चंडीगढ़, 26 फरवरी: महाकुंभ मेला 2025 में, जहाँ अनुमानित 50 करोड़ श्रद्धालु उपस्थित होंगे, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों को और सुदृढ़ करने के लिए क्यूर.एआई ने अपना एआई-संचालित चेस्ट एक्स-रे विश्लेषण समाधान “क्यूएक्सआर” तैनात कर दिया है। सेक्टर 2 के सेंट्रल हॉस्पिटल में स्थापित इस तकनीकी समाधान का उद्देश्य तीर्थयात्रियों में टीबी (क्षय रोग) की शीघ्र पहचान करना है।
क्यूएक्सआर की विशेषताएँ:
•इस एआई सॉफ़्टवेयर का उपयोग तेज़ प्राथमिक जांच के लिए किया जा रहा है, जो किसी भी कारण से चेस्ट एक्स-रे कराने वाले व्यक्तियों में संभावित टीबी के मामलों की स्वचालित पहचान कर सकता है।
•इसकी तैनाती के बाद से, हॉस्पिटल में किए गए चेस्ट एक्स-रे के विश्लेषण में 36.22% को असामान्य के रूप में चिह्नित किया गया है, जिनमें से 12% मामलों में टीबी के संभावित लक्षण देखे गए हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य में तकनीकी नवाचार का योगदान:
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में, जहां 45 दिनों के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं का संगम होता है, इस प्रकार के एआई-आधारित समाधान टीबी निगरानी को सशक्त बनाने का एक व्यावहारिक मॉडल साबित हो सकते हैं। इस पहल से:
•डायग्नोस्टिक क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे रेडियोलॉजिस्टों और चिकित्सकों का दबाव कम होगा।
•उच्च जोखिम वाले मरीजों की जल्दी पहचान संभव होगी, जिससे प्रारंभिक हस्तक्षेप में सहायता मिलेगी।
•समुदाय-आधारित टीबी निगरानी प्रणालियों को मजबूत किया जा सकेगा, जो राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTCP) में योगदान देगा।
प्रयागराज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण कुमार तिवारी ने कहा,
“एआई प्रणाली ने हमारे टीबी जांच प्रयासों में समय पर और विश्वसनीय सहयोग प्रदान किया है। महाकुंभ जैसी विशाल जनसभा में इस तकनीक ने हमें उन मरीजों की प्राथमिक पहचान करने में मदद की है, जिन्हें आगे की जांच और उपचार की आवश्यकता है।”
क्यूर.एआई के सीईओ प्रशांत वारियर ने भी इस पहल पर टिप्पणी करते हुए कहा,
“महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन न केवल एक धार्मिक अनुभव प्रदान करते हैं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी लाते हैं। क्यूएक्सआर जैसी एआई-चालित तकनीक यह सुनिश्चित कर रही है कि हर छाती एक्स-रे की जांच टीबी के संदर्भ में की जाए, जिससे समय पर उपचार और संक्रमण की श्रृंखला को रोका जा सके।”
इस पहल से महाकुंभ मेला में टीबी निगरानी के लिए एक नया और दोहराए जाने योग्य ढांचा तैयार हो रहा है, जिसे अन्य बड़े सामूहिक आयोजनों और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है। यह कदम भारत सरकार के 2025 तक टीबी उन्मूलन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के अनुरूप है और सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने में सहायक होगा।