चंडीगढ़, 16 मई: देश की सर्वोच्च अदालत ने एक लंबे संघर्ष का अंत करते हुए पश्चिम बंगाल के लाखों सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने अंतरिम आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह तीन महीने के भीतर कर्मचारियों को 25% बकाया महंगाई भत्ता (DA) का भुगतान करे।
क्या है पूरा मामला?
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पश्चिम बंगाल में पिछले कई वर्षों से सरकारी कर्मचारी DA में केंद्र सरकार के बराबर वृद्धि की मांग कर रहे थे।
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कर्मचारियों का आरोप था कि राज्य सरकार उन्हें अन्य राज्यों के मुकाबले कम DA दर दे रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर सीधा असर पड़ा।
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यह विवाद साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, लेकिन करीब 18 बार सुनवाई टलने के बाद अब अदालत ने पहली बड़ी कार्यवाही की है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश क्या कहता है?
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जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया।
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कोर्ट ने कहा:
“राज्य सरकार तीन महीने के भीतर 25% बकाया महंगाई भत्ते का भुगतान सुनिश्चित करे। यह अंतरिम राहत है, अंतिम फैसला आगे की सुनवाई में होगा।”
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कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी कहा कि समय पर पालन जरूरी है और इस आदेश को टालना अब संभव नहीं।
कर्मचारियों में जश्न का माहौल
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राज्यभर में सरकारी दफ्तरों और शिक्षण संस्थानों में कर्मचारियों ने इस आदेश का जोरदार स्वागत किया।
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कई कर्मचारी संगठनों ने इसे ‘हक की जीत’ बताया और सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया।
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सोशल मीडिया पर भी #DAHike और #SCJustice ट्रेंड कर रहा है।
सरकार की अब क्या ज़िम्मेदारी है?
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अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि पश्चिम बंगाल सरकार इस आदेश को कितनी तत्परता से लागू करती है।
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यदि राज्य सरकार तीन महीने के भीतर DA भुगतान नहीं करती, तो अदालत आगे सख्त कदम उठा सकती है।
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साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई में पूरे बकाया DA और अन्य लाभों को लेकर भी निर्णय संभव है।
इस फैसले का क्या है व्यापक असर?
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यह निर्णय सिर्फ बंगाल के कर्मचारियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश में ऐसे सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रेरणादायक उदाहरण बन सकता है।
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यह स्पष्ट संदेश है कि वेतन, भत्ते और सम्मान से जुड़े अधिकारों की अनदेखी अब नहीं की जा सकती।