चंडीगढ़, 5 जून: फिल्म जगत के लिए यह समय बेहद दर्दनाक साबित हो रहा है। कुछ ही दिनों पहले टीवी अभिनेता विभू राघव के निधन से जो सदमा पहुंचा था, उसकी टीस अभी थमी भी नहीं थी कि अब एक और दिल तोड़ देने वाली खबर ने बॉलीवुड को झकझोर कर रख दिया है। मशहूर फिल्म निर्माता विनोद छाबड़ा का 5 जून को कैंसर के चलते निधन हो गया। वे महज 55 वर्ष के थे। इस दुखद समाचार ने फिल्म इंडस्ट्री, उनके सहयोगियों और प्रशंसकों को गहरे शोक में डुबो दिया है।
अंतिम विदाई आज मुंबई में
विनोद छाबड़ा के निधन की सूचना उनके परिवार ने सोशल मीडिया पर साझा की। उन्होंने बताया कि छाबड़ा अब इस दुनिया में नहीं रहे और उनके जाने से पूरा परिवार सदमे में है। उनका अंतिम संस्कार आज ही, 5 जून को मुंबई में किया जाएगा। इस खबर के बाद से उनके चाहने वाले उन्हें श्रद्धांजलि देने और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने में जुटे हैं।
चार दशकों का समर्पण: विनोद छाबड़ा का सफर
विनोद छाबड़ा का फिल्मी सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं रहा। उन्होंने करीब 40 वर्षों तक भारतीय सिनेमा को अपनी कला और दृष्टिकोण से समृद्ध किया। वे केवल हिंदी ही नहीं, बल्कि मलयालम, तमिल, तेलुगु, बंगाली समेत 20 से भी अधिक भारतीय भाषाओं की फिल्मों में सक्रिय रहे। उनके निर्माण में बनी कई फिल्में दर्शकों के दिलों में आज भी ज़िंदा हैं।
बेहतरीन कृतियाँ और बहुआयामी प्रतिभा
विनोद छाबड़ा को उनके बहुआयामी कौशल के लिए भी जाना जाता था। ‘पापी गुड़िया’, ‘जिम्मेदार’, ‘माई हसबैंड्स वाइफ’ जैसी फिल्मों के जरिए उन्होंने हिंदी सिनेमा में खास पहचान बनाई। वे सिर्फ एक निर्माता-निर्देशक नहीं थे, बल्कि एक अभिनेता के रूप में भी पर्दे पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके थे। उन्होंने हर भूमिका को ईमानदारी और संजीदगी से निभाया।
विभू राघव के बाद एक और क्षति
यह खबर और भी ज्यादा कचोटती है क्योंकि कुछ दिन पहले ही युवा टीवी अभिनेता विभू राघव का भी कैंसर के चलते निधन हुआ था। लगातार हो रहे ऐसे नुकसानों से फिल्मी दुनिया में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। दोनों कलाकारों की असमय मृत्यु ने इंडस्ट्री को ऐसा घाव दिया है जिसकी भरपाई मुश्किल है।
यादों में जीवित रहेंगे विनोद छाबड़ा
भले ही विनोद छाबड़ा आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका काम, उनका जुनून और उनका सिनेमा हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेगा। वे उन चंद फिल्मकारों में से थे जो कला को व्यवसाय से ऊपर रखते थे। उनके साथ काम करने वाले कलाकार और तकनीशियन उन्हें एक संवेदनशील और समझदार इंसान के रूप में याद कर रहे हैं।
उनकी रचनात्मकता, सरलता और समर्पण को फिल्म जगत हमेशा याद रखेगा। उनके न रहने से जो खालीपन आया है, वह लंबे समय तक महसूस किया जाएगा।