गंगा सप्तमी 2025: जब धरती पर अवतरित हुईं मां गंगा, इस दिन बनेगा शुभ योगों का महासंगम!

चंडीगढ़, 2 मई: गंगा सप्तमी का पर्व हिंदू धर्म में एक अत्यंत पावन अवसर के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 3 मई, शनिवार को आ रहा है और इस दिन कई अत्यंत शुभ योगों का संयोग बन रहा है, जिससे इस पर्व की महिमा और भी बढ़ जाती है।

 गंगा अवतरण की दिव्य कथा

गंगा सप्तमी वह पावन तिथि मानी जाती है, जब मां गंगा ने स्वर्ग से दोबारा पृथ्वी पर अवतरण किया था। यह अवतरण विशेष रूप से राजा भगीरथ की घोर तपस्या के परिणामस्वरूप हुआ था। भगीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का संकल्प लिया और उन्होंने वर्षों तक कठोर तप कर भगवान शंकर और मां गंगा को प्रसन्न किया।

ऐसा कहा जाता है कि गंगा का मूल अवतरण तो ब्रह्मलोक से हुआ था, जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर ब्रह्मांड को नापा। उस समय उनकी चरण रज से गंगा उत्पन्न हुई। लेकिन गंगा का चेतन रूप में धरती पर अवतरण भगीरथ के माध्यम से ही हुआ था और गंगा सप्तमी इसी दूसरे चरण के अवतरण को दर्शाती है। यह वह दिन था, जब गंगा केवल एक नदी नहीं रहीं, बल्कि एक जाग्रत, चेतन शक्ति के रूप में प्रकट हुईं।

गंगा सप्तमी 2025 के शुभ मुहूर्त

  • तारीख: 3 मई 2025, शनिवार

  • मध्याह्न मुहूर्त: सुबह 10:58 बजे से दोपहर 01:38 बजे तक

  • इस दौरान गंगा स्नान, दान, पूजन और अन्य शुभ कार्य अत्यंत फलदायक माने जाएंगे।

 विशेष योग: त्रिपुष्कर, रवि योग और शिववास का मिलन

इस वर्ष गंगा सप्तमी को तीन महत्वपूर्ण शुभ योगों का संयोग बन रहा है, जो इसे और भी विशेष बना देता है:

  1. त्रिपुष्कर योग: यह योग सुबह 7:51 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक रहेगा। इस योग में किया गया कोई भी कार्य तीन गुना फल देता है। नया व्यवसाय, नौकरी से संबंधित निर्णय या निवेश इस समय करें, लाभ अवश्य मिलेगा।

  2. रवि योग: सुबह 5:39 बजे से दोपहर 12:34 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस दौरान सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में स्थित होंगे। यह योग नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत उत्तम माना गया है।

  3. शिववास: यह योग भी इस दिन को विशेष बना रहा है, जिसमें शुभ कार्यों का फल शीघ्र प्राप्त होता है और नकारात्मकता दूर होती है।

 इस दिन किए गए कामों का मिलेगा विशेष लाभ

गंगा सप्तमी के दिन यदि व्यक्ति किसी नए कार्य की शुरुआत करता है, तो उस कार्य में उसे सफलता मिलने की संभावना अत्यंत प्रबल होती है। यह समय:

  • रुके हुए कामों को दोबारा शुरू करने का उत्तम अवसर है।

  • निवेश करने, संपत्ति खरीदने और व्यवसायिक फैसले लेने के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

  • पुरानी योजनाएं जो अटकी पड़ी थीं, उन्हें गति मिलेगी और आर्थिक लाभ की संभावनाएं बढ़ेंगी।

 पुण्य फल देने वाला गंगा स्नान

गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में स्नान करने का अत्यंत महत्व होता है। अगर गंगा तट पर जाकर स्नान करना संभव न हो, तो घर पर ही पवित्र जल में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। ऐसा करने से सारे पाप नष्ट होते हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति को जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।