चंडीगढ़, 3 मई: गोवा के प्रसिद्ध शिरगांव मंदिर में शुक्रवार को हर साल की तरह पारंपरिक धार्मिक जात्रा का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर देशभर से हजारों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन और जुलूस में शामिल होने पहुंचे थे। लेकिन श्रद्धा और भक्ति से भरे इस माहौल को एक बेहद दर्दनाक हादसे ने गमगीन कर दिया। अचानक मची भगदड़ में 7 लोगों की जान चली गई, जबकि 30 से ज्यादा श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गए।
स्थानीय लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंदिर परिसर में इस बार बेहद भारी भीड़ उमड़ी थी। लोगों की संख्या इतनी अधिक थी कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था। जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती गई, वहां अफरातफरी का माहौल बन गया। अचानक किसी ओर से धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिससे पूरे परिसर में भगदड़ मच गई। घबराए हुए लोग इधर-उधर दौड़ने लगे, और कई लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े। इसी आपाधापी में कई लोग नीचे दब गए और वहीं उनकी जान चली गई।
घटना की खबर मिलते ही पुलिस बल और आपातकालीन सेवाएं तुरंत मौके पर पहुंचीं। राहत और बचाव कार्य में तेजी लाई गई। घायलों को तुरन्त नज़दीकी अस्पतालों में पहुँचाया गया, जहाँ उनका इलाज जारी है। डॉक्टरों ने बताया कि कुछ लोगों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।
जहाँ एक ओर यह घटना पूरे इलाके में शोक और भय का कारण बनी, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी खड़ा करती है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जुटने की पूर्व जानकारी होते हुए भी पर्याप्त सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था क्यों नहीं की गई। अभी तक प्रशासन की ओर से इस बात पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं आई है कि भगदड़ की असली वजह क्या थी।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इस बार अपेक्षा से कहीं अधिक श्रद्धालु मंदिर में आ पहुंचे थे। आयोजकों और स्थानीय प्रशासन के बीच समन्वय की कमी के कारण भीड़ को नियंत्रित करने की व्यवस्था नाकाफी साबित हुई। यही कारण रहा कि स्थिति अचानक बेकाबू हो गई और यह हृदयविदारक हादसा हो गया।
यह घटना न सिर्फ गोवा बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। श्रद्धा के इस पर्व को सुरक्षित बनाना हम सभी की जिम्मेदारी है