Gayatri Jayanti: कैसे हुआ मां गायत्री का अवतरण – जानिए प्राचीन कथा और महत्व!

चंडीगढ़, 6 जून: गायत्री जयंती हिन्दू धर्म की एक अत्यंत शुभ तिथि है, जिसे वेदों की जननी मानी जाने वाली मां गायत्री के पृथ्वी पर अवतरण के दिन के रूप में मनाया जाता है। यह दिन केवल एक देवी के जन्म का प्रतीक नहीं, बल्कि मानव चेतना में आध्यात्मिक ज्ञान के प्रकाश का उदय माना जाता है।

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे निर्जला एकादशी भी कहा जाता है, को गायत्री माता का अवतरण दिवस माना जाता है। कुछ परंपराओं में यह तिथि गंगा दशहरा के दिन भी मनाई जाती है।

गायत्री माता की उत्पत्ति की कथा

सृष्टि के आरंभ में जब ब्रह्मा जी ने सृजन का कार्य प्रारंभ किया, तब उनके भीतर से एक दिव्य ऊर्जा प्रकट हुई, जिसने गायत्री मंत्र का रूप धारण किया। यह दिव्य स्वरूप ही मां गायत्री बनीं।

गायत्री मंत्र इतना शक्तिशाली था कि ब्रह्मा जी ने उसी के आधार पर अपने चार मुखों से चारों वेदों का ज्ञान व्यक्त किया – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।

आरंभ में यह दिव्य ज्ञान केवल देवताओं और ऋषियों के लिए सीमित था। लेकिन जैसे राजा भगीरथ ने तपस्या से गंगा को धरती पर उतारा, वैसे ही ऋषि विश्वामित्र ने घोर तप कर गायत्री मंत्र को सामान्य जनमानस तक पहुँचाया।

गायत्री मंत्र का सबसे पहले सार्वजनिक उच्चारण भी विश्वामित्र जी ने इसी दिन किया था, और तभी से इस तिथि को गायत्री जयंती के रूप में मान्यता मिली।

गायत्री मंत्र का महत्व और प्रभाव

गायत्री मंत्र केवल एक वैदिक मंत्र नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि, बुद्धि की जागृति, और ईश्वर से एकात्मता का साधन है। शास्त्रों और ऋषियों ने इसके प्रभाव को अत्यंत ऊँचा स्थान दिया है:

देवर्षि नारद:

“गायत्री भक्ति का ही स्वरूप है। जहां गायत्री है, वहां भगवान नारायण का निवास होता है।”

ऋषि विश्वामित्र:

“गायत्री से बढ़कर कोई पवित्र मंत्र नहीं। तीन वर्षों तक नियमित जप करने वाला व्यक्ति ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। दिन में दो बार संध्यावंदन के साथ गायत्री जपने वाला वेदों के फल को प्राप्त करता है।”

महर्षि वेदव्यास:

“गायत्री समस्त वेदों का सार है, जैसे शहद फूलों का सार होता है। यह सिद्ध गायत्री मंत्र कामधेनु के समान है – जो हर इच्छा पूर्ण कर सकती है। जैसे गंगा शरीर को पवित्र करती है, वैसे ही गायत्री आत्मा को शुद्ध करती है।”

चरक ऋषि:

“जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन कर गायत्री की उपासना करता है और आंवले का सेवन करता है, वह दीर्घायु होता है।”

गायत्री मंत्र का जप क्यों करें?

गायत्री मंत्र के नियमित जप से:

  • बुद्धि शुद्ध होती है

  • आत्मा को शांति और शक्ति मिलती है

  • नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है

  • आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खुलता है

  • मानसिक एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है

गायत्री मंत्र- ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥

भावार्थ: हम उस परम तेजस्वी, दिव्य सविता देव का ध्यान करते हैं, जो हमारी बुद्धि को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।

कैसे मनाएं गायत्री जयंती?

  • प्रातःकाल स्नान कर गायत्री माता की प्रतिमा या चित्र की पूजा करें

  • 108 बार या अधिक गायत्री मंत्र का जाप करें

  • जरूरतमंदों को अन्न-वस्त्र दान करें

  • घर में हवन, संकीर्तन या भजन का आयोजन करें

  • संयम और साधना के साथ दिन बिताएं