सीएम भगत सिंह मान का सख्त आदेश: 4 अप्रैल तक पूरा करें इंतकाल कार्य!

चंडीगढ़,1 अप्रैल: मुख्यमंत्री भगत सिंह मान ने अमृतसर जिले के तहसीलदारों और पटवारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि सभी प्रकार के इंतकाल दर्ज किए जाएं और मंजूर किए जाएं। यह आदेश 4 अप्रैल तक पूरी तरह से लागू करने की डेडलाइन दी गई है। हाल ही में 15 तहसीलदारों के निलंबन और 250 से अधिक अधिकारियों के तबादले के बाद यह कदम उठाया गया है।

जिले के माल अधिकारियों ने इस कार्य को प्राथमिकता दी है। तहसीलदार पुनीत बांसल ने अपने अधीनस्थ पटवारियों को फोन करके उन्हें दफ्तर बुलाया है, ताकि इंतकालों की पेंडेंसी खत्म की जा सके। छुट्टी के दिन भी कार्य किया जा रहा है ताकि कोई भी मामला अधूरा न रहे। जिला माल अधिकारी नवकीरत सिंह रंधावा ने भी सख्त आदेश जारी किए हैं और पटवारियों से अपेक्षा की है कि वे इन्हें ईमानदारी से लागू करें।

हालांकि कुछ पटवारी अब भी पुराने इंतकालों को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों की सख्ती के कारण ऐसा अब ज्यादा दिन नहीं टिकेगा।

रजिस्ट्रेशन कार्य का नया मोड़

तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के तबादले के साथ ही रजिस्ट्रेशन का कार्य अब कानूनगो को सौंप दिया गया है। पिछले दो हफ्तों से कानूनगो ही रजिस्ट्रेशन का कार्य संभाल रहे हैं, जिससे हजारों इंतकाल पेंडिंग हो गए हैं। अब इन पेंडिंग कार्यों को भी पूरा किया जाना है।

तहसील-वन में धीमी गति से कार्य

जहां तहसीलदार-2 ने इंतकाल दर्ज करने का कार्य तेज कर दिया है, वहीं तहसील-वन में काम धीमी गति से चल रहा है। नए नियुक्त तहसीलदार की कम उपस्थिति और कार्य में लापरवाही के कारण जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इस मामले में कोई भी लापरवाही स्वीकार नहीं की जाएगी।

कलेक्टर रेट बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू

1 अप्रैल से कलेक्टर रेट बढ़ाने का कार्य भी शुरू हो गया है। जिला माल अधिकारी ने पटवारियों और तहसीलदारों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जमीनों के रेट का पुनर्मूल्यांकन करें। कुछ क्षेत्रों में कलेक्टर रेट अभी भी निजी रेट से कम हैं, जिससे वहां वृद्धि की संभावना है।

अधिकारियों की संख्या में कमी

तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों के तबादले के बाद अमृतसर जिले में अब केवल पांच अधिकारी रह गए हैं, जबकि पहले यह संख्या 18 थी। इससे अधिकारियों पर कार्य का दबाव बढ़ गया है, जिससे प्रशासनिक कार्य में कठिनाइयां आ सकती हैं।

इस सख्त आदेश के साथ मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी अधिकारी लापरवाही नहीं बरतेगा। इंतकाल की पेंडेंसी को खत्म करने के लिए अब सभी अधिकारियों को दिन-रात मेहनत करनी होगी।