चंडीगढ़, 3 मई: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भयावह आ*तंकी हमले ने भारत ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी झकझोर दिया है। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत ने दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ फिर से एकजुटता की मांग को जन्म दिया है। भारत के इस दुखद क्षण में, अमेरिका ने स्पष्ट और प्रभावशाली शब्दों में अपना रुख सामने रखते हुए पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना “पूर्ण समर्थन” देने की घोषणा की है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने गुरुवार को वाशिंगटन डीसी में आयोजित एक प्रेस ब्रीफिंग में स्पष्ट किया कि अमेरिका, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ पूरी मजबूती से खड़ा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका का पूरा समर्थन प्राप्त है और भारत की सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालने वाली किसी भी आतंकवादी गतिविधि के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा।
ब्रूस ने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से अलग-अलग बातचीत की है। उन्होंने दोनों देशों से अपील की कि वे तनाव को नियंत्रित करें और ऐसे समाधान की दिशा में आगे बढ़ें जिससे दक्षिण एशिया में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता बनी रह सके। अमेरिका ने दोनों देशों के साथ विभिन्न स्तरों पर संपर्क बनाए हुए हैं और स्थिति पर “गहरी नजर” रखी जा रही है।
प्रवक्ता ब्रूस ने यह भी बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच भी हाल ही में फोन पर बातचीत हुई थी, जिसमें ट्रंप ने पहलगाम हमले की निंदा की थी और मोदी को आश्वस्त किया था कि अमेरिका भारत के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि यह हमला मानवता के खिलाफ है और अमेरिका चाहता है कि इसके दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए।
विदेश मंत्री रुबियो ने भारत के साथ फोन पर हुई बातचीत में इस भीषण आतंकी हमले को “अत्यंत दर्दनाक” बताया और अमेरिका की ओर से संवेदनाएं प्रकट कीं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका भारत के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को और प्रभावी बनाएगा। उनकी बातचीत में खासतौर पर यह बात दोहराई गई कि हमलावरों, उनके मददगारों और इस हमले की साजिश रचने वालों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।
एस. जयशंकर ने भी इस चर्चा की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा कि उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो से पहलगाम हमले पर विस्तार से चर्चा की, और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
दूसरी ओर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ हुई बातचीत में रुबियो ने साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान को इस हमले की निंदा करनी चाहिए और इसकी निष्पक्ष जांच में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने पाकिस्तान से अपील की कि वह तनाव कम करने के लिए भारत के साथ संवाद स्थापित करे और क्षेत्रीय शांति बनाए रखने में सकारात्मक भूमिका निभाए।
अमेरिका की इस स्पष्ट कूटनीतिक भाषा से यह साफ हो गया है कि वह अब आतंकवाद को लेकर ढुलमुल रवैया नहीं अपनाएगा। पाकिस्तान के लिए यह स्थिति असहज हो सकती है, क्योंकि अमेरिका ने प्रत्यक्ष रूप से यह मांग की है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वह पूरी तरह सहयोग करे और आतंकियों को संरक्षण देने की नीति को छोड़े।
यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने भारत को इस प्रकार का समर्थन दिया हो, लेकिन इस बार के बयान में जो स्पष्टता और दृढ़ता है, वह उल्लेखनीय है। इससे यह संकेत भी मिलता है कि यदि भारत आतंकवाद के खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाता है, तो उसे अमेरिका का नैतिक और कूटनीतिक समर्थन अवश्य प्राप्त होगा।