चंडीगढ़, 22 अप्रैल: हिमाचल की ठंडी वादियों में सियासी गर्मी तब और बढ़ गई जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शिमला में आयोजित एक प्रेस वार्ता में केंद्र की भाजपा सरकार पर जोरदार हमला बोला। नैशनल हैराल्ड मामले को लेकर गहलोत ने तीखा बयान देते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार गांधी परिवार के खिलाफ निरंतर षड्यंत्र रच रही है।
गहलोत ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “देश की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले गांधी परिवार के खिलाफ ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर झूठे मामले गढ़े जा रहे हैं। यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।”
प्रेस वार्ता के दौरान उनके साथ हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, और अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी मौजूद थे।
“नैशनल हैराल्ड सिर्फ एक अखबार नहीं, आज़ादी का प्रतीक है”
गहलोत ने कहा कि नैशनल हैराल्ड अखबार की स्थापना भारत की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई थी और यह अखबार उस दौर की आवाज़ बना था। “कांग्रेस पार्टी ने इस अखबार को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया ताकि देश की ऐतिहासिक विरासत बची रहे। मगर 11 साल बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट दायर कर भाजपा सरकार यह दिखा रही है कि विपक्षी नेताओं को किस तरह से दुश्मन की तरह देखा जा रहा है,” उन्होंने कहा।
“विरासत बचाने वाली कांग्रेस पर लगाए जा रहे बेबुनियाद आरोप”
अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस ने भारत की विरासत को सहेजने और उसे आगे बढ़ाने का काम किया है। लेकिन आज उस पार्टी और उसके नेतृत्व पर ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं जिनकी कोई बुनियाद नहीं है। उन्होंने कहा, “5,000 करोड़ रुपए के जिस तथाकथित घोटाले की बात की जा रही है, वह पूरी तरह मनगढ़ंत है। नैशनल हैराल्ड में कोई हितधारक एक रुपए का लाभ भी नहीं उठा सकता।”
“भाजपा की वॉशिंग मशीन में सब साफ”
गहलोत ने भाजपा की कार्यशैली पर तंज कसते हुए कहा कि, “अगर कोई भी भ्रष्टाचारी नेता भाजपा में शामिल हो जाता है तो वह ‘भाजपा की वॉशिंग मशीन’ में धुलकर साफ-सुथरा हो जाता है। यह दोहरे मापदंड और अवसरवादी राजनीति का उदाहरण है।”
उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र में कोई स्थायी नहीं होता। “मोदी जी भी परमानेंट नहीं हैं। सत्ता आती है और जाती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि विपक्ष की आवाज़ को दबाया जाए।”
“ईडी-सीबीआई का डर दिखाकर विपक्ष को नहीं दबाया जा सकता”
गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती का आधार है विपक्ष की स्वतंत्रता। उन्होंने आरोप लगाया कि आज की भाजपा सरकार केवल एकतरफा राजनीति करना चाहती है, और जो भी उनकी नीतियों के खिलाफ बोलता है, उसे जांच एजेंसियों के ज़रिए परेशान किया जाता है।
“देश जिस दिशा में जा रहा है, वह चिंताजनक है। विचारधारा का संघर्ष स्वस्थ लोकतंत्र का हिस्सा होता है, लेकिन आज इसे दुश्मनी में बदल दिया गया है,” उन्होंने कहा।
अशोक गहलोत के बयानों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में असहमति को अब देशविरोधी माना जाएगा? क्या विरोध का मतलब शत्रुता बन गया है? क्या जांच एजेंसियों का उपयोग राजनीतिक दबाव बनाने के लिए किया जाना उचित है?
यह प्रेस वार्ता केवल बयानबाज़ी नहीं थी, बल्कि भारतीय लोकतंत्र में घटती संवाद की संस्कृति और डर के माहौल पर एक सशक्त टिप्पणी थी।