Navratri 2024 – मां कात्यायनी का स्वरूप और महत्त्व

Navratri 2024

Navratri 2024 : शारदीय नवरात्रि, जिसे महा नवरात्रि भी कहा जाता है, भारत भर में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है,

जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार सितंबर और अक्टूबर के बीच आता है।

यह पर्व हिंदू चंद्र माह अश्विन के दौरान मनाया जाता है और देवी दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित होता है।

यह नौ दिवसीय उत्सव 3 अक्टूबर 2024 से शुरू हुआ है और 12 अक्टूबर 2024 को दशहरा के साथ समाप्त होगा।

आज है नवरात्रि का छठा दिन चलिए आपको बताते है इसकी ख़ासियत –

आज, 8 अक्टूबर 2024, नवरात्रि का छठा दिन है, जो मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है।

मां कात्यायनी देवी पार्वती के सबसे उग्र रूपों में से एक हैं,

जिनकी पूजा शक्ति और सुरक्षा के लिए की जाती है।

इस दिन भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और ताजे कपड़े पहनने चाहिए।

पूजा के स्थान को स्वच्छ करें और मां कात्यायनी की मूर्ति पर ताजे फूल चढ़ाएं।

मंत्र जाप और पूजा करते समय, अपने हाथों में कमल के फूल रखें।

देवी को प्रसाद के रूप में शहद अर्पित करें

और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

Navratri 2024 : मां कात्यायनी का महत्व

मां कात्यायनी को देवी पार्वती के योद्धा रूप के रूप में जाना जाता है,

जो महिषासुर नामक दानव को पराजित करने के लिए प्रकट हुई थीं।

उनका रूप अत्यंत उग्र और शक्तिशाली माना जाता है।

भक्त मां कात्यायनी की पूजा करते हैं ताकि उन्हें साहस, बल और जीवन की बाधाओं से निपटने की शक्ति प्राप्त हो।

नवरात्रि का छठा दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन की चुनौतियों और कठिनाइयों को दूर करना चाहते हैं,

क्योंकि मां कात्यायनी को अपने भक्तों को आंतरिक शक्ति और सफलता प्रदान करने वाली देवी माना जाता है।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, देवी पार्वती का जन्म ऋषि कट्य के घर हुआ था,

जिसके कारण इस रूप को मां कात्यायनी कहा जाता है। यह देवी दुर्गा का छठा रूप है,

जिसे विशेष रूप से शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है।

Navratri 2024 :  मां कात्यायनी का स्वरूप

मां कात्यायनी एक शानदार शेर की सवारी करती हैं। उनका स्वरूप चार भुजाओं वाला है।

उनके बाएँ हाथ में एक कमल का फूल और एक तलवार होती है, जबकि उनके दाएँ हाथ अभय मुद्रा और वरदा मुद्रा में होते हैं।

अभय मुद्रा में उनका हाथ भक्तों को निर्भयता और सुरक्षा का आशीर्वाद देता है,

और वरदा मुद्रा से वह भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने वाली मानी जाती हैं।