Chandigarh National Crafts Mela : सरकारी स्कूलों के बच्चों ने धूप में देश की संस्कृति को पहचाना, जादू देखा और प्रश्नोत्तरी में लिया हिस्सा
14वें राष्ट्रीय शिल्प मेले में सोमवार का दिन बच्चों के लिए खास रहा।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनजेडसीसी) और चंडीगढ़ प्रशासन के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस मेले में बच्चों ने कला,
संस्कृति और मनोरंजन का भरपूर आनंद उठाया।
खिली धूप में खुले आसमान के नीचे, बच्चों ने मेले के हर पहलू को खुशी और जिज्ञासा से देखा।
Chandigarh National Crafts Mela : कला और संस्कृति के करीब हुए बच्चे
चंडीगढ़ के कई सरकारी स्कूलों के बच्चों को विशेष रूप से इस मेले में आमंत्रित किया गया था।
स्कूल ग्रुप के साथ आए बच्चों के लिए मेले में एंट्री फ्री रखी गई।
मेले में प्रवेश करते ही बच्चों ने अपनी मासूमियत और चंचलता से माहौल को और जीवंत कर दिया।
ढोल की थाप पर उनके पैर खुद-ब-खुद थिरकने लगे।
भांगड़ा करते हुए बच्चों ने पूरे मेले को अपने उल्लास से भर दिया।
Chandigarh National Crafts Mela : स्टालों का आकर्षण और जिज्ञासा
मेले में लगे हर स्टाल पर बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था।
वे हर स्टाल पर जाते, वहां रखी चीजों को निहारते और उनके बारे में सवाल पूछते। खासतौर पर हस्तशिल्प की अनूठी वस्तुएं बच्चों को खूब लुभा रही थीं।
नई चीजों को देखकर उनके चेहरे पर उत्सुकता और मुस्कान झलक रही थी।
प्रश्नोत्तरी और जादू ने किया मंत्रमुग्ध
स्कूली बच्चों के लिए विशेष आयोजन के तहत एनजेडसीसी ने स्टेज पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. सौरभ भट्ट ने किया।
बच्चों ने “कौन बनेगा करोड़पति” की तर्ज पर हर सवाल का जवाब बड़े जोश के साथ दिया।
सही और गलत जवाबों के बीच हंसी-खुशी का माहौल बना रहा।
इसके बाद एनके शर्मा ने अपने जादू के प्रदर्शन से बच्चों को हैरानी में डाल दिया।
उनके अनोखे करतबों ने बच्चों का भरपूर मनोरंजन किया और उन्हें पल भर के लिए असलियत से दूर किसी जादुई दुनिया में पहुंचा दिया।
हर जादुई ट्रिक पर बच्चे चकित होकर तालियां बजाते और अगले चमत्कार का इंतजार करते।
उनके आश्चर्य से भरे चेहरों ने माहौल को और भी खास बना दिया।
यादगार पलों का उत्सव
दिन का अंत बच्चों के लिए और भी खास बन गया, जब उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मेले के विभिन्न व्यंजनों का स्वाद चखा।
मेले में उपलब्ध पारंपरिक और फ्यूजन खाद्य पदार्थों ने उन्हें एक अलग अनुभव दिया।
कई बच्चों ने पहली बार अलग-अलग राज्यों के व्यंजन खाए और उनकी विविधता को सराहा।
यह दिन बच्चों के लिए न सिर्फ मनोरंजन का था,
बल्कि उन्हें कला, शिल्प और संस्कृति की अनोखी दुनिया से परिचित कराने का भी मौका था।
मेले में बिताए ये पल उनके जीवन में एक खास याद बनकर रहेंगे।
एनजेडसीसी और चंडीगढ़ प्रशासन का यह प्रयास बच्चों को भारतीय संस्कृति, कला और शिल्प की विविधता से जोड़ना था।
आयोजकों ने बताया कि इस तरह के आयोजनों से बच्चों के भीतर अपनी संस्कृति के प्रति जागरूकता और गर्व का भाव विकसित होता है।
आयोजन समिति के एक अधिकारी ने कहा, “बच्चों के चेहरों पर खुशी देखकर लगता है कि हमारा उद्देश्य सफल हो गया।
उनका उत्साह और जिज्ञासा इस बात का प्रमाण है कि वे इस अनुभव को हमेशा याद रखेंगे।”
इस तरह, राष्ट्रीय शिल्प मेले में बिताया यह दिन बच्चों के लिए न केवल मनोरंजन का,
बल्कि सीखने और अनुभव करने का भी एक अनोखा अवसर साबित हुआ।