चंडीगढ़, 24 अप्रैल: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। इस कड़ी में कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने न केवल हमले की कड़ी निंदा की है, बल्कि सीधे-सीधे पाकिस्तान की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं।
उन्होंने इसे “हिंसा का मूर्खतापूर्ण और खौफनाक कृत्य” करार देते हुए कहा कि आतंकियों द्वारा निर्दोष नागरिकों और पर्यटकों को निशाना बनाना मानवता के खिलाफ अपराध है, जिसे कोई भी सभ्य राष्ट्र सहन नहीं कर सकता।
सोशल मीडिया पर गूंजा कनाडा का संदेश
प्रधानमंत्री कार्नी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक भावनात्मक संदेश साझा करते हुए लिखा:
“मैं जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले से स्तब्ध हूं। यह एक भयावह और मूर्खतापूर्ण हिंसा है, जिसमें निर्दोष नागरिकों और पर्यटकों की जान गई। कनाडा इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा करता है। हम पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हैं।”
इस पोस्ट के बाद दुनियाभर से यूज़र्स ने हमले के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए कड़ी प्रतिक्रियाएं दीं। कनाडा की संसद में भी इस घटना पर विशेष चर्चा हुई, जहाँ भारत के साथ खड़े रहने का संकल्प दोहराया गया।
हमले की पृष्ठभूमि: निर्दोषों पर बरसी गोलियाँ
इस आतंकी हमले की भयावहता ने एक बार फिर 2019 के पुलवामा हमले की यादें ताजा कर दी हैं। मंगलवार दोपहर, पहलगाम में बड़ी संख्या में पर्यटक बैसरन घाटी की ओर जा रहे थे, जब आतंकियों ने अचानक अंधाधुंध गोलियाँ बरसानी शुरू कर दीं।
26 लोगों की मौत हो गई, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे, और कई अन्य घायल हुए हैं। बताया जा रहा है कि आतंकियों ने नाम पूछ-पूछ कर लोगों को गोली मारी – अगर कोई मुस्लिम नहीं था, तो उसे सिर में गोली मारी गई।
इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की सहयोगी इकाई ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। TRF पहले भी भारत में कई आतंकी गतिविधियों में संलिप्त रहा है और अब इसे भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठन घोषित किया जा चुका है।
भारत का कड़ा जवाब: डिप्लोमैटिक और जल समझौता दोनों पर ब्रेक
हमले के बाद भारत ने कड़ा और असाधारण रुख अपनाया है:
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सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है।
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पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों में कटौती की घोषणा की गई है।
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अटारी बॉर्डर चौकी को बंद कर दिया गया है।
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SAARC वीजा स्कीम में पाकिस्तान को बाहर कर दिया गया है।
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सभी पाकिस्तानी वीजा रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
इन कदमों से यह साफ है कि भारत अब आतंकवाद को लेकर सिर्फ बयान नहीं, कार्रवाई की नीति पर आगे बढ़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय दबाव में पाकिस्तान
कनाडा के प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया को सिर्फ सहानुभूति का बयान नहीं, बल्कि एक राजनयिक चेतावनी माना जा रहा है। कनाडा जैसे देशों की कड़ी प्रतिक्रियाएँ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की जवाबदेही तय करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।
राजनयिक सूत्रों के अनुसार, अगले कुछ दिनों में संयुक्त राष्ट्र, G7 और कॉमनवेल्थ जैसे मंचों पर यह मुद्दा उठ सकता है, जहाँ भारत को कूटनीतिक समर्थन मिलने की पूरी संभावना है।
कनाडा के प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया ने यह संकेत साफ कर दिया है कि वैश्विक समुदाय आतंकवाद के मुद्दे पर अब पाकिस्तान से जवाबदेही चाहता है। भारत की ओर से उठाए गए कड़े कदमों को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलने लगा है और अब यह लड़ाई सिर्फ एक देश की नहीं, मानवता की है।