चंडीगढ़, 10 जून: पंजाब की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत में नए स्वर्णाक्षर जुड़ते हुए, पंजाब के माननीय राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक श्री गुलाब चंद कटारिया ने आज प्रसिद्ध हज़ूरी रागी और पद्मश्री से अलंकृत भाई हरजिंदर सिंह जी (श्रीनगर वाले) को राजभवन, चंडीगढ़ में विशेष सम्मान प्रदान किया। यह सम्मान उनकी जीवनपर्यंत सिख भक्ति संगीत और गुरबानी कीर्तन के प्रति समर्पित साधना के लिए दिया गया।
भाई हरजिंदर सिंह जी को हाल ही में भारत सरकार द्वारा गुरबानी कीर्तन के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था। उनकी मधुर, भावपूर्ण और आत्मा को छू जाने वाली प्रस्तुतियाँ दशकों से देश-विदेश में लाखों लोगों को आध्यात्मिक आनंद प्रदान कर रही हैं।
राज्यपाल श्री कटारिया ने भाई साहिब की सेवा को भक्ति और संगीत का विलक्षण संगम बताया और कहा कि यह सम्मान न केवल पंजाब बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने कहा, “भाई हरजिंदर सिंह जी के स्वर जिस प्रकार गुरबानी को आत्मा से जोड़ते हैं, वह केवल एक गायन नहीं, एक ध्यान है, एक साधना है। उनकी कीर्तन परंपरा ने समस्त मानवता को जोड़ने का कार्य किया है।”
सिख भक्ति संगीत का जीता-जागता स्वरूप
राज्यपाल ने कहा कि भाई हरजिंदर सिंह जी आज परंपरा, श्रद्धा और साधना के प्रतीक बन चुके हैं। उनकी कीर्तन प्रस्तुतियाँ आज भी दुनिया भर के गुरुद्वारों में गूंजती हैं – चाहे वह हरमंदर साहिब हो या फिर विदेशों में बसे श्रद्धालुओं के दिलों में बसे गुरुघर। उनके स्वर शांति और सहिष्णुता का संदेश देते हैं, और सांस्कृतिक समरसता को बल प्रदान करते हैं।
“गुरु तेग बहादुर साहिब की आध्यात्मिक यात्रा” पुस्तक का विमोचन भी हुआ
इस गरिमामयी अवसर पर पंजाब राज्य सूचना आयुक्त श्री हरप्रीत संधू द्वारा लिखित पुस्तक “गुरु तेग बहादुर साहिब की आध्यात्मिक यात्रा” का विमोचन भी राज्यपाल द्वारा किया गया। यह चित्रात्मक विवरणिका नौवें सिख गुरु की शिक्षाओं, विचारों और बलिदान की प्रेरणादायक यात्रा को संजोती है।
राज्यपाल ने कहा कि यह पुस्तक युवाओं और अध्यात्म में रुचि रखने वालों को गुरु साहिब की महानता और संदेशों को समझने का एक सुंदर माध्यम प्रदान करेगी।
सम्मान का अर्थ: केवल पुरस्कार नहीं, पीढ़ियों की प्रेरणा
राज्यपाल ने अंत में कहा कि भाई हरजिंदर सिंह जी को दिया गया यह सम्मान केवल एक कलाकार को नहीं, बल्कि उस विरासत को सम्मानित करता है, जिसने सदियों से मानवता को ईश्वर से जोड़ने का कार्य किया है। यह युवा पीढ़ी के लिए भी एक संदेश है कि संस्कृति, श्रद्धा और सेवा का मार्ग आज भी उतना ही प्रभावशाली और आवश्यक है जितना पहले था।