चंडीगढ़, 10 अप्रैल: हरियाणा के रेवाड़ी जिले के भालखी माजरा गांव के वीर सपूत फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव के अदम्य साहस और बलिदान को नमन करते हुए, हरियाणा की स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव आज उनके आवास सेक्टर 18, रेवाड़ी पहुंचीं। मंत्री ने शहीद के परिजनों से मिलकर गहरा शोक प्रकट किया और सरकार की ओर से संवेदनाएं व्यक्त कीं।
वायुसेना के जगुआर विमान की एक नियमित प्रशिक्षण उड़ान के दौरान 2 अप्रैल की रात तकनीकी खराबी आने पर सिद्धार्थ यादव ने जो अकल्पनीय वीरता दिखाई, उसने उन्हें न केवल वायुसेना का नायक बना दिया, बल्कि देशवासियों के दिलों में एक अमर सपूत के रूप में स्थापित कर दिया।
आत्मबलिदान की अमर कहानी: को-पायलट को बचाकर खुद बने अमर
मंत्री आरती सिंह राव ने बताया कि जब उड़ान के दौरान विमान में तकनीकी गड़बड़ी आई, तब फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव ने अपने को-पायलट को सुरक्षित बाहर निकलने में मदद की। इसके बाद उन्होंने विमान को घनी आबादी से दूर ले जाकर वहां सावधानीपूर्वक लैंडिंग करने का प्रयास किया। इस प्रयास में उन्होंने सैकड़ों नागरिकों की जान बचाई, लेकिन खुद वीरगति को प्राप्त हो गए।
“ऐसे वीर सपूत ही भारत की असली पहचान होते हैं। उनका बलिदान हमें यह सिखाता है कि राष्ट्रसेवा केवल एक कर्तव्य नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार होती है,” — मंत्री राव ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा।
वीरों की धरती का गौरव: सिद्धार्थ की शहादत एक प्रेरणा
रेवाड़ी और इसके आसपास का इलाका शुरू से ही अपने साहसी सपूतों के लिए जाना जाता रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सिद्धार्थ ने उसी गौरवशाली परंपरा को निभाया है, जिसे यह भूमि सदियों से संजोए हुए है।
उन्होंने कहा, “शहीद सिद्धार्थ यादव की गाथा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। उनका बलिदान अमर रहेगा। हरियाणा सरकार शहीद परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।”
शहीद परिवार की मांगों को मिलेगा पूरा सम्मान
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि परिजनों द्वारा उठाई गई सभी मांगों को सरकार के समक्ष रखा जाएगा और उनके समाधान के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि शहीद परिवारों का सम्मान केवल संवेदना नहीं, बल्कि कर्तव्य का विषय है।
मंत्री के साथ रेवाड़ी प्रशासन, सेना के अधिकारी, समाजसेवी और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी उपस्थित रहे। पूरे क्षेत्र में शोक की लहर के साथ-साथ गर्व का भाव भी स्पष्ट रूप से देखा गया।
जब मंत्री शहीद के घर पहुंचीं, तो आसपास के नागरिकों ने “सिद्धार्थ अमर रहें” के नारों के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी। युवाओं में उनके जैसा बनने की प्रेरणा साफ झलक रही थी। बुजुर्गों की आंखों में गर्व के आँसू थे, और बच्चों के मन में हीरो की तस्वीर उभर रही थी।