चंडीगढ़, 14 मई: कनाडा की राजनीति में एक बड़ा और निर्णायक बदलाव सामने आया है। नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के नेतृत्व में गठित हुई नई कैबिनेट में भारतीय मूल की अनीता आनंद को कनाडा की विदेश मंत्री नियुक्त किया गया है। यह एक ऐसा निर्णय है जो न केवल कनाडा के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव लाता है, बल्कि भारत-कनाडा के रिश्तों में भी एक नई सकारात्मक ऊर्जा भरने की संभावना उत्पन्न करता है।
कनाडा की पूर्व विदेश मंत्री मेलानी जोली की जगह लेने वाली अनीता आनंद अब वैश्विक मंचों पर कनाडा की विदेश नीति को दिशा देंगी। इस बड़े बदलाव के बाद भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भी अनीता को बधाई देते हुए कहा, “विदेश मंत्री बनने पर @AnitaAnandMP को हार्दिक बधाई।” यह शुभकामना संबंधों की गर्मजोशी और संभावनाओं का संकेत है।
कनाडा की नई राजनीतिक संरचना: पुरानी टीम का नया रूप
प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने सत्ता संभालते ही अपने प्रशासनिक दृष्टिकोण को स्पष्ट किया है। उन्होंने जस्टिन ट्रूडो की 39 सदस्यों वाली पिछली कैबिनेट को घटाकर 29 मंत्रियों की एक नई और चुस्त टीम तैयार की है, जिसमें विविधता, दक्षता और भविष्य की चुनौतियों से निपटने की क्षमता को प्राथमिकता दी गई है।
इस नवनिर्मित कैबिनेट में अनीता आनंद को विदेश मंत्रालय जैसे रणनीतिक और संवेदनशील विभाग की जिम्मेदारी सौंपे जाने को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह न सिर्फ उनकी योग्यता और अनुभव को सम्मान देने का प्रतीक है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कनाडा की छवि को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने की तैयारी भी है।
कौन हैं अनीता आनंद?
अनीता आनंद सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी हैं। वे एक प्रख्यात वकील, प्रोफेसर, शोधकर्ता और अब एक प्रभावशाली वैश्विक राजनेता हैं।
-
उनका जन्म कनाडा के नोवा स्कोटिया में हुआ, परंतु उनका पारिवारिक मूल पंजाब से जुड़ा हुआ है।
-
उनके पिता एस.वी. आनंद एक जनरल सर्जन थे और मां सरोज राम एक एनेस्थीसियोलॉजिस्ट थीं।
-
वे 1985 में ओंटारियो आ गईं और यहीं उन्होंने शिक्षा और करियर की ऊंचाइयों को छुआ।
शिक्षा और शैक्षणिक उत्कृष्टता:
-
क्वीन्स यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल स्टडीज़ में ऑनर्स
-
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से जुरिसप्रूडेंस में ऑनर्स
-
डालहौजी यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ लॉज़
-
टोरंटो यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ लॉज़
उनकी शिक्षा का यह विस्तृत और वैश्विक अनुभव उन्हें एक विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो विदेश मंत्री जैसे पद के लिए बेहद उपयोगी है।
राजनीतिक सफर:
-
अनीता आनंद ने 2019 में पहली बार ओकविल निर्वाचन क्षेत्र से संसद का चुनाव जीता।
-
2021 में वे दोबारा चुनकर आईं और उन्होंने रक्षा मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
-
कोविड-19 महामारी के दौरान वैक्सीनेशन और स्वास्थ्य आपूर्ति से संबंधित निर्णयों में उनकी भूमिका को सराहा गया।
उनकी कार्यशैली में पारदर्शिता, नीतिगत स्पष्टता और जमीनी हकीकत से जुड़ाव हमेशा प्रमुख रहा है।
विदेश मंत्री के रूप में उनकी नई भूमिका के मायने
अनीता आनंद की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक कूटनीति नई चुनौतियों और पुनर्संरचना की ओर बढ़ रही है। कनाडा को वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मुद्दों से निपटना है—जैसे:
-
जलवायु परिवर्तन
-
वैश्विक व्यापार सहयोग
-
सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारियाँ
-
भारत, अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों के साथ संतुलित संबंध
इन सभी मोर्चों पर अनीता आनंद की नेतृत्व क्षमता को एक नई दृष्टि से देखा जा रहा है।
भारत-कनाडा संबंधों पर संभावित असर
कनाडा और भारत के बीच पिछले कुछ वर्षों में संबंधों में कुछ खटास आई थी। हालांकि दोनों देश आर्थिक, सांस्कृतिक और सामरिक रूप से एक-दूसरे के महत्वपूर्ण साझेदार हैं।
अनीता आनंद की भारतीय पृष्ठभूमि और उनकी गहरी समझ इस रिश्ते को फिर से सकारात्मक दिशा में मोड़ने का अवसर बन सकती है। भारत में उन्हें एक ‘भारतीय मूल की बेटी’ के रूप में देखा जाता है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि वे दोनों देशों के बीच संवाद को मजबूत करेंगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि उनके विदेश मंत्री बनने से आपसी बातचीत, व्यापारिक सहयोग और भारतीय प्रवासी समुदाय के हितों को और मजबूती मिलेगी।