चंडीगढ़, 7 अप्रैल:
चैत्र पूर्णिमा: धार्मिक महत्व और भद्र के साये में सावधानी के संकेत
चैत्र माह की पूर्णिमा हिंदू धर्म में अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है और यह दिन खास तौर पर धार्मिक कार्यों, पूजा-पाठ, पिंडदान और अन्य पवित्र अनुष्ठानों के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जो भक्तों के लिए अत्यंत पावन अवसर है।
इस दिन का धार्मिक महत्व केवल पूजा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने का भी अत्यधिक महत्व है। माना जाता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन चंद्र देव, भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और हनुमान जी की पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
हालांकि, वर्ष 2025 की चैत्र पूर्णिमा पर एक विशेष पहलू सामने आ रहा है—भद्र का साया। भद्र एक अशुभ काल है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य को करना अनुकूल नहीं माना जाता है। इस समय में किए गए कार्यों में रुकावट आ सकती है या वे अधूरे रह सकते हैं।
भद्र का समय और उसका प्रभाव
2025 में चैत्र पूर्णिमा की तिथि 12 अप्रैल को सुबह 03:21 बजे से शुरू होकर 13 अप्रैल को प्रातः 05:51 बजे तक रहेगी। इस दौरान विभिन्न शुभ मुहूर्त और भद्र के समय को ध्यान में रखना आवश्यक है।
-
ब्रह्म मुहूर्त (शुभ पूजा का समय): सुबह 4:29 बजे से 5:14 बजे तक
-
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक
-
स्नान और दान का शुभ समय: सुबह 7:35 बजे से 9:10 बजे तक
-
राहुकाल (अशुभ समय): शनिवार को सुबह 9:10 बजे से 10:46 बजे तक
भद्र का प्रभाव और सावधानियां
चैत्र पूर्णिमा के दिन भद्र का समय 12 अप्रैल 2025 को सुबह 5:59 बजे से शाम 4:35 बजे तक रहेगा। इस अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश, नई शुरुआत, खरीदारी या धार्मिक अनुष्ठान करना वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि भद्र के समय किए गए कार्यों में बाधाएं आती हैं और वे सफल नहीं हो पाते।
अगर किसी कारणवश इस समय कोई कार्य किया भी जाए, तो उसमें रुकावट या विफलता का सामना करना पड़ सकता है। भद्र का प्रभाव मुख्य रूप से पाताल लोक में रहता है, जिससे अशुभता और बाधाएं उत्पन्न होती हैं।
हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व
जो भक्त भगवान हनुमान जी की पूजा करना चाहते हैं, उनके लिए सबसे शुभ समय है सुबह 7:00 बजे से 8:30 बजे तक। इस समय हनुमान जी के आशीर्वाद से न केवल शारीरिक शक्ति मिलती है, बल्कि मनोबल भी बढ़ता है।
सुझाव
-
भद्र के समय से बचें और केवल शुभ मुहूर्त में ही महत्वपूर्ण कार्य करें।
-
पवित्र नदियों में स्नान करें और दान-पुण्य के कार्य करें।
-
हनुमान जी और अन्य देवताओं की पूजा श्रद्धा भाव से करें।
-
राहुकाल और भद्र के समय में किसी भी शुभ कार्य से परहेज करें।
चैत्र पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर, अपने जीवन में शुभता और सफलता के लिए सही समय का चुनाव करें और भद्र के साये से सतर्क रहें।