उपायुक्त की अपील – बाल विवाह से बचें, अपराधियों को मिलेगी सख्त सजा!

DC Monika Gupta

चंडीगढ़, 9 अप्रैल:

पंचकूला की उपायुक्त श्रीमती मोनिका गुप्ता ने जिलेवासियों से अपील की है कि वे बाल विवाह को किसी भी हालत में न होने दें और इसे रोकने के लिए सक्रिय रूप से सहयोग करें। उनके अनुसार, अक्षय तृतीया पर्व, जो इस साल 30 अप्रैल को मनाया जाएगा, उस दिन सामूहिक विवाह की संभावना रहती है। इस अवसर पर, उपायुक्त ने लोगों से बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने की अपील की है।

उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा लागू बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत, किसी भी लड़की की उम्र 18 साल से कम और लड़के की उम्र 21 साल से कम होने पर दोनों को नाबालिग माना जाता है। इस कानून के अनुसार, यदि 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र का लड़का शादी करते हैं, तो यह अपराध माना जाता है और इसे संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध माना जाता है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती सीमा रोहिला ने बताया कि जिले में बाल विवाह को रोकने के लिए एक सघन अभियान चलाया जा रहा है, जिसका नेतृत्व जिला बाल कल्याण समिति, महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला बाल कल्याण इकाई और वन स्टॉप सेंटर मिलकर कर रहे हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य जिले को बाल विवाह मुक्त बनाना है। इसके लिए, प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी बाल विवाह की जानकारी मिलने पर तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करें। उन्होंने कहा, “अगर आपको अपने आसपास कहीं भी बाल विवाह का संकेत मिलता है, तो कृपया तत्काल प्रभाव से 181 हेल्पलाइन या डायल 112 पर सूचना दें।”

इसके साथ ही, सभी बैंक्वेट हॉल मालिकों, धार्मिक संस्थानों के पुजारियों, हलवाईयों, प्रिंटर्स और पंडितों से भी यह अपील की गई है कि वे किसी भी शादी से पहले विवाह के जोड़े की उम्र की जांच करें, ताकि किसी भी बाल विवाह को रोका जा सके।

उपायुक्त ने स्पष्ट किया कि बाल विवाह को कोई कानूनी मान्यता नहीं है और इसे कानूनी दृष्टि से अवैध माना जाता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह कराने, उसे बढ़ावा देने या इसमें किसी भी प्रकार की सहायता करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ऐसे मामलों में दोषियों को दो साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

श्रीमती गुप्ता ने सभी नागरिकों से यह भी अपील की कि वे इस अभियान में भाग लेकर पंचकूला को बाल विवाह मुक्त बनाने में प्रशासन का सहयोग करें और समाज के इस गंभीर अपराध के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों।

कानूनी परिणाम:
बाल विवाह करने वाले या उसे बढ़ावा देने वाले व्यक्ति को कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा, जिसमें दो साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना शामिल है।