वित्त मंत्री Harpal Singh Cheema ने केरल सम्मेलन में वित्तीय समावेश..

पंजाब के वित्त मंत्री एडवोकेट Harpal Singh Cheema ने तिरुवनंतपुरम, केरल में चल रहे 16वें वित्त आयोग सम्मेलन में प्रमुख मुद्दों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।

सम्मेलन के सुबह के सत्र में अपने संबोधन के दौरान, मंत्री चीमा ने केरल सरकार द्वारा सम्मेलन की मेज़बानी की प्रशंसा की और राज्य के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की।

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Harpal Singh Cheema पंजाब की ओर से वित्त आयोग के साथ

मंत्री चीमा ने पंजाब की ओर से वित्त आयोग के साथ की गई सार्थक बातचीत को साझा किया।

उन्होंने सामाजिक और विकास संबंधी खर्चों में भारी असमानता जैसे मुद्दों को उजागर किया और जीएसटी के लागू होने के परिणामस्वरूप सीमित वित्तीय स्वायत्तता पर चिंता व्यक्त की।

वित्त मंत्री ने जोर दिया कि आयोग को प्रत्येक राज्य की विशिष्ट चुनौतियों को स्वीकार करते हुए  उनके समाधान पर ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने वर्टिकल डिवॉल्यूशन की वर्तमान दर 41 प्रतिशत में वृद्धि की अपील की

और संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए सेस, सरचार्ज,

और चुनिंदा गैर-कर राजस्व को विभाज्य पूल में शामिल करने की सिफारिश की।

चीमा ने आयोग से एक सूक्ष्म फॉर्मूला विकसित करने की मांग की,

जो राज्यों की विकास क्षमता के आधार पर संसाधनों का वितरण करे

और कम प्रदर्शन करने वाले राज्यों को लक्षित सहायता प्रदान करे।

इस उपाय से संतुलित विकास को प्रोत्साहित किया जा सकेगा और वित्तीय असमानता कम की जा सकेगी।

वित्त मंत्री ने वित्तीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन

संबोधन के दौरान, वित्त मंत्री ने वित्तीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन अधिनियम को और अधिक समावेशी बनाने के सुझाव दिए।

उन्होंने सुदृढ़ आपदा प्रबंधन, लचीले संघीय ढांचे,

और केंद्र-राज्य संबंधों की मैत्रीपूर्णता की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

मंत्री चीमा ने संघीय ढांचे को पुनः सशक्त और मजबूत करने की अपील की

ताकि प्रत्येक राज्य भारत के विकास का अभिन्न हिस्सा बन सके और कोई भी क्षेत्र प्रगति की दौड़ में पीछे न रह जाए।

अपने भाषण के अंत में, वित्त मंत्री ने देश के विभिन्न राज्यों के बीच समन्वय और सहयोग की आवश्यकता को दोहराते हुए कहा

कि भारत की वास्तविक प्रगति तभी संभव है जब सभी राज्य मिलकर एक सुनहरे भविष्य की दिशा में प्रयास करें।

इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में, वित्त मंत्री चीमा ने पंजाब के दृष्टिकोण और अपेक्षाओं को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करते हुए,

राज्य की वित्तीय स्थिति और विकास के लिए आवश्यक सुधारों पर बल दिया।

उनके सुझाव और सिफारिशें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय स्थिरता और संतुलित विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान देंगी।

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