चंडीगढ़, 7 मई: 7 मई 2025 की सुबह एक नई और बेहद संवेदनशील वास्तविकता लेकर आई। भारत ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले का जवाब जिस सधी हुई लेकिन निर्णायक सैन्य कार्रवाई—‘ऑपरेशन सिंदूर’—के ज़रिए दिया, उसने न केवल आतंक के अड्डों को हिला कर रख दिया, बल्कि भारत-पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में असहज शांति भी पैदा कर दी है।
इस सैन्य कार्रवाई के बाद भारत और पाकिस्तान, दोनों ही देशों में सुरक्षा कारणों से शैक्षणिक संस्थान अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं। एक ओर यह निर्णय बचावात्मक उपाय है, तो दूसरी ओर यह मौजूदा तनाव के स्तर को भी दर्शाता है।
भारत में स्कूल-कॉलेज बंद: जम्मू से पुंछ तक एहतियात
भारतीय सेना की रातोंरात कार्रवाई के बाद जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिलों—जम्मू, सांबा, कठुआ, राजौरी और पुंछ—में स्थानीय प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से सभी स्कूल और कॉलेज बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। यह निर्णय सुरक्षा एजेंसियों की सिफारिश पर लिया गया ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से बच्चों और आम नागरिकों को बचाया जा सके।
मंडलायुक्त कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह कदम केवल एहतियातन है और फिलहाल के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में आंदोलन और भीड़भाड़ से बचना जरूरी समझा गया है।
पाकिस्तान में भी छुट्टियाँ, आपातस्थिति जैसे हालात
इस ऑपरेशन की गूंज पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी सुनाई दी। भारत की कार्रवाई से सबसे अधिक प्रभावित शहर—बहावलपुर, मुरीदके और सियालकोट—जहां आतंकी ढांचे मौजूद थे, वहां स्कूल-कॉलेजों में अवकाश घोषित कर दिया गया है। पाकिस्तानी मीडिया और स्थानीय प्रशासन ने इसे ‘सुरक्षा आवश्यकताओं’ के तहत लिया गया निर्णय बताया है। इन क्षेत्रों में सड़कों पर सन्नाटा और सैन्य गश्त बढ़ा दी गई है, जिससे हालात किसी आपातकाल जैसे प्रतीत हो रहे हैं।
ऑपरेशन की गहराई: आतंक के गढ़ों पर सटीक वार
भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के संयुक्त ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के भीतर मौजूद नौ बड़े आतंकी ठिकानों को मिसाइलों और सटीक बमबारी से तबाह किया गया। इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के शीर्ष कमांडरों और मुख्यालयों को निशाना बनाया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे ऑपरेशन पर निजी निगरानी रखी और एक-एक गतिविधि पर लगातार फीडबैक लेते हुए दिशा-निर्देश दिए। यह सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि कूटनीतिक रूप से भी एक शक्तिशाली संदेश था।
‘संयम से सख्ती’ की नीति: सेना का स्पष्ट रुख
रक्षा मंत्रालय ने साफ किया है कि यह ऑपरेशन पूरी तरह आतंकवाद के खिलाफ था—न युद्ध का एलान, न उकसावे की मंशा। पाकिस्तानी सेना या सरकार की किसी इकाई को निशाना नहीं बनाया गया, केवल और केवल उन्हीं संरचनाओं को टारगेट किया गया जहां से भारत पर हमलों की योजना बनाई जाती थी। यह “Not escalation, only elimination” की रणनीति थी।
पहलगाम का बदला, आतंकियों का अंत
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय पर्यटकों और एक नेपाली नागरिक की मौत ने पूरे देश को दहला दिया था। उस हमले का उत्तर अब आतंकवादियों को सीधे उन्हीं की ज़मीन पर दिया गया है। ऑपरेशन सिंदूर ने साफ कर दिया है कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा, बल्कि ठोस और ठोस तरीकों से जवाब देगा।
देश और दुनिया के लिए एक संदेश
‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक सैन्य मिशन नहीं, बल्कि एक नीति का विस्तार है—जिसमें आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की भावना है। इस कार्रवाई ने न केवल आतंकी ठिकानों को मिटा दिया, बल्कि पाकिस्तान को यह भी साफ संदेश दे दिया कि अब हर हमले की कीमत चुकानी होगी।