चंडीगढ़, 13 जून: अयोध्या में प्रभु श्रीराम के भक्तों की आस्था और भक्ति ने एक बार फिर अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच केवल तीन महीनों में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को 2.370 किलोग्राम सोना और 83.330 किलोग्राम चांदी का दान मिला है — कुल मिलाकर 85.7 किलोग्राम कीमती धातु भगवान रामलला को समर्पित की गई है।
यह जानकारी 7 जून को हुई ट्रस्ट की बैठक में महासचिव चंपत राय ने साझा की। उन्होंने बताया कि यह भव्य दान देशभर के 334 श्रद्धालुओं द्वारा व्यक्तिगत रूप से मंदिर परिसर पहुंचकर अर्पित किया गया।
रामलला के लिए विशेष समर्पण केंद्र
राम मंदिर परिसर में तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए एक समर्पण केंद्र स्थापित किया गया है, जहां भक्त अपने आभूषण, सिक्के या धातु भेंट कर सकते हैं। दान देने के तुरंत बाद कंप्यूटराइज्ड रसीद प्रदान की जाती है, जिससे पारदर्शिता और श्रद्धालुओं का विश्वास दोनों बना रहे।
धातुओं की शुद्धता की वैज्ञानिक जांच
दान में मिले सोना-चांदी की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए यह जिम्मेदारी भारत सरकार की संस्था सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SPMCIL) को दी गई थी।
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SPMCIL की टीम पिछले एक साल से अयोध्या में तैनात थी।
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उन्होंने धातुओं की जांच, गलाने और शुद्धिकरण की पूरी प्रक्रिया को नियंत्रित किया।
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लेकिन हाल ही में संस्था ने अपने कर्मचारियों को वापस बुला लिया है, क्योंकि उनका अनुबंध समाप्त हो चुका है।
अनुबंध का नवीनीकरण – नई व्यवस्था की ओर कदम
भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र ने SPMCIL के साथ नए शर्तों पर अनुबंध नवीनीकरण का सुझाव दिया है। इस दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। जब तक नया अनुबंध नहीं हो जाता, तब तक श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अपने कर्मचारियों की नियुक्ति कर धातुओं की जांच की प्रक्रिया जारी रखेगा।
SPMCIL ने आश्वासन दिया है कि यदि आवश्यकता पड़ी, तो वे दोबारा अपनी सेवाएं देने को तैयार रहेंगे।
भक्ति और विश्वास के आंकड़ों में झलकता योगदान
अवधि | समर्पित सोना | समर्पित चांदी | कुल समर्पण |
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Nov 2024 – Feb 2025 | 2.370 किलोग्राम | 83.330 किलोग्राम | 85.7 किलोग्राम |
कुल श्रद्धालु | — | — | 334 |
यह केवल धातुओं का समर्पण नहीं, बल्कि भक्तों की भावना, श्रद्धा और आस्था का अमूल्य प्रतीक है। रामलला के प्रति देशभर के श्रद्धालुओं में जो श्रद्धा है, वह दिनोंदिन और भी प्रबल होती जा रही है।