चंडीगढ़, 15 मई: देश के करोड़ों डिलीवरी एजेंट्स, कैब ड्राइवर्स और अन्य अस्थायी कर्मचारियों के लिए सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेने की तैयारी कर ली है। अब Zomato, Swiggy, Amazon, Flipkart, Ola, Uber जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स पर काम करने वाले गिग वर्कर्स को भी पेंशन और सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं मिल सकती हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इस प्रस्ताव को कंपनियों ने सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है और जल्द ही इसे कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा।
कौन होते हैं गिग वर्कर्स?
गिग वर्कर्स वे श्रमिक होते हैं जो किसी कंपनी के स्थायी कर्मचारी न होकर, “पे-पर-टास्क” या अनुबंध आधारित मॉडल पर काम करते हैं। इनमें शामिल हैं:
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डिलीवरी बॉय (Zomato, Swiggy, Amazon)
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कैब ड्राइवर (Ola, Uber)
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फ्रीलांसर, कंटेंट क्रिएटर
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अन्य ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर
अब तक इन्हें पेंशन, हेल्थ बीमा या कर्मचारियों जैसी सामाजिक सुरक्षा सुविधाएं नहीं मिलती थीं।
सरकार क्या योजना बना रही है?
सरकार की प्रस्तावित योजना के अनुसार:
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EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) के तहत एक पेंशन स्कीम लागू की जाएगी।
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इसमें कंपनियां नियत अंशदान करेंगी, और गिग वर्कर्स चाहें तो अपनी ओर से भी योगदान कर सकते हैं।
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योजना वैकल्पिक होगी – श्रमिक चाहें तो कंपनी के अंशदान से ही पेंशन प्राप्त कर सकेंगे।
क्यों जरूरी है यह स्कीम?
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गिग वर्कर्स की संख्या भारत में तेजी से बढ़ रही है और ये देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
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आज तक ये श्रमिक संगठित क्षेत्र की सुरक्षा से वंचित थे।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही बजट में घोषणा कर चुकी हैं कि गिग वर्कर्स के लिए डिजिटल डेटाबेस बनाया जाएगा और उन्हें स्वास्थ्य बीमा, बीमा कवर और अब पेंशन जैसी सुविधाएं दी जाएंगी।
आगे क्या?
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यह प्रस्ताव अब कैबिनेट को भेजा जाएगा।
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वहां से मंजूरी मिलने के बाद, यह योजना लागू हो सकती है।
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यह भारत के श्रमिक इतिहास में पहली बार होगा जब गिग वर्कर्स को भी संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों जैसी सामाजिक सुरक्षा मिलेगी।
यह होगा एक ऐतिहासिक कदम
अगर यह योजना अमल में आती है, तो यह भारत के श्रम बाजार में क्रांतिकारी बदलाव होगा। इससे न केवल लाखों श्रमिकों को भविष्य की सुरक्षा मिलेगी, बल्कि कंपनियों और सरकार के बीच साझेदारी का नया मॉडल भी विकसित होगा।