चंडीगढ़, 18 अप्रैल: देशभर में राजमार्गों पर सफर करने का तरीका अब पूरी तरह बदलने वाला है। 1 मई से एक नई टोल वसूली प्रणाली लागू होने जा रही है, जिससे लोगों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी और फास्टैग जैसी तकनीकी दिक्कतों से भी छुटकारा मिलेगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जानकारी दी है कि सरकार जल्द ही देश में सैटेलाइट टेक्नोलॉजी पर आधारित टोल सिस्टम शुरू करने जा रही है, जो टोल वसूली के पारंपरिक तरीकों को खत्म कर देगा।
अब ना टोल प्लाजा, ना लंबी कतारें – बस चलिए और खुद-ब-खुद कटेगा टोल
देशभर में फास्टैग सिस्टम के जरिए टोल वसूली पिछले कई वर्षों से की जा रही है, लेकिन समय-समय पर इसमें कई परेशानियां सामने आती रही हैं। कहीं टोल पर लंबा जाम लगता है, तो कहीं फास्टैग स्कैन नहीं होता या फिर गलत तरीके से कटौती हो जाती है। इन्हीं सब दिक्कतों को खत्म करने के लिए सरकार एक GPS आधारित टोल वसूली प्रणाली लेकर आ रही है।
कैसे काम करेगा नया GPS टोल सिस्टम?
इस नई प्रणाली के अंतर्गत हर वाहन में एक On-Board Unit (OBU) नाम की डिवाइस लगाई जाएगी। यह डिवाइस GNSS यानी Global Navigation Satellite System टेक्नोलॉजी पर काम करेगी और वाहन की गति, उसकी दिशा और हाईवे पर तय की गई दूरी को ट्रैक करेगी।
-
जैसे ही वाहन किसी टोल वाली सड़क पर प्रवेश करेगा, सिस्टम उसकी रीयल टाइम लोकेशन को ट्रैक करेगा।
-
वाहन जितनी दूरी तय करेगा, उतना ही टोल उस पर लागू होगा।
-
टोल की राशि सीधे वाहन मालिक के बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से अपने आप कट जाएगी।
-
इस प्रक्रिया में कहीं भी रुकने या स्कैनिंग की जरूरत नहीं होगी।
फास्टैग से आगे की सोच – तकनीक का आधुनिक इस्तेमाल
फास्टैग सिस्टम भारत में 2016 में लागू हुआ था और यह RFID तकनीक पर आधारित था। लेकिन इसके साथ कई तकनीकी दिक्कतें जुड़ी रहीं – जैसे टोल बूथ पर धीमा स्कैन होना, फर्जी टैग का इस्तेमाल, रिचार्ज से जुड़ी परेशानियां और कई बार अनावश्यक कटौती। GPS आधारित टोल प्रणाली इन सभी कमियों को दूर करने का दावा करती है और एक स्मार्ट, सटीक और पारदर्शी टोल कलेक्शन मॉडल पेश करती है।
सिर्फ फायदे ही फायदे – जानिए आम जनता को क्या मिलेगा
नया GPS आधारित टोल सिस्टम केवल सरकार या राजमार्ग प्राधिकरणों के लिए ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है:
-
समय की बचत – अब टोल बूथ पर रुकने की जरूरत नहीं होगी।
-
ईंधन की बचत – रुकने और फिर चलने में जो ईंधन खर्च होता था, वह अब बचेगा।
-
कम ट्रैफिक जाम – टोल प्लाजा पर भीड़ नहीं लगेगी, जिससे वाहनों की आवाजाही तेज होगी।
-
पारदर्शिता और सही वसूली – जितना रास्ता तय किया जाएगा, केवल उतने का ही भुगतान करना होगा।
-
“Pay as You Drive” मॉडल – अब पूरे टोल की जगह सिर्फ जितना सफर किया है, उतना ही टोल देना पड़ेगा।
कब और कैसे होगा लागू?
नितिन गडकरी ने बताया कि यह नई नीति 1 मई से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की जाएगी। शुरू में कुछ चुनिंदा हाईवे पर इसे लागू किया जाएगा और उसके बाद देशभर के अन्य हिस्सों में इसे फैलाया जाएगा। यदि यह सफल रहता है, तो आने वाले समय में टोल प्लाजा की परंपरा पूरी तरह खत्म हो सकती है।
GPS आधारित टोल प्रणाली न केवल तकनीक की दिशा में भारत की प्रगति को दर्शाती है, बल्कि आम जनता के लिए भी एक बड़ा राहत भरा बदलाव है। अब हाईवे पर सफर करना और भी सहज, स्मार्ट और सरल हो जाएगा। सरकार का यह कदम डिजिटल इंडिया और ग्रीन ट्रैफिक मूवमेंट की ओर भी एक सशक्त कदम माना जा सकता है।