चंडीगढ़, 27 मई: हरियाणा की राजधानी पंचकूला की पावन भूमि पर सोमवार की संध्या एक अत्यंत भावनात्मक और ऐतिहासिक क्षण साक्षी बना, जब प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और कथा वाचक, पूज्य पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के श्रीमुख से निकली ‘श्री हनुमान कथा’ का श्रवण किया। बाबा बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के चरणों में पहुँचकर उन्होंने विधिवत रूप से उनका स्वागत किया और आशीर्वाद प्राप्त किया।
मुख्यमंत्री ने इस पावन अवसर को “आध्यात्मिक चेतना का पर्व” बताते हुए कहा कि यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष की सनातन संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना का उत्सव है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “यह कथा एक सभा मात्र नहीं, यह संस्कृति, श्रद्धा और संकल्प का महासंगम है। आज पंचकूला की धरती धर्म की ध्वनि से गुंजायमान है।”
“यह कथा नहीं, राष्ट्र का नवजागरण है”
मुख्यमंत्री ने बाबा बागेश्वर धाम के प्रति अपने गहन आदर भाव प्रकट करते हुए कहा कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कथा को केवल धार्मिक बंधन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे राष्ट्र-निर्माण और जन-जागरण का माध्यम बना दिया है। उन्होंने कहा, “आपकी वाणी में वेदों का प्रतिध्वनि है, आपकी बातों में राष्ट्र के प्रति निष्ठा झलकती है। आपने युवाओं को धर्म से जोड़कर उनमें संयम, सेवा और राष्ट्रभक्ति का संचार किया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि जब युवा हनुमान जी की भक्ति से प्रेरित होता है, तब वह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय उत्तरदायित्वों को भी समझता है। श्रीराम का आदर्श जीवन और हनुमान जी की निष्काम सेवा आज के युवाओं के लिए प्रकाश स्तंभ बन सकते हैं।
हनुमान जी: आज के भारत के प्रेरणास्त्रोत
मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि श्री हनुमान जी महज शक्ति और पराक्रम के प्रतीक नहीं, बल्कि आज के भारत के लिए एक नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक हैं। उन्होंने कहा, “हनुमान जी का जीवन हमें सिखाता है कि कैसे निस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्य को निभाया जाए। उनका चरित्र हमें मर्यादा, सेवा और लक्ष्य के प्रति समर्पण का संदेश देता है।”
रामराज्य की भावना और मोदी सरकार का मूलमंत्र
उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विकास मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास’ को भी श्रीराम के आदर्श शासन के समकक्ष बताया। “रामराज्य कोई कल्पना नहीं, यह एक व्यावहारिक सामाजिक व्यवस्था है जिसमें न्याय, धर्म, नीति और सेवा का सामंजस्य होता है।”
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उस ऐतिहासिक छलावे की ओर भी संकेत किया जब विदेशी शक्तियों ने भारत के धर्म और विज्ञान को एक-दूसरे से अलग करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, “आज संत धीरेंद्र शास्त्री जैसे महापुरुषों की साधना और प्रयासों ने सिद्ध कर दिया है कि धर्म, विज्ञान और संस्कृति हमारे देश के स्वभाव में रचे-बसे हैं।”
भारत का भविष्य: आधुनिकता के साथ अध्यात्म
उन्होंने भविष्य की कल्पना करते हुए कहा कि भारत एक ऐसा राष्ट्र बनेगा जो तकनीकी रूप से उन्नत भी होगा और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध भी। “हमारा देश डिजिटल भी होगा और दिव्य भी। विज्ञान और वेद एक साथ चलेंगे। इसमें संतों और तीर्थस्थलों का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहेगा।”
संतों की विरासत: समाज की सामूहिक धरोहर
मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि सरकार ‘संत-महापुरुष विचार सम्मान एवं प्रसार योजना’ के माध्यम से संतों के विचारों को जन-जन तक पहुँचाएगी। उन्होंने कहा, “संतों की वाणी, उनके विचार, केवल किसी एक धर्म के लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत हैं। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इस विरासत को संरक्षित करें और आगे बढ़ाएं।”
इस भव्य अवसर पर कृषि मंत्री श्री श्याम सिंह राणा, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव श्री तरुण भंडारी, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता, पूर्व मंत्री श्री मनीष ग्रोवर सहित कई गणमान्य अतिथि भी उपस्थित रहे।