। दिनदहाड़े हत्याएं हो रही हैं।

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