चंडीगढ़, 29 मई: कोरोना वायरस, जिसने 2019 और 2020 में पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेकर एक अभूतपूर्व वैश्विक संकट खड़ा कर दिया था, अब फिर से सुर्खियों में है। कई देशों में इसके नए मामलों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है, जिससे लोगों के मन में एक बार फिर चिंता और सवाल उठ रहे हैं। भारत, सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग जैसे देशों में कोविड-19 के नए केस सामने आ रहे हैं, जो यह सोचने पर मजबूर कर रहे हैं कि क्या यह वायरस कभी पूरी तरह खत्म नहीं होता? और अगर खत्म होता है तो बार-बार लौटकर क्यों आता है?
इस सवाल का उत्तर जानने के लिए हमें समझना होगा कि वायरस क्या होते हैं, वे कैसे काम करते हैं, और कोरोना की वापसी के पीछे कौन-कौन से वैज्ञानिक कारण जिम्मेदार हैं।
वायरस: क्या ये सच में मरते नहीं हैं?
वायरस एक अनोखा जीवधारी समूह है। इन्हें जीवित और निर्जीव के बीच की कड़ी माना जाता है। ये खुद से किसी भी प्रकार की जैविक क्रिया नहीं कर सकते, जैसे सांस लेना या खाना पचाना। लेकिन जब ये किसी जीवित प्राणी, जैसे मानव या जानवर, के शरीर के संपर्क में आते हैं, तो यह सक्रिय हो जाते हैं और उसी जीव की कोशिकाओं को अपनी संख्या बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करने लगते हैं।
अगर इन्हें कोई मेज़बान शरीर नहीं मिलता, तो वे निष्क्रिय हो सकते हैं या धीरे-धीरे समाप्त भी हो सकते हैं। लेकिन कुछ वायरस – जैसे कि कोरोना – थोड़े समय के लिए वातावरण में भी जीवित रह सकते हैं। जैसे ही उन्हें नया मेज़बान मिलता है, वे फिर से सक्रिय होकर फैलने लगते हैं।
कोरोना की वापसी के पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण
1. वायरस का म्यूटेशन यानी स्वरूप बदलना
वायरस हमेशा एक जैसे नहीं रहते। समय के साथ ये खुद में बदलाव करते रहते हैं, जिसे म्यूटेशन कहा जाता है। म्यूटेशन के कारण वायरस के जीन में परिवर्तन होता है, जिससे उसका नया रूप बनता है, जिसे वेरिएंट कहा जाता है।
आजकल जो नए वेरिएंट्स सामने आ रहे हैं, जैसे कि NB.1.8.1, LF.7, और विशेषकर भारत में पाया जाने वाला JN.1, ये पुराने वेरिएंट्स से अलग हैं और कई बार वैक्सीन की प्रभावशीलता को भी प्रभावित कर सकते हैं। भारत में लगभग 53% नए मामलों में JN.1 वेरिएंट पाया गया है, जो यह बताता है कि यह वेरिएंट तेजी से फैल रहा है।
2. कमजोर होती इम्यूनिटी
जब कोई व्यक्ति वैक्सीन लगवाता है या पहले संक्रमण से गुजरता है, तो उसके शरीर में वायरस से लड़ने की क्षमता यानी इम्यूनिटी बन जाती है। लेकिन समय बीतने के साथ यह इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है, खासकर बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों में। यदि समय पर बूस्टर डोज़ न ली जाए, तो संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। उदाहरण के लिए, सिंगापुर में जिन लोगों ने बूस्टर नहीं लिया, उनमें नए संक्रमण की दर अधिक देखी गई।
3. लापरवाही और सतर्कता की कमी
जैसे ही मामलों की संख्या घटती है, लोग स्वास्थ्य नियमों को नजरअंदाज करने लगते हैं। मास्क पहनना, हाथ धोना, और सामाजिक दूरी जैसे उपायों को अपनाना छोड़ दिया जाता है। ऐसे में वायरस को दोबारा फैलने का मौका मिल जाता है। घनी आबादी वाले शहरों जैसे दिल्ली और मुंबई में यह तेजी से फैल सकता है।
4. मौसम और यात्रा का प्रभाव
सर्द और नम मौसम वायरस के लिए उपयुक्त होता है। इस तरह के वातावरण में यह लंबे समय तक सतहों पर टिक सकता है। इसके साथ ही, जब लोग त्योहारों और छुट्टियों में ज्यादा यात्रा करते हैं, तो वायरस एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से फैल सकता है। उदाहरण के लिए, सिंगापुर में चीनी नव वर्ष के दौरान मामलों में तेजी देखी गई थी।
क्या नया कोरोना उतना ही खतरनाक है जितना पहले था?
अब जो वेरिएंट सामने आ रहे हैं, वे अधिकांश मामलों में हल्के लक्षण वाले हैं। आमतौर पर बुखार, खांसी, गले में खराश, और सर्दी जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं। गंभीर मामलों की संख्या काफी कम है और अधिकतर मरीज बिना अस्पताल में भर्ती हुए ठीक हो जा रहे हैं।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम पूरी तरह निश्चिंत हो जाएं। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर है, उनके लिए नया वेरिएंट भी गंभीर रूप ले सकता है। इसलिए सतर्क रहना जरूरी है।
खुद को सुरक्षित रखने के लिए अपनाएं ये जरूरी उपाय
✅ मास्क का इस्तेमाल ज़रूरी है
विशेषकर बंद स्थानों या भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में मास्क पहनना न भूलें।
✅ हाथों की स्वच्छता बनाए रखें
हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं। बाहर हों तो हैंड सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
✅ बूस्टर डोज़ ज़रूर लगवाएं
अगर आपने अब तक बूस्टर डोज़ नहीं ली है, तो जल्द से जल्द लगवाएं। यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
✅ लक्षण दिखें तो तुरंत जांच कराएं
अगर आपको बुखार, खांसी, या सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो डॉक्टर से संपर्क करें और कोविड टेस्ट जरूर करवाएं।