चंडीगढ़, 12 अप्रैल: भारतीय जनता पार्टी ने तमिलनाडु की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू कर दिया है। पार्टी ने संगठनात्मक स्तर पर बड़ा फेरबदल करते हुए अनुभवी नेता नयनार नागेन्द्रन को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। यह कदम न केवल पार्टी के भीतर एक नई ऊर्जा भरने वाला है, बल्कि यह साफ संकेत देता है कि बीजेपी अब दक्षिण भारत में खासकर तमिलनाडु जैसे चुनौतीपूर्ण राज्य में अपने पांव और मज़बूती से जमाने को तैयार है।
बिना टकराव, निर्विरोध चुना गया नया अध्यक्ष
पार्टी द्वारा जारी की गई आधिकारिक जानकारी के अनुसार, अध्यक्ष पद के लिए नयनार नागेन्द्रन ही एकमात्र उम्मीदवार थे। किसी भी अन्य नेता ने इस पद के लिए दावेदारी नहीं जताई, जिससे यह चयन पूरी तरह सर्वसम्मति से हुआ। यह दिखाता है कि पार्टी के भीतर उनके नेतृत्व को लेकर न केवल भरोसा है, बल्कि एकजुटता भी दिखाई दे रही है।
कौन हैं नयनार नागेन्द्रन? एक झलक उनके राजनीतिक सफर पर
नयनार नागेन्द्रन कोई नया नाम नहीं हैं। वह तमिलनाडु की राजनीति में एक जाना-पहचाना चेहरा हैं। राजनीति के मैदान में उनका अनुभव गहरा और लंबा है। एक समय था जब वे AIADMK (अन्नाद्रमुक) में एक प्रभावशाली नेता के रूप में उभर चुके थे। उन्होंने मंत्री पद भी संभाला और जनता से सीधा जुड़ाव बनाया।
लेकिन 2017 में उन्होंने एक बड़ा राजनीतिक निर्णय लिया और अन्नाद्रमुक छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया। उस समय यह फैसला कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था, लेकिन यह उनके राजनीतिक करियर का टर्निंग पॉइंट बन गया।
चुनावों में उतार-चढ़ाव, लेकिन पार्टी का भरोसा बरकरार
बीजेपी जॉइन करने के बाद नागेन्द्रन ने कई बार चुनावी मैदान में किस्मत आजमाई।
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2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने रामनाथपुरम से दावेदारी की, लेकिन हार गए।
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फिर 2021 विधानसभा चुनाव में तिरुनेलवेली सीट से मैदान में उतरे और इस बार जीत दर्ज की।
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2024 लोकसभा चुनाव में फिर से उसी सीट से लड़े, मगर एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा।
इन हार-जीत के बीच भी बीजेपी ने उनके प्रति भरोसा बनाए रखा। संगठन में उनकी सक्रियता और अनुभव को देखते हुए अब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का पद सौंपकर पार्टी ने बड़ा दांव खेला है।
के. अन्नामलाई के बाद अब नागेन्द्रन की बारी
2021 में विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी ने तमिलनाडु में पहली बार पूर्व आईपीएस अधिकारी के. अन्नामलाई को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक नई दिशा में कदम रखा था। हालांकि पार्टी को उस दौरान बड़ी चुनावी जीत नहीं मिली, लेकिन वोट प्रतिशत में वृद्धि हुई और संगठन की पकड़ मजबूत हुई।
अब जब पार्टी को 2026 के विधानसभा चुनावों और भविष्य के अन्य चुनावी संघर्षों की ओर देखना है, तो उसने नया नेतृत्व सामने लाकर दिखा दिया है कि वह हर हाल में मैदान में डटी रहने वाली है। नयनार नागेन्द्रन की संगठन पर मजबूत पकड़ और जमीनी राजनीति का अनुभव पार्टी के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।
तमिलनाडु में बीजेपी की नई शुरुआत
तमिलनाडु में बीजेपी अभी भी एक उभरती हुई ताकत है, और ऐसे में नयनार नागेन्द्रन को प्रदेश अध्यक्ष बनाना एक रणनीतिक कदम है। यह बदलाव न सिर्फ आंतरिक संगठन को सशक्त करने की दिशा में है, बल्कि जनता तक पार्टी की सोच और योजनाओं को मजबूती से पहुंचाने का भी प्रयास है।
अब देखना यह होगा कि नागेन्द्रन अपने इस नए रोल में कितनी मजबूती से खरे उतरते हैं और क्या वे तमिलनाडु की राजनीतिक बिसात पर बीजेपी को उस मुकाम तक पहुंचा पाएंगे जिसकी पार्टी को लंबे समय से तलाश है।