चंडीगढ़, 5 मार्च: उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने बाल विवाह की रोकथाम को लेकर कड़ा संदेश देते हुए कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध है। उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया (30 अप्रैल) के अवसर पर सामूहिक बाल विवाह आयोजित होने की संभावना रहती है, इसलिए जिला प्रशासन ने इसे रोकने के लिए विशेष कदम उठाए हैं।
बाल विवाह करवाने पर होगी सख्त कार्रवाई
उपायुक्त ने स्पष्ट किया कि जो कोई भी बाल विवाह कराता है, उसमें सहयोग करता है या इसे बढ़ावा देता है, उसे दो साल तक की कैद या एक लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि यदि उन्हें कहीं बाल विवाह होने की सूचना मिले तो तुरंत बाल विवाह निषेध अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग या हेल्पलाइन नंबर 181, 112 और 1098 पर जानकारी दें।
बाल विवाह रोकने के लिए गठित की गई विशेष टीमें
उपायुक्त ने बताया कि अक्षय तृतीया के अवसर पर एसीपी पंचकूला, बाल विवाह निषेध अधिकारी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, सीडब्ल्यूसी चेयरमैन और श्रम विभाग के अधिकारी विशेष निगरानी रखेंगे। ये टीमें सक्रिय रूप से कार्यरत रहेंगी और बाल विवाह को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगी।
बाल विवाह के दुष्परिणाम
मोनिका गुप्ता ने कहा कि बाल विवाह से बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पर बुरा असर पड़ता है, साथ ही यह शोषण, उत्पीड़न और शिक्षा के अवसरों को खत्म करने का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह के कारण मातृ मृत्यु दर भी बढ़ती है और लड़कियों के आत्मनिर्भर बनने में बाधा आती है।
जागरूकता के लिए अपील
उपायुक्त ने समाज के सभी वर्गों से अपील करते हुए कहा कि यदि किसी को भी अपने आसपास बाल विवाह होने की जानकारी मिलती है, तो वे तुरंत हेल्पलाइन नंबरों पर इसकी सूचना दें। प्रशासन ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करेगा और दोषियों पर कानूनी शिकंजा कसेगा।