पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में Ayushman Bharat Scheme मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना(AB-MMSBY) को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के फंड का कोई दुरुपयोग नहीं हुआ है
और पंजाब को अभी भी 249 करोड़ रुपये का बकाया मिलना बाकी है।
डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि यह योजना 20 अगस्त, 2019 को शुरू की गई थी,
जिसका उद्देश्य हर परिवार को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का नकद रहित स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करना है।
पंजाब में इस योजना के तहत 44.99 लाख परिवारों को कवर किया गया है और 772 अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है,
जिनमें 210 सरकारी और 556 निजी अस्पताल शामिल हैं।
Ayushman Bharat Scheme: 28 लाख परिवारों का बोझ राज्य सरकार उठाती
इस योजना का बजट केंद्र और राज्य सरकार के बीच 60:40 के अनुपात में है,
जिसमें 16.65 लाख सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एस.ई.सी.सी.) परिवारों के लिए केंद्र सरकार का योगदान होता है।
बाकी 28 लाख परिवारों का बोझ राज्य सरकार उठाती है।
मंत्री ने कहा कि पिछले शासन में इस योजना को बीमा मोड में चलाया जा रहा था,
जिसमें प्रीमियम का भुगतान किया जाता था।
लेकिन 29 दिसंबर 2021 को बीमा कंपनी के साथ हुए अनुबंध को अचानक रद्द कर दिया गया, जिससे प्रणाली में विघटन आया।
डॉ. बलबीर ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार ने इस टूटी-फूटी प्रणाली को पुनर्स्थापित करने का कठिन कार्य किया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि 16.65 लाख एस.ई.सी.सी. परिवारों के लिए 585 करोड़ रुपये के क्लेम बनते थे,
जिसमें से केंद्र को लगभग 350.74 करोड़ रुपये का भुगतान करना था।
लेकिन अब तक सिर्फ 169.34 करोड़ रुपये ही पंजाब की स्वास्थ्य एजेंसी को प्राप्त हुए हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास अभी भी 249.81 करोड़ रुपये की राशि बकाया है,
जिसमें 51.34 करोड़ रुपये प्रशासनिक खर्च और 17.07 करोड़ रुपये पुराने बकाए शामिल हैं।
डॉ. बलबीर: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा से मुलाकात
डॉ. बलबीर ने कहा कि राज्य स्वास्थ्य एजेंसी की एक टीम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा से मुलाकात कर बकाया भुगतान की मांग की,
लेकिन अब तक इन प्रयासों का कोई नतीजा नहीं निकला है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार के फंडों का दुरुपयोग नहीं हुआ है
और सभी फंड का उपयोग सिर्फ जनहित के लिए किया जा रहा है।
मंत्री ने अस्पतालों को भुगतान में देरी के कारणों की जानकारी देते हुए बताया
कि फरवरी 2024 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी (एन.एच.ए.) द्वारा जारी किए गए नए सॉफ्टवेयर में तकनीकी समस्याएं आई हैं।
हालांकि, स्वास्थ्य एजेंसी ने इस समस्या का समाधान करने के लिए तात्कालिक कदम उठाए हैं।
डॉ. बलबीर ने बताया कि पंजाब सरकार सेवा प्रदान करने के इच्छुक निजी अस्पतालों को इस योजना के तहत इलाज करने के लिए अधिकृत करेगी।
यदि कोई निजी अस्पताल इस योजना के तहत इलाज करने में असमर्थ है,
तो उसे योजना से बाहर रहने का विकल्प दिया जाएगा।
उन्होंने अंत में कहा कि पंजाब सरकार हर पहलू, जैसे सुरक्षा और फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट की वैधता बढ़ाने में निजी अस्पतालों के साथ सहयोग कर रही है।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए डॉ. बलबीर सिंह ने योजना की पारदर्शिता को सुनिश्चित करने और लोगों को सही जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है।