कौशल शिक्षा के शिल्पकार, डॉ. राज नेहरू को मिला राष्ट्रीय सम्मान!

चंडीगढ़, 6 मई: शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में नये प्रतिमान स्थापित करने वाले डॉ. राज नेहरू को उनके अद्वितीय योगदान के लिए एक विशिष्ट सम्मान से नवाजा गया है। हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में आयोजित एक गरिमामयी समारोह में डीएवी कॉलेज प्रबंधन समिति और आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा द्वारा उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम में नेशनल डीएवी बोर्ड तथा आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष श्री पूनम सूरी ने स्वयं उन्हें यह सम्मान प्रदान करते हुए उनके कार्यों को प्रेरणादायक बताया।

डॉ. नेहरू न केवल हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के विशेष कार्याधिकारी (OSD) हैं, बल्कि वे श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति भी रहे हैं—जो देश का पहला सरकारी कौशल विश्वविद्यालय है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसा मॉडल प्रस्तुत किया, जिसने पारंपरिक शिक्षा को रोजगार से जोड़ने की दिशा में एक ठोस रास्ता दिखाया।

डॉ. राज नेहरू को यह सम्मान इसलिए भी विशिष्ट बनाता है क्योंकि उन्होंने ‘अर्न व्हाइल लर्न’ (कमाओ और पढ़ो) जैसी प्रणाली को भारत में एक व्यवहारिक मॉडल के रूप में विकसित किया, जो छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ कार्य अनुभव भी प्रदान करती है। इस मॉडल के माध्यम से उन्होंने उद्योग और शिक्षा के बीच की दूरी को खत्म किया, जिससे कौशल आधारित शिक्षा को एक नया मुकाम मिला। आज भारत के कई राज्य इस मॉडल को अपनाकर अपने कौशल संस्थानों को नई दिशा दे रहे हैं।

उनका मानना है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें व्यावहारिकता और रोजगार की संभावनाएं भी समाहित होनी चाहिए। डॉ. नेहरू के प्रयासों ने न केवल युवाओं को कुशल बनाया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी प्रेरित किया। उनके काम ने न केवल रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं, बल्कि नवाचार और उद्यमिता को भी मजबूती प्रदान की है।

इस अवसर पर डॉ. राज नेहरू ने अपने छात्र जीवन को याद करते हुए गर्व के साथ कहा कि वे डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जवाहर नगर, श्रीनगर के पूर्व छात्र रहे हैं। उन्होंने इस सम्मान को डीएवी संस्थान के मूल्यों और शिक्षकों की प्रेरणा का प्रतिफल बताया। उन्होंने सम्मान प्रदान करने वाली संस्थाओं—डीएवी कॉलेज प्रबंधन समिति और आर्य प्रादेशिक प्रतिनिधि सभा—के प्रति आभार प्रकट किया।

डॉ. राज नेहरू का यह सम्मान न केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि है, बल्कि यह पूरे कौशल शिक्षा क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा है। यह उन सभी शिक्षकों, नीति निर्माताओं और युवाओं को एक सकारात्मक संदेश देता है कि सही दिशा और ईमानदार प्रयासों से शिक्षा को समाज और देश के विकास का आधार बनाया जा सकता है।