बिजली विभाग की लापरवाही पर हरियाणा सेवा आयोग सख्त, उपभोक्ता को मिलेगा 5 हजार का मुआवज़ा!

चंडीगढ़, 17 अप्रैल: हरियाणा में उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के प्रति हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। सिरसा जिले के एक औद्योगिक उपभोक्ता द्वारा की गई शिकायत पर कार्रवाई करते हुए आयोग ने न केवल बिजली विभाग की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि उपभोक्ता को 5,000 रुपये की क्षतिपूर्ति देने और लंबित सब्सिडी को निर्धारित समय सीमा में जारी करने का भी स्पष्ट निर्देश दिया है।

क्या है मामला?

यह मामला सिरसा निवासी श्री रघबीर सिंह से जुड़ा है, जो कि एक छोटे स्तर की औद्योगिक इकाई के संचालक हैं। रघबीर सिंह ने आयोग को दी गई शिकायत में बताया कि उन्होंने दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) से 20 किलोवाट से कम लोड का औद्योगिक विद्युत कनेक्शन प्राप्त किया था। यह कनेक्शन ‘सी’ श्रेणी खंड में आता है, जो राज्य सरकार द्वारा घोषित विद्युत सब्सिडी के पात्र उपभोक्ताओं की श्रेणी में शामिल है।

शिकायत के अनुसार, उन्होंने सब्सिडी के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज़ और पात्रताएं पूरी की थीं, फिर भी उन्हें यह लाभ नहीं दिया गया। विभाग द्वारा उनके आवेदन को खारिज करते हुए दिनांक 29 जुलाई 2024 को जारी एक पत्र का हवाला दिया गया, जिसमें नयी शर्तों का जिक्र किया गया था। हैरानी की बात यह रही कि यह शर्तें पूर्व प्रभाव से लागू की गईं, जो आयोग की नज़र में पूरी तरह गलत और अनुचित है।

आयोग की सख्ती: प्रशासनिक और कानूनी गलती मानी गई

आयोग के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि जांच के बाद यह तय पाया गया कि श्री रघबीर सिंह न केवल सब्सिडी के लिए पूर्ण पात्र थे, बल्कि विभाग द्वारा उन्हें लाभ से वंचित करना एक प्रशासनिक चूक और कानूनी उल्लंघन था।

शिकायतकर्ता को कई बार एस.डी.ओ. ऑफिस के चक्कर लगाने पड़े, जिससे उन्हें मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा। यह सब कुछ उस उपभोक्ता के साथ हुआ, जिसने सभी नियमों का पालन करते हुए समय पर आवेदन किया था।

निर्देश: सब्सिडी भुगतान और क्षतिपूर्ति दोनों

आयोग ने अपने निर्णय में DHBVN को स्पष्ट रूप से निर्देश दिए हैं कि —

  1. शिकायतकर्ता पर लगाया गया चार्जबैक तुरंत रद्द किया जाए।

  2. दिनांक 21 दिसंबर 2018 या विद्युत कनेक्शन की तिथि (जो भी बाद में हो) से ₹2 प्रति यूनिट की दर से सब्सिडी की राशि जारी की जाए।

  3. यह समस्त कार्यवाही 28 अप्रैल 2025 तक पूरी कर दी जाए।

इसके अलावा आयोग ने हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17(1)(एच) के तहत शिकायतकर्ता को ₹5,000 की क्षतिपूर्ति (compensation) देने के आदेश दिए हैं। यह राशि बिजली निगम अपने स्वयं के कोष से देगा। साथ ही आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि विभाग संबंधित दोषी अधिकारियों से इस राशि की वसूली करने के लिए स्वतंत्र रहेगा।

उपभोक्ताओं के लिए बना मिसाल

यह मामला न केवल एक उपभोक्ता के लिए न्याय की जीत है, बल्कि राज्यभर के अन्य बिजली उपभोक्ताओं के लिए भी एक मिसाल बनकर सामने आया है। आयोग का यह निर्णय यह दर्शाता है कि उपभोक्ताओं के साथ अन्याय करने वाले अधिकारियों को अब जवाबदेह ठहराया जाएगा।