पंजाब की दो नन्हीं उद्यमी बहनों ने खड़ा किया बकरी दूध का साम्राज्य, हर महीने कमा रहीं ₹1.5 लाख!

चंडीगढ़, 22 मई: कहानी छोटी उम्र में बड़े सपनों को सच कर देने वाली दो बहनों की — मन्नत और एकनूर मेहमी की, जो आज अपने प्रयासों से न केवल खुद आत्मनिर्भर बनीं, बल्कि कई औरों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं।

एक बीमारी से शुरू हुई कहानी, जिसने बदल दी ज़िंदगी

पटियाला (पंजाब) की रहने वाली मन्नत की उम्र उस वक्त सिर्फ 6 साल थी, जब 2019 में उन्हें पीलिया (जॉन्डिस) हो गया। जब डॉक्टरों ने मन्नत की सेहत सुधारने के लिए बकरी का दूध पीने की सलाह दी, तो घरवालों ने ऑनलाइन ₹20,000 में एक बकरी खरीदी। यह कदम केवल इलाज का उपाय था, लेकिन उस एक बकरी ने बहनों की सोच और भविष्य की दिशा ही बदल दी।

आसपास बढ़ी दूध की मांग, पहचान मिली एक अवसर की

धीरे-धीरे मन्नत की सेहत सुधरने लगी। इसी दौरान मोहल्ले के लोग भी बकरी के दूध के फायदों को जानने लगे और मांग बढ़ने लगी। यहीं से मन्नत और उनकी छोटी बहन एकनूर को एहसास हुआ कि यह सिर्फ एक घरेलू उपाय नहीं, बल्कि एक संभावित व्यवसाय बन सकता है।

2020 में बना पहला कदम – “इंडिया गोट मिल्क फार्म”

महज 7 और 9 साल की उम्र में दोनों बहनों ने साल 2020 में अपने सपनों को आकार देना शुरू किया। उन्होंने अपने फार्म का नाम रखा India Goat Milk Farm। शुरुआत में परंपरागत बीटल नस्ल की बकरियां पालनी शुरू कीं, जो पंजाब की देसी नस्ल है। लेकिन समय के साथ उन्होंने खुद को अपग्रेड किया और विदेशी नस्लों की बकरियां भी मंगवाना शुरू कर दिया — जैसे स्विट्जरलैंड की सानन, फ्रेंच अल्पाइन और टोगेनबर्ग

अब है 95 से ज़्यादा बकरियों का फार्म, रोज़ाना निकलता है 25 लीटर दूध

आज इन बहनों के फार्म में करीब 95 बकरियां हैं और हर दिन लगभग 25 लीटर बकरी का दूध निकलता है। लेकिन वे सिर्फ दूध बेचने तक सीमित नहीं रहीं — अब वे इस दूध से पनीर और घी भी बनाती हैं। खास बात यह है कि उनका बकरी का घी बाज़ार में ₹4,000 प्रति किलो तक बिक रहा है, जो इसकी शुद्धता और गुणवत्ता को दर्शाता है।

कमाई जो किसी भी बड़े स्टार्टअप को टक्कर दे सकती है

शुरुआत शौक से हुई थी, लेकिन अब यह एक मुकम्मल व्यवसाय है। हर महीने ₹80,000 से ₹1.5 लाख रुपये तक की आमदनी हो रही है। इसके पीछे उनका जुनून, मेहनत और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता है। वे ऑर्गेनिक पद्धतियों का पालन करती हैं — जैसे मोरिंगा (सहजन) का चारा, बकरी के गोबर से बनी खाद, और केमिकल मुक्त देखरेख।

पढ़ाई और कारोबार में संतुलन बनाकर बनीं रोल मॉडल

सबसे प्रेरणादायक बात यह है कि मन्नत और एकनूर अभी भी स्कूल की पढ़ाई कर रही हैं और साथ ही इस व्यवसाय को पूरी जिम्मेदारी से संभाल रही हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि छोटी उम्र कभी भी बड़ा काम करने की राह में बाधा नहीं बनती।

इतना ही नहीं, वे अब अन्य महिलाओं को भी ट्रेनिंग दे रही हैं, जिससे कई महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर बना रही हैं। उनका सपना सिर्फ खुद सफल होना नहीं, बल्कि दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाना है।