शराब नीति घोटाले में ईडी ने

नई दिल्ली

कथित शराब घोटाले ने मनीष सिसोदिया, संजय सिंह के बाद ना सिर्फ अरविंद केजरीवाल को मुश्किल में डाल दिया है, बल्कि आम आदमी पार्टी (आप) संकट में घिर गई है। कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग में दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ केस में ईडी ने आम आदमी पार्टी की तुलना एक ‘कंपनी’ से की है तो राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को इसका डायरेक्टर/CEO बताया है।

प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को केजरीवाल की रिमांड मांगते हुए स्पेशल कोर्ट में कहा, ‘इस तरीके से आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया और इसलिए प्रिवेंसन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) की धारा 70 के तहत मामला बनता है।’ पीएमएलए की यह धारा कंपनियों से संबंधित मामलों में लगाई जाती है। एजेंसी का कहना है कि ‘कंपनी’ का मतलब किसी भी कॉर्पोरेट, फर्म या ऐसे किसी भी व्यक्तियों के समूह वाले संगठन से है।  

क्या है PMLA की धारा 70
पीएमएलए की धारा 70 कंपनियों की तरफ से किए गए अपराधों से संबंधित है। यह धारा उस समय लगाई जाती है जहां यह साबित हो जाता है कि उल्लंघन किसी कंपनी निदेशक, प्रबंधक, सचिव या किसी अन्य अधिकारी की सहमति या मिलीभगत से हुआ है, या उसकी ओर से किसी भी उपेक्षा के कारण है। ईडी ने कहा, ऐसे में निदेशक या अन्य अधिकारी को भी उल्लंघन का दोषी माना जाएगा। इसमें अधिनियम के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और दंडित किया जाएगा।

ईडी ने कहा, ‘अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी की बड़ी गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। वह संस्थापक सदस्य हैं और नीति निर्माण में शामिल हैं। वह रिश्वत की मांग में भी शामिल हैं। पीएमएलए के तहत अपराध के वक्त ‘कंपनी’ जोकि AAP है के प्रभारी और कामकाज के लिए जिम्मेदार थे।’ एजेंसी का कहना है कि शराब घोटाले से मिली रकम का इस्तेमाल पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए किया गया। एजेंसी ने दावा किया कि 45 करोड़ रुपए हवाला के जरिए गोवा में प्रचार के लिए भेजे गए थे।

AAP पर मुकदमा चलाने की तैयारी
आप के कोषाध्यक्ष एन डी गुप्ता, एक प्रमुख चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। उन्हें हाल ही में दूसरे कार्यकाल के लिए राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था। गुप्ता ने ईडी के जांच अधिकारियों के सामने कहा था कि केजरीवाल राष्ट्रीय संयोजक, मुख्यमंत्री और सरकार का मुखिया होने के नाते पार्टी के फैसले लेते हैं। साथ ही नीतियां भी तय करते हैं। ईडी का मत है कि AAP को कठोर पीएमएलए के तहत मुकदमा चलाने वाला पहला राजनीतिक संगठन बनाना चाहिए। ईडी के अनुसार पीएमएल का प्रावधान ‘अपराध की आय’ के बराबर संपत्तियों की कुर्की का प्रावधान करता है। साथ ही इसमें चुनाव आयोग (ईसी) की ओर से कार्रवाई भी हो सकती है।

एजेंसी का कहना है कि इस तरह केजरीवाल और आम आदमी पार्टी दोनों पर पीएमएल की धारा-70 के तहत केस बनता है। यह पहली बार है जब पीएमएलए केस में किसी राजनीतिक दल को शामिल बताया गया है। जानकारों का कहना है कि ईडी के ताजा रुख से आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है।  पार्टी के दफ्तर को जब्त किया जा सकता है। यदि ईडी की ओर से लगाए गए आरोप सच पाए जाते हैं तो चुनाव आयोग की ओर से पार्टी की मान्यता तक रद्द की जा सकती है। हालांकि, अभी ईडी ने ‘आप’ के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया है। पार्टी के भविष्य का फैसला आने वाले समय में अदालती फैसलों पर निर्भर करेगा।

कंपनी का मतलब क्या है?
एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि “कंपनी” का अर्थ किसी भी कॉर्पोरेट निकाय से है और इसमें एक फर्म या व्यक्तियों का अन्य संघ शामिल है; और किसी फर्म के संबंध में “निदेशक” का अर्थ फर्म में भागीदार है। AAP एक राजनीतिक दल है जिसमें जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29-ए के तहत पंजीकृत व्यक्तियों का संघ शामिल है। अधिनियम के तहत, केवल भारत के व्यक्तिगत नागरिकों का कोई संघ या निकाय ही राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकता है। इसी प्रकार आम आदमी पार्टी ऐसे व्यक्तियों का संगठन है।

सीएम केजरीवाल पर क्या हैं आरोप
ईडी का कहना है कि इस मामले में अरविंद केजरीवाल न केवल AAP के पीछे की सोच थे, बल्कि इसकी प्रमुख गतिविधियों को भी नियंत्रित करते हैं। केजरीवाल इसके संस्थापक सदस्यों में से एक थे। साथ ही नीति के निर्णय लेने में भी शामिल थे, जैसा कि गवाहों के बयानों से पता चलता है। ईडी का दावा है कि वह हैं रिश्वत की मांग में भी शामिल है, जिसने अन्य बातों के साथ-साथ अपराध को और बढ़ावा दिया है। जांच एजेंसी ने आगे स्प्ष्ट किया कि पीएमएलए के तहत अपराध के समय केजरीवाल उक्त ‘कंपनी’ यानी आप के बिजनेस के संचालन के लिए इसके प्रभारी और जिम्मेदार थे। एजेंसी ने कहा कि इसलिए, न केवल AAP बल्कि केजरीवाल को भी अपराध का दोषी माना जाएगा। ऐसे में पीएमएलए की धारा 70 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है और सजा मिल सकती है। ईडी के अनुसार केजरीवाल को पीएमएलए के उल्लंघन के बारे में पता था। उन्होंने इस तरह के उल्लंघन को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किया।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
रिपोर्ट के अुसार भले ही मौजूदा कानूनों और नियमों में भ्रष्टाचार के आधार पर किसी पार्टी की मान्यता रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं है लेकिन संविधान का अनुच्छेद 324 (जो ईसी को चुनावों का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण प्रदान करता है) चुनाव आयोग को व्यापक शक्तियां देता है। चुनाव आयोग के पूर्व वरिष्ठ कानूनी सलाहकार एसके मेंदीरत्ता ने पहले कहा था, विवेक का प्रयोग करें और भ्रष्टाचार के लिए एक पार्टी की मान्यता रद्द करें। एजेंसी ने विशेष पीएमएलए जज को बताया कि दिल्ली के शराब मामले में मिली ‘अपराध की आय’ से AAP प्रमुख लाभार्थी थी। ईडी ने कहा कि अपराध से प्राप्त 45 करोड़ रुपये की नकदी का एक हिस्सा 2022 में गोवा विधानसभा चुनाव में आप के चुनाव अभियान में इस्तेमाल किया गया है।

 

तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव लड़ रहीं वीरप्पन की बेटी विद्या रानी

चेन्नई
कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन की बेटी विद्या रानी तमिलनाडु में 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाएंगी. वह नाम तमिझार काची (NTC) की तमिल राष्ट्रवादी पार्टी के टिकट पर कृष्णागिरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी. पेशे से वकील, विद्या रानी जुलाई 2020 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुईं थीं. यहां उन्हें तमिलनाडु बीजेपी युवा शाखा के उपाध्यक्ष का पद मिला था, लेकिन हाल ही में अभिनेता-निर्देशक सीमान के नेतृत्व वाले एनटीके में शामिल होने के लिए उन्होंने बीजेपी छोड़ दी थी.

40 उम्मीदवारों में से आधी महिलाएं

सीमान ने चेन्नई में एक जनसभा में तमिलनाडु और पुडुचेरी में चुनाव लड़ रहे सभी 40 उम्मीदवारों का परिचय देते हुए बताया कि विद्या रानी कृष्णागिरी से एनटीके की उम्मीदवार होंगी.” एनटीके के 40 उम्मीदवारों में से आधी महिलाएं हैं. यह पार्टी लिट्टे नेता वेलुपिल्लई प्रभाकरन की प्रशंसा करने को लेकर विवादित रही है.

कृष्णागिरि में बच्चों का स्कूल चलाती हैं विद्या रानी

पेशे से वकील विद्या रानी, कृष्णागिरि में बच्चों का एक स्कूल चलाती हैं और बेंगलुरु से उनका गहरा नाता है क्योंकि उन्होंने शहर में पांच साल का लॉ कोर्स किया था. यहां उनके कई दोस्त भी हैं. हालांकि वह अपने पिता वीरप्पन से केवल एक बार मिली है. विद्या रानी कहती हैं कि पिता वीरप्पन ने ही उनके जीवन को नई दिशा दी. वह कहती हैं कि जब वह तीसरी कक्षा में थीं तब तमिलनाडु-कर्नाटक सीमा पर गोपीनाथम में अपने दादा के घर पर अपने पिता से पहली और आखिरी बार मिलीं थीं.

पिता को देती हैं अपनी कामयाबी का श्रेय

विद्या रानी कहती हैं कि मैंने पिता से मुलाकात में करीब 30 मिनट तक उनसे बात की और वह बातचीत अब भी मेरे दिमाग में ताजा है. उन्होंने मुझे पकड़कर डॉक्टरी की पढ़ाई करने और लोगों की सेवा करने के लिए कहा था. उन्होंने मुझे मेहनत करके नाम कमाने के लिए कहा था. आज मैं अपनी जिंदगी में जहां हूं वहां तक पहुंचाने में उनकी उन्हीं बातों ने अहम भूमिका निभाई है.

अनंतनाग जिले में आतंकवादियों के दो सहयोगियों को हथियारों और गोला-बारूद के साथ गिरफ्तार किया

श्रीनगर
सुरक्षा बलों ने रविवार को कहा कि उसने जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में आतंकवादियों के दो सहयोगियों को हथियारों और गोला-बारूद के साथ गिरफ्तार किया है। सेना ने कहा कि सुरक्षा बलों ने जिले के लुखभवन और लारकीपोरा इलाकों में रात को ऑपरेशन चलाया, इस दौरान दोनों को गिरफ्तार किया गया।

जब्त किए गए हथियारों और गोला-बारूद में एक पिस्तौल, हथगोला, आईईडी और अन्य सामग्री शामिल हैं। सेना ने कहा कि आगे की जांच जारी है। गिरफ्तार किए गए दोनों आतंकवादी किस आतंकी संगठन से जुड़े हुए हैं, ये जानकारी अभी सामने नहीं आई है।

पूर्व वायुसेना प्रमुख RKS भदौरिया BJP में हुए शामिल, बोले- सेना को सशक्त करने का काम हुआ

नई दिल्ली

पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल (रिटायर्ड) राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने भाजपा का दामन थाम लिया है। अक्टूबर 2019 में उन्होंने वायुसेना की कमान संभाली थी। उससे पहले वह उप वायुसेना प्रमुख थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके इसकी जानकारी दी है। भदौरिया के साथ पूर्व सांसद तिरुपति श्री वाराप्रसाद राव ने भी भाजपा की सदस्यता ली। जानकारों का कहना है कि भाजपा प्रत्याशियों की अगली सूची में भदौरिया का नाम शामिल कर सकती है। कयास हैं कि उन्हें गाजियाबाद की सीट से पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह की जगह से उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

इस दैरान मंत्री अनुराग ठाकुर और महामंत्री विनोद तावडे ने दोनों नेताओं का स्वागत किया. अनुराग ठाकुर ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक दल में आने पर आर के भदौरिया और वी प्रसाद राव का स्वागत है. उन्होंने कहा कि पूर्व एयर चीफ मार्शल आर के भदौरिया की आत्मनिर्भर भारत के अभियान में काफी सक्रियता रही है. और अब उनका योगदान पॉलिटिकल सिस्टम में होने जा रहा है.

‘देश मोदीजी के नेतृत्व में सुरक्षित है’

वहीं वी प्रसाद राव राव को लेकर उन्होंने कहा कि प्रसाद राव मोदीजी के विकसित भारत के संकल्प के सपने को साकार करने के लिए बीजेपी में आए हैं. अनुराग ठाकुर ने सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि देश मोदीजी के नेतृत्व में सुरक्षित है. यही वजह है कि आर के भदौरिया सर जैसे लोग बीजेपी में शामिल हो रहे हैं.

‘PM के विकसित भारत के संकल्प को पूरा करेंगे’

बीजेपी में शामिल होने के बाद पूर्व वायुसेना अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने पीएम नरेंद्र मोदाी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि एक बार फिर राष्ट्र निर्माण में योगदान करने का अवसर देने के लिए वो पार्टी नेतृत्व को धन्यवाद देते हैं. पूर्व वायुसेना अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने चार दशक से अधिक समय तक भारतीय वायुसेना की सेवा की. लेकिन उनकी सेवा का सबसे अच्छा समय बीजेपी सरकार के नेतृत्व में पिछले 8 साल थे.

इसके आगे उन्होंनेकहा कि देश के सशस्त्र बलों को सशक्त बनाने और आधुनिकीकरण करने साथ ही उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस सरकार द्वारा उठाए गए कदमों न सिर्फ सेना की क्षमता को बढ़ाया बल्कि उनमें नया आत्मविश्वास भी आया है. उन्होंने कहा कि सरकार के आत्मनिर्भर कदम के नतीजे जमीन पर दिख रहे हैं. सुरक्षा की दृष्टि से सरकार जो कदम उठा रही है बहुत महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने ये भी कहा कि विकसित भारत का संकल्प विश्व स्तर पर भारत को अलग पहचान देगा. वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को पूरा करेंगे.

 

दुश्मनों से रक्षा करते हुए सभी सैनिक हमारे लिए किसी रक्षक देवता से कम नहीं- रक्षा मंत्री सिंह

नई दिल्ली
 रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को चीन की सीमा पर लेह (लद्दाख) में सशस्त्र बल के जवानों के साथ होली मनाई। रक्षा मंत्री ने जवानों को रंग-गुलाल लगाकर और मिठाई खिलाकर उन्हें होली की बधाई दी। पहले उन्हें सियाचिन में सैनिकों के साथ होली मनाने के लिए जाना था लेकिन आज सुबह विपरीत मौसम के चलते अचानक उनका कार्यक्रम बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारे देवी-देवता किसी न किसी तरीके से हमारी रक्षा ही करते हैं। उसी तरह दुश्मनों से हमारी रक्षा करते हुए सभी सैनिक भी हमारे लिए किसी रक्षक देवता से कम नहीं हैं।

रक्षा मंत्री दीपावली और होली का त्योहार देश की किसी न किसी सीमा पर जाकर सैनिकों के साथ मनाते हैं। उन्होंने पिछले साल 06 मार्च को स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस ‘विक्रांत’ पर तैनात नौसैनिकों को गुलाल लगाकर उनके साथ होली की खुशियां साझा कीं थीं। इस बार उन्हें दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात जवानों के साथ होली मनाने के लिए जाना था लेकिन विपरीत मौसम के चलते राजनाथ सिंह उत्तरी सीमा पर लेह (लद्दाख) में सशस्त्र बल के जवानों के साथ होली मनाने के लिए पहुंचे।

होली से एक दिन पहले रक्षा मंत्री ने जवानों को रंग-गुलाल लगाया और त्योहार की बधाई दी। उन्होंने कहा कि पांच साल पहले रक्षा मंत्रालय का दायित्व मिलने के बाद मेरा पहला दौरा सियाचिन का ही हुआ था। आज मौसम खराब होने के कारण सियाचिन जाना संभव नहीं हो पाया, इसलिए वहां तैनात सभी सैनिकों को यहीं लेह से होली की शुभकामनाएं देता हूं। वैसे तो अनेक अवसरों पर सेना के जवानों से मिलता रहता हूं लेकिन होली के अवसर पर आप लोगों से मिलना और आपके साथ होली खेलना मेरे लिए सबसे सुखद क्षणों में से एक है।

उन्होंने कहा कि आप सभी सैनिक होने के नाते भारत के प्रत्येक परिवार के सदस्य हैं। मैं भारत के सभी परिवारों के प्रेम का रंग लिए आपके बीच आया हूं। आप भले ही मुझे रक्षा मंत्री के रूप में यहां देख रहे हैं लेकिन मैं आपके स्वजन के रूप में होली के दिन अपने परिवार वालों से मिलने आया हूं। मैं देशवासियों की होली की शुभकामनाओं के साथ-साथ आपके लिए उनका आशीर्वाद लाया हूं। भारतीय सेना इच्छाशक्ति और साहस का दूसरा नाम है। आपके बीच आकर मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरे रगों में रक्त की नई धारा का संचार होने लगा है। आप जिस ऊंचाई पर खड़े होकर इतनी विषम परिस्थिति में देश की सेवा करते हैं, वह अतुलनीय है।

राजनाथ ने कहा कि हड्डियों को कंपा देने वाली सर्द हवाएं जब इन वादियों में बहती हैं, तो हर कोई अपने घरों में दुबक जाना चाहता है। इसके बावजूद विपरीत परिस्थिति में भी आप मौसम से लोहा लेकर दुश्मन की आंखों में आंखें डालकर खड़े होते हैं। इस अटूट इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करने के लिए देश सदैव आपका ऋणी रहेगा। आने वाले समय में जब राष्ट्रीय सुरक्षा का इतिहास लिखा जाएगा, तब बर्फीले ठंडे ग्लेशियर में उबाल लाने वाली आपकी वीरता के कार्यों को गौरव के साथ याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी त्योहार पहले सियाचिन और कारगिल की चोटियों पर, राजस्थान के तपते रेतीले मैदान में, हिंद महासागर की गहराई में स्थित पनडुब्बी में सवार भारतीय नौसैनिकों के साथ मनाए जाने चाहिए।

 

 

फोन टैपिंग मामला: तेलंगाना में दो पुलिस अधिकारी गिरफ्तार

हैदराबाद
फोन टैप करने और कुछ कंप्यूटर सिस्टम एवं आधिकारिक डेटा को नष्ट करने के आरोप में हैदराबाद पुलिस ने दो और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया है।

हैदराबाद पुलिस की एक आधिकारिक विज्ञप्ति में शनिवार देर रात बताया गया कि जांच के दौरान, अतिरिक्त डीसीपी (पुलिस उपायुक्त) तिरुपथन्ना और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एन. भुजंग राव को गिरफ्तार कर लिया गया।

दोनों पुलिस अधिकारी क्रमश विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) और खुफिया विभाग में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में काम कर चुके हैं।

अधिकारियों पर एसआईबी के निलंबित डीएसपी डी. प्रणीत राव के साथ मिलीभगत करने का आरोप है, जिन्हें हैदराबाद पुलिस ने विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से खुफिया जानकारी मिटाने के साथ-साथ पिछली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार के दौरान कथित फोन टैप करने के लिए गिरफ्तार किया था।

विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘पूछताछ के दौरान, दोनों पुलिस अधिकारियों ने अपराधों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है, जिसमें अपने आधिकारिक पदों का इस्तेमाल करके निजी व्यक्तियों पर अवैध रूप से नजर रखने की साजिश करना और गिरफ्तार किए जा चुके निलंबित डीएसपी डी. प्रणीत कुमार उर्फ प्रणीत राव तथा कुछ अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर अपनी संलिप्तता को छुपाने के लिए सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करके सबूत मिटाना शामिल है।”

विज्ञप्ति में कहा गया है कि मामले की जांच जारी है।

पुलिस ने पहले कहा था कि 13 मार्च को अज्ञात व्यक्तियों की प्रोफाइल बनाने और कुछ कंप्यूटर सिस्टम व आधिकारिक डेटा को नष्ट करने के अलावा गुप्त, अनधिकृत और अवैध रूप से उसकी निगरानी करने के आरोपी प्रणीत राव को गिरफ्तार किया गया।

राव को हाल में तेलंगाना सरकार ने निलंबित कर दिया था। वह पिछली बीआरएस सरकार के दौरान डीएसपी थे और बाद में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के कार्यालय में कार्यरत थे। उन पर पहले विपक्षी दल के नेताओं के फोन टैप करने का आरोप लगा था।

दस मार्च को एसआईबी के एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक की शिकायत के आधार पर, यहां पंजागुट्टा थाने में प्रणीत राव और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

 

 

खालिस्तानी आतंकी अर्शदीप दल्ला का ठिकाना कनाडा, भारत ने गिरफ्तार करने को कहा

नई दिल्ली

भारत सरकार ने कनाडा स्थित खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) के आतंकवादी अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श दल्ला के ठिकाने की जानकारी कनाडा सरकार को देते हुए उसकी गिरफ्तारी सुनिश्चिक करने को कहा है। आपको बता दें कि दल्ला के खिलाफ भारत में दर्ज मामलों की जांच एनआई कर रहा है। वह कई मामलों में वांटेड है। भारतीय एजेंसियों ने उसे भगोड़ा घोषित किया था।

भारतीय एजेंसियों ने कुछ तस्वीरों के साथ उसकी कार और वर्तमान पते की सटीक जानकारी कनाडा की सरकार को दी है। सूत्र ने कहा, ”एनआईए ने गृह मंत्रालय के माध्यम से विदेश मंत्रालय (एमईए) से संपर्क किया। इसके बाद दिल्ली स्थित दूतावास के माध्यम से कनाडा की सरकार से संपर्क किया गया और दल्ला को अस्थायी तौर पर गिरफ्तारी करने के लिए कहा है।”

सूत्र ने बताया कि पुख्ता सबूत देने के बाद भी कनाडा की सरकार के द्वारा अर्श दल्ला के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कनाडा दूतावास को भेजी गई क्वेरी का भी कोई जवाब नहीं मिला है।

2020 तक दल्ला पंजाब स्थित गैंगस्टरों के साथ काम कर रहा था। बाद में वह कनाडा चला गया जहां उसने केटीएफ प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर के साथ काम करना शुरू कर दिया। वह निज्जर के लिए आतंकी मॉड्यूल चलाना शुरू कर दिया।

आपको बता दें कि आतंकवादी निज्जर को पिछले साल 18 जून को एक गुरुद्वारे के परिसर में अज्ञात हमलावरों ने मार डाला था।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जघन्य अपराधों में उसकी संलिप्तता पाए जाने के बाद पिछले साल 9 जनवरी को दल्ला को आतंकवादी घोषित किया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “दल्ला आतंकी गतिविधियों के अलावा हत्या, जबरन वसूली और टारगेट किलिंग जैसे जघन्य अपराधों में शामिल है। वह आतंकियों को वित्तीय मदद देने के साथ-साथ पाकिस्तान से बड़े पैमाने पर ड्रग्स और हथियारों की तस्करी में भी शामिल है।” निज्जर की हत्या के बाद दल्ला केटीएफ के सभी ऑपरेशन संभाल रहा है। वह भारत में कुछ और हत्याओं को अंजाम देने की कोशिश कर रहा है।

दल्ला ने भारत में अपना ऑपरेशन जारी रखा है। पिछले साल सितंबर में कांग्रेस नेता बलजिंदर सिंह बल्ली की पंजाब के मोगा में उनके घर पर उनके दो सहयोगियों के साथ गोली मारकर हत्या कर दी थी। बल्ली की हत्या के कुछ घंटों बाद मोगा के डाला गांव के निवासी दल्ला ने फेसबुक पर इसकी जिम्मेदारी ली।
 

 

राज्य की मूलनिवासी महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया : धामी

देहरादून,
 उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने नेतृत्व वाली राज्य सरकार के कार्यकाल के दो साल पूरे होने पर  कहा कि सरकार राज्य के लोगों से किए गए वादों को पूरा कर रही है और विकास पथ पर तेजी से आगे बढ़ रही है।

पिछले दो वर्षों में अपनी सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए धामी ने कहा कि उत्तराखंड आजादी के बाद जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा, जिसके जरिए पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को सुरक्षा प्रदान की गई है।

उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा कि राज्य विधानसभा से पारित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक को पहले ही राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है और इसके कार्यान्वयन के लिए नियम बनने के बाद यह जल्द ही एक कानून बन जाएगा।

उन्होंने कहा कि राज्य की मूलनिवासी महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया गया है।

धामी ने कहा कि सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने का भी फैसला किया है।

उन्होंने कहा, ”सभी के सहयोग से राज्य हर क्षेत्र में प्रगति करेगा और 2025 तक समृद्ध, मजबूत व आत्मनिर्भर उत्तराखंड के निर्माण का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा।”

 

 

होली पर यात्रियों की भीड़भाड़ मैनेज करने के लिए रेलवे के व्यापक इंतजाम

नई दिल्ली
 होली पर यात्रियों की भारी भीड़भाड़ को देखते हुए रेलवे ने व्यापक तैयारियां की हैं। नॉर्दर्न रेलवे के दिल्ली डिवीजन ने होली के दौरान दो अप्रैल तक करीब 100 स्पेशल ट्रेन चलाने की योजना बनाई है। दिल्ली से बिहार के राजगीर, पटना, ओखा, आरा, गया, छपरा, जयनगर और मुजफ्फरपुर के लिए स्पेशल गाड़ियां चलाई जा रही हैं। इसके साथ ही वाराणसी, मुंबई सेंट्रल, पुरी, माता वैष्णो देवी जैसे दूसरे व्यस्त रूट्स पर भी फेस्टिव स्पेशल गाड़ियां चलाई जा रही हैं। नई दिल्ली और आनंद विहार स्टेशनों पर एक पैसेंजर होल्डिंग एरिया बनाया गया है ताकि प्लेटफॉर्म्स पर भीड़भाड़ को कम किया जा सके। बुकिंग के लिए एक्स्ट्रा बुकिंग काउंटर बनाए गए हैं।

दिल्ली डीआरएम के एग्जीक्यूटिव एडवाइजर प्रेम शंकर झा ने बताया कि होली पर यात्रियों की भीड़भाड़ को मैनेज करने के लिए रेलवे ने कई इंतजाम किए हैं। नई दिल्ली और आनंद विहार रेलवे स्टेशनों पर एक पैसेंजर होल्डिंग एरिया बनाया गया है। इसका मकसद प्लेटफॉर्म पर भीड़ कम करना है। पैसेंजर होल्डिंग एरिया में कवर्ड टेंट, लाइटिंग, फैन, टाइमटेबल दिखाने के लिए एलईडी स्क्रीन और मिनी कंट्रोल सेटअप की सुविधाएं दी गई हैं। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि पीक आवर्स में सभी बुकिंग और इनक्वायरी काउंटर्स पर कर्मचारी रहें। यात्रियों की सुविधा के लिए जहां भी जरूरी होगा, रिजर्वेशन के लिए अतिरिक्त काउंटर खोले जाएंगे। जरूरत के हिसाब से अतिरिक्त बुकिंग काउंटर खोले जाएंगे।

डॉक्टरों की तैनाती

दलालों और असामाजिक तत्वों को रोकने के लिए रिजर्वेशन ऑफिसेज में कमर्शियल, विजिलेंस इंस्पेक्टर्स और पुलिस की टीमों को तैनात किया गया है। इसी तरह 25 अप्रैल तक नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और आनंद विहार स्टेशनों पर डॉक्टरों की 25 अप्रैल तक तैनाती रहेगी। इसी तरह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में अजमेरी गेट और पहाड़गंज की तरफ एंबुलेंस लगाई गई है। हजरत निजामुद्दीन, पुरानी दिल्ली, आनंद विहार और पानीपत स्टेशनों पर भी एंबुलेस को तैनात किया गया है।

PM मोदी ने लोगों का अभिवादन करते हुए उनकी मूल भाषाओं में वाक्य बोलकर उनसे जुड़ने की कोशिश की

नईदिल्ली

साल था 1998 और मौका था लोकसभा चुनाव का. उस दौरान सत्ता में रहने की आदी रही कांग्रेस का पूरा जोर इस बात पर था कि कैसे भी करके फिर से सत्ता में आया जाए और सरकार बनाई जाए. आईके गुजराल की संयुक्त मोर्चा सरकार गिरने के बाद सोनिया गांधी कांग्रेस की स्टार प्रचारक थीं और अपनी प्लानिंग के तहत वह 138 हेलीपैड और लैंडिंग स्ट्रिप्स पर उतरीं और 1998 चुनाव में अपनी रैली के अंत तक, सोनिया गांधी ने तब 15 मिलियन लोगों को संबोधित किया था. 

जब सोनिया गांधी ने दिए थे हिंदी में भाषण
इस दौरान अपने भाषणों में उन्होंने हर बार स्थानीय बोलियों के मुताबिक लोगों का अभिवादन करते हुए संबोधनों की शुरुआत की और रोमन लिपि में अपने भाषणों के ड्राफ्ट पढ़ते हुए उन्होंने भारी-भरकम उच्चारण वाले शब्दों का प्रयोग करते हुए हिंदी में भाषण दिया.  जब सोनिया गांधी ने इस तरह बोलना शुरू करतीं तो एक विदेशी महिला को इस तरह हिंदी बोलते हुए लोग देखते रह जाते थे. सोनिया गांधी ने इसके लिए काफी प्रयास किए. वह जानती थीं कि अगर उन्हें अपने उस  ‘इटैलियन फ्रेम’ से निकलना है, जिसमें उनके प्रतिद्वंद्वी लगतार ढालने की कोशिश कर रहे हैं तो इसके लिए हिंदी कितनी जरूरी है. 

भाषाओं ने तय की है राज्यों की सीमाएं 
अब 2024 को देखें तो इन 25 वर्षों में, भाषा का खेल पूरी तरह से अलग लेवल पर पहुंच गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी इसमें बड़ी भूमिका निभा रहा है. भारत अनगिनत भाषाओं की भूमि है और इसके लिए कहा जाता है ‘कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी’. इसके साथ ही यह देश ऐसा भी है कि जहां राज्यों की सीमाओं का निर्धारण भी भाषाई आधार पर किया गया है. भाषाओं ने इसके इतिहास और राजनीति को भी आकार दिया है, चाहे वह द्रविड़ राज्यों में हिंदी विरोधी आंदोलन हो, असम में बंगाली विरोधी आंदोलन हो या फिर महाराष्ट्र ‘मराठा मानुष’ आंदोलन रहा हो.

टूरिस्ट भी इस फैक्ट को अच्छी तरह समझते हैं कि जब वह किसी स्थानीय भाषा में वहां के लोगों की तरह बोलने की कोशिश करते हैं तो इसकी काफी सराहना की जाती है और कभी-कभी इस सरहना का दायरा इतना बड़ा हो सकता है कि आपको किसी घर में आतिथ्य का लाभ मिल सकता है जिसमें स्थानीय स्वाद से भरपूर घर का खाना भी शामिल हो सकता है. 

जब 17 साल की उम्र में पीएम मोदी ने की यात्राएं
ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ 2019 के एक इंटरव्यू में पीएम मोदी ने बताया कि जब वह 17 साल के थे तो वह अकेले ही एक लंबी यात्रा पर निकल पड़े थे. उन्होंने पूरे देश के लोगों से मिलने की अपनी उत्सुकता के बारे में बात की. वडनगर के रहने वाले पीएम मोदी ने साल 1969 में, महज 17 वर्ष की उम्र में अपना घर छोड़ कर ऐसी यात्रा पर निकल पड़े थे, जिसने बाद में उनमें काफी बदलाव किए.

देश के हर हिस्से को यात्री के नजरिए से देख चुके हैं पीएम मोदी
उन्होंने राजकोट में रामकृष्ण मिशन आश्रम से शुरुआत की और कोलकाता के पास बेलूर मठ तक की यात्रा की. फिर उन्होंने गुवाहाटी की यात्रा की. बाद में वे स्वामी विवेकानन्द द्वारा अल्मोडा में स्थापित एक अन्य आश्रम में पहुंचे. प्रधानमंत्री बनने के बाद भी पीएम मोदी ने देश के सभी हिस्सों की यात्रा की है, चाहे वह किसी परियोजना का उद्घाटन करना हो, वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाना हो या किसी मंदिर के दर्शन करना हो. भारत के सबसे अधिक यात्रा करने वाले प्रधान मंत्री ने उस पूर्वोत्तर में रिकॉर्ड संख्या में यात्राएं की हैं, जो कि पहले केंद्र की प्रयोरिटी लिस्ट में नहीं रहा. 

जहां-जहां गए, बोली वहां की भाषा
प्रधान मंत्री के रूप में, मोदी ने लोगों का अभिवादन करते हुए उनकी मूल भाषाओं में कुछ वाक्य बोलकर उनसे जुड़ने की कोशिश की है. केरल के पथानामथिट्टा में पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत मलयालम में भीड़ को संबोधित करके की. भीड़ के जयकारे लगाते हुए उन्होंने मलयालम में कहा, “पथानामथिट्टा में लोगों का ये उत्साह देखकर मुझे विश्वास है कि केरल में ‘कमल’ खिलेगा.’ पेशे से सीए और बीजेपी सदस्य नरेश धनराज केला ने एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए लिखते हैं कि, “मैं इस बात की प्रशंसा करता हूं कि कैसे नरेंद्र मोदी जी हर राज्य की संस्कृति को पूरे दिल से अपनाते हैं.”

AI की मदद से भी ट्रांसलेट हो रहे हैं भाषण
दक्षिण भारत के पांच राज्यों के अपने पांच दिवसीय दौरे के दौरान पीएम मोदी ने स्थानीय भाषाओं में बात करने की कोशिश की. पहले पीएम के भाषणों का अनुवाद ट्रांसलेटर करते थे, लेकिन अब एआई की मदद भी ली जा रही है और सोशल मीडिया उनके उन भाषणों को बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध हो रहा है.

प्रधानमंत्री के पांच दिवसीय दौरे के दौरान, भारी भीड़ के बीच हिंदी में दिया गया प्रधानमंत्री के भाषण का एआई सॉफ्टवेयर की मदद से रियल टाइम में तमिल में अनुवाद किया गया. असल में यह प्रयोग पिछले साल दिसंबर में काशी तमिल संगमम में शुरू हुआ था.

कई अभियानों में किया AI का प्रयोग
इस दौरान पीएम मोदी ने उत्तर-दक्षिण की मिलीजुली भीड़ के सामने कहा ‘तमिलनाडु के लोगों से, मैं अनुरोध करता हूं कि वे पहली बार एआई तकनीक का उपयोग करके भाषण सुनने के लिए अपने इयरफ़ोन का उपयोग करें, यह मेरा पहला अनुभव है और भविष्य में इसका और भी प्रयोग करूंगा. अब  हमेशा की तरह, मैं हिंदी में बोलूंगा और एआई इसका तमिल में अनुवाद करेगा,” दिसंबर 2023 में उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि एआई के इस्तेमाल से मेरी आवाज को आप सभी तक आसानी से पहुंचने में मदद मिलेगी.” और उन्होंने अभियान के दौरान ऐसा किया भी है. 

बीजेपी ने पीएम मोदी के भाषणों को आठ क्षेत्रीय भाषाओं में प्रचारित करने के लिए अलग-अलग सोशल मीडिया हैंडल बनाए हैं. X पर ऐसे पांच हैंडल इस साल फरवरी में बनाए गए थे. सोशल मीडिया हैंडल पर प्रधानमंत्री के भाषण बांग्ला, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल और तेलुगु में उपलब्ध हैं.

ओडिशा में ओड़िया तो पश्चिम बंगाल में बांग्ला बोले पीएम
5 मार्च को जाजपुर में एक रैली में पीएम मोदी ने उड़िया में कहा, “एति उपस्थिता, समस्त भाई भूनि… मोरा नमस्कार.” उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत “जय जन्ननाथ, जय मां बिरजा, जय सिया राम” से की थी. जिस तरह वह हिंदी पट्टी में ‘जय सिया राम’ कहकर संबोधन की शुरुआत करते हैं, ठीक इसी तरह ओडिशा में उन्होंने ‘जय जगन्नाथ’ कहकर लोगों का अभिवादन किया और अपने भाषण की शुरुआत की. जहां कुछ मूल निवासी सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के उच्चारण का मजाक उड़ाते हैं, वहीं स्थानीय भाषाओं में बोलने के उनके प्रयास की आम तौर पर सराहना की जाती है. टूरिस्ट भी इस बात को समझते हैं कि स्थानीय भाषा में बात करने का प्रयास अधिक मायने रखता है, न कि परिष्कृत करना.

ओडिया बोलने में नवीन पटनायक को भी छोड़ा पीछे 
लोकल लोग इसकी सराहना करते हैं कि बाहरी लोग उनकी तरह स्थानीय भाषा-बोली में बोलने का प्रयास करते हैं, उनके लिए एक्सपर्ट होना मायने नहीं रखता. एक यूजर ने जाजपुर भाषण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “मोदी की ओडिया बोली,  नवीन पटनायक की ओडिया से बेहतर है.” उन्होंने इसकी तुलना ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से की. उड़िया लोगों के पसंदीदा होते हुए भी नवीन पटनायक को उड़िया में धाराप्रवाह बोलने के लिए संघर्ष करना पड़ा है. एक अन्य व्यक्ति ने मोदी के ओडिया बोलने को मुख्यमंत्री की ओडिया से बेहतर रेटिंग देते हुए कहा, “नवीना थू ता बेहतर ओडिया मोदी कहिला.”

एक अन्य व्यक्ति ने टिप्पणी की, “भाई ने संबलपुरी और उड़िया दोनों लहजे में बात की.” कई बार पीएम मोदी ‘एक राज्य, एक भाषा’ के बंधन से भी आगे निकल गए हैं.

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में वे बांग्ला और नेपाली दोनों बोलते थे. उत्तरी बंगाल हिल स्टेशन में काफी संख्या में नेपाली आबादी रहती है. प्रधान मंत्री ने बंगाली में कहा, “आमार प्रियो मां, भाई, दादा, दीदी एबोंग बोनेडर सादोर नोमोश्कर जनाई,” जिसके बाद उन्होंने नेपाली में “मेरो प्यारो अमा बाबा दाज्यू भाई दीदी बैनी सबाई लाई ढेरो ढेरो नमस्कार” भी कहा.

बहुत सावधानी से करते हैं बोली का चयन
यह सिर्फ भाषा नहीं है. पीएम मोदी जब किसी विशेष क्षेत्र में होते हैं तो बोली का चयन सावधानी से करते हैं. उन्होंने 6 मार्च को बिहार के बेतिया में एक रैली में भोजपुरी में कहा, “महर्षि वाल्मिकी के कर्मभूमि, माता सीता के शरणभूमि और लव कुश के ई भूमि पर, हम सबके प्रणाम करतानी.”  भोजपुरी मुख्य रूप से पश्चिमी बिहार के साथ-साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में बोली जाने वाली बोली है.

यह प्रधानमंत्री द्वारा मैथिली का उपयोग करने के विपरीत है, जो पूर्णिया सहित बिहार के मिथिला क्षेत्र में उपयोग की जाती है. पीएम मोदी ने 2015 में पूर्णिया में परिवर्तन रैली में भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, “सौर नदी के तट पर बसल, पूर्वी और पश्चिमी भारत के जोड़े वाला, पूर्णिया के ई पावन भूमि के नमन करइची.” 2015 और 2019 में दक्षिणपूर्वी बिहार के भागलपुर में दो रैलियों को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने लोगों का अभिवादन करने के लिए स्थानीय बोली अंगिका का भी इस्तेमाल किया.

बोली ही नहीं, पहनावा भी अपनाते हैं पीएम
चाहे वह शॉल हो या टोपी, प्रधानमंत्री लोगों के साथ दृश्य जुड़ाव के लिए स्थानीय पोशाक का भी उपयोग करते हैं. कोई भी विपक्षी नेता स्थानीय लोगों से जुड़ने के लिए किसी क्षेत्र की भाषा या पहनावे का उपयोग करने का इतना ठोस प्रयास नहीं करता है. इसकी तुलना कांग्रेस नेता राहुल गांधी से करें, जिनकी मां ने 1998 में जनता से जुड़ने के लिए स्थानीय बोलियों का इस्तेमाल किया था और हिंदी पर जोर दिया था.

राहुल गांधी की न्याय यात्रा से नदारद रही स्थानीयता
उनकी भारत जोड़ो यात्रा और बाद में हाल ही में महाराष्ट्र में समाप्त हुई भारत न्याय यात्रा के दौरान, यह पता लगाने का प्रयास करना पड़ा कि राहुल गांधी वास्तव में कहां हैं. इस दौरान न तो उनकी बोली में स्थानीयता की पहचान का लहजा सुनाई दिया और न ही कोई ऐसा दृश्य ही नजर आया. असम में राहुल वैसे ही दिखे और बोले जैसे बिहार में दिखे. एक यात्री और एक पर्यटक के बीच एक बड़ा अंतर है. जहां एक यात्री लोगों की ओर आकर्षित होता है, वहीं एक पर्यटक स्थान की ओर आकर्षित होता है. ऐसे समय में जब लोग बारीकी से जांच करते हैं कि क्या कोई राजनेता अपनी बात पर खरा उतरा है. पीएम मोदी जो कि कई भाषाओं में बात करते हैं इसमें उनके यात्री अतीत की भी बड़ी भूमिका है.

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