चंडीगढ़, 29 मई: कोविड-19 अब हमारे जीवन का एक ऐसा अध्याय बन चुका है, जिसने बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को प्रभावित किया है। हालांकि वैक्सीन और जागरूकता की वजह से संक्रमण की गंभीरता कम हुई है, लेकिन इसके लॉन्ग कोविड जैसे प्रभाव अब भी चिंताजनक हैं — खासकर छोटे बच्चों में।
अमेरिका में किए गए एक हालिया अध्ययन से यह बात सामने आई है कि कोविड से उबरने के बाद भी छोटे बच्चों में कुछ ऐसे लक्षण बने रह सकते हैं जिन्हें आम तौर पर माता-पिता हल्के में ले लेते हैं — जैसे सूखी खांसी, चिड़चिड़ापन, नींद न आना, भूख में कमी और नाक का बंद रहना।
यह अध्ययन मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने किया और यह साफ बताता है कि छोटे बच्चों में लॉन्ग कोविड के लक्षण बड़ों से अलग होते हैं और इन्हें समझना और समय रहते इलाज कराना बेहद जरूरी है।
छोटे बच्चों में दिखते हैं अलग-अलग लक्षण
0 से 2 वर्ष के शिशुओं में:
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नींद में परेशानी: बार-बार जागना, गहरी नींद न आना
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चिड़चिड़ापन: बिना कारण रोना या गुस्से में रहना
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भूख कम लगना: दूध या भोजन से अरुचि
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नाक बंद रहना और हल्की खांसी: जिसे अक्सर मौसमी एलर्जी समझ लिया जाता है
3 से 5 वर्ष के प्री-स्कूल बच्चों में:
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सूखी खांसी: लंबे समय तक चलने वाली और बिना बलगम की खांसी
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दिन में थकान या नींद आना: खेलने में रुचि न लेना या सुस्ती
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कम ऊर्जा: पहले की तुलना में कम एक्टिव होना
बच्चों में लॉन्ग कोविड के मामलों का डेटा क्या कहता है?
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शोध में 472 शिशु (0–2 साल) और 539 प्रीस्कूलर (3–5 साल) बच्चों की जांच की गई।
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इनमें से 278 शिशु और 399 प्रीस्कूलर बच्चे कोविड से संक्रमित रह चुके थे।
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90 दिनों तक इन बच्चों के लक्षणों का अवलोकन किया गया।
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निष्कर्ष: 14% शिशु और 15% प्रीस्कूलर लॉन्ग कोविड से प्रभावित पाए गए।
शोधकर्ताओं ने शिशु वर्ग में 41 तरह के लक्षण और प्रीस्कूलरों में 75 अलग-अलग लक्षण दर्ज किए, जो यह दिखाते हैं कि कोविड का प्रभाव शरीर के हर हिस्से को छू सकता है — चाहे वह मानसिक विकास हो, नींद की गुणवत्ता, या प्रतिरक्षा प्रणाली।
बड़ों जैसे लक्षण किशोरों में भी
यह अध्ययन सिर्फ छोटे बच्चों तक सीमित नहीं है। शोध में पाया गया कि 6 से 11 साल के बच्चों में सिरदर्द, नींद की परेशानी और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत देखने को मिली।
वहीं किशोरों (12+ उम्र) में गंध और स्वाद की कमी, थकावट, और शरीर में दर्द जैसे लक्षण पाए गए — जो बड़ों के लॉन्ग कोविड अनुभव से मिलते-जुलते हैं।
भारत में बढ़ते मामले और ओमिक्रॉन का खतरा
भारत में भी कोविड-19 के मामलों में दिल्ली-एनसीआर, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे राज्यों में हल्की वृद्धि देखी जा रही है।
आईसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) ने 26 मई को बताया कि वर्तमान में संक्रमण की प्रकृति आमतौर पर हल्की है और अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत नहीं पड़ रही। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि लॉन्ग कोविड को नज़रअंदाज़ किया जाए।
पेरेंट्स के लिए चेतावनी और सुझाव
अगर आपका बच्चा हाल ही में कोविड से उभरा है और अब भी निम्नलिखित लक्षण दिखा रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें:
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लगातार सूखी खांसी
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नींद में खलल
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चिड़चिड़ापन या अचानक व्यवहार में बदलाव
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खेल या खाने में अरुचि
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सुस्ती या थकान
क्या करें माता-पिता?
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नियमित निगरानी रखें: कोविड से ठीक होने के बाद भी अपने बच्चे की आदतों पर बारीकी से ध्यान दें।
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बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें अगर लक्षण 2 सप्ताह से अधिक समय तक बने रहें।
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भोजन और नींद का ध्यान रखें। बच्चों की दिनचर्या को संतुलित और आरामदायक बनाएँ।
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स्कूल और टीचर को सूचित करें, ताकि वे भी सतर्क रह सकें।
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लॉन्ग कोविड के बारे में खुद को शिक्षित करें और सतर्क रहें।