चंडीगढ़, 18 जून: 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए भयावह एयर इंडिया विमान हादसे ने न केवल यात्रियों और उनके परिवारों की जिंदगी को हिला दिया, बल्कि अब यह मामला अंतरराष्ट्रीय कानूनी कार्रवाई की ओर बढ़ता नजर आ रहा है। हादसे में जान गंवाने वाले 274 लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की प्रक्रिया जहां शुरू हो चुकी है, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में एयर इंडिया और विमान निर्माता बोइंग दोनों पर भारी कानूनी दबाव बढ़ सकता है।
यूके और अमेरिका में हो सकती है कार्रवाई: “अनलिमिटेड” जुर्माने की आशंका
यूनाइटेड किंगडम के कुछ वैमानिक कानून विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि यदि यह साबित होता है कि हादसे में एयरलाइन या बोइंग की लापरवाही थी, तो उनके खिलाफ असीमित जुर्माने (“अनलिमिटेड डैमेज”) की सिफारिश की जा सकती है।
इसका मतलब है कि एयर इंडिया को सिर्फ बीमा के तहत नहीं, बल्कि उससे कई गुना अधिक मुआवजा अदा करना पड़ सकता है। यह मामला अब केवल भारतीय न्यायिक दायरे तक सीमित नहीं रहेगा, क्योंकि हादसे में कई विदेशी नागरिकों की भी जान गई है, और वे अपने-अपने देशों में मुआवजा दावे दायर कर सकते हैं।
बीमा सीमा से अधिक हो सकता है दावों का बोझ
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एयर इंडिया का बीमा कवरेज: 1.5 अरब डॉलर
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बीमा किया गया लंदन के अंतरराष्ट्रीय बीमा बाजार से
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लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, यदि लापरवाही सिद्ध होती है, तो क्लेम की राशि इस बीमा सीमा को भी पार कर सकती है
यह आर्थिक दबाव एयर इंडिया के वित्तीय ढांचे को भी प्रभावित कर सकता है, खासकर ऐसे समय में जब कंपनी हाल ही में अपने अंतरराष्ट्रीय विस्तार की योजनाएं बना रही थी।
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत एयरलाइन की जिम्मेदारी तय
अंतरराष्ट्रीय विमानन संधि मॉन्ट्रियल कन्वेंशन (1999) के अनुसार:
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हादसे में मौत या गंभीर चोट के मामलों में 151,800 स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDR) तक मुआवजा अनिवार्य रूप से देना होता है
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SDR की मौजूदा दर के अनुसार यह राशि ₹1.82 करोड़ प्रति व्यक्ति से अधिक बनती है
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यह मुआवजा एयरलाइन की लापरवाही सिद्ध हुए बिना भी देना होता है
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अगर गलती या लापरवाही प्रमाणित होती है, तो इसके ऊपर अतिरिक्त मुआवजे की मांग भी वैध होती है
12 जून की दुखद त्रासदी: 274 लोगों की गई जान
इस भयावह हादसे में:
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241 यात्री और क्रू सदस्य विमान में सवार थे, सभी की मौत हो गई
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33 लोग जमीन पर भी इस दुर्घटना की चपेट में आ गए और जान गंवा बैठे
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एयर इंडिया ने शुरू में ₹1 करोड़ प्रति मृतक परिजन को मुआवजा देने की घोषणा की है
DGCA की रिपोर्ट और बोइंग को दी गई क्लीन चिट
भारत के नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में:
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विमान के डिजाइन या निर्माण में कोई तकनीकी दोष नहीं पाया
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लेकिन एयर इंडिया की रखरखाव व्यवस्था और हैंडलिंग प्रोसेस पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं
हालांकि, अगर भविष्य की जांचों में यह सामने आता है कि बोइंग 787 के किसी खास तकनीकी खामी के कारण यह हादसा हुआ, तो बोइंग कंपनी पर अमेरिका और ब्रिटेन की अदालतों में भी केस चल सकते हैं — और उन्हें भी असीमित देनदारी झेलनी पड़ सकती है।
अंतरराष्ट्रीय जांच की भी शुरुआत
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यूके की Keystone Law और अमेरिका की Wisner Law Firm ने इस हादसे की स्वतंत्र जांच शुरू कर दी है
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Wisner Law वही संस्था है जिसने 2020 के कोझिकोड एयर इंडिया एक्सप्रेस हादसे में भी पीड़ितों की पैरवी की थी
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पीड़ित परिवारों के पास विकल्प है कि वे अपने-अपने देशों में भी मुआवजा याचिकाएं दाखिल करें
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यूके की अदालतें हर मामले में व्यक्ति की उम्र, आय, आश्रितों और सामाजिक-आर्थिक स्थिति को देखकर मुआवजा तय करती हैं
क्या कहता है विशेषज्ञों का आंकलन?
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एयर इंडिया की वित्तीय सेहत और अंतरराष्ट्रीय छवि दोनों पर लंबे समय तक असर पड़ सकता है
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बोइंग जैसी वैश्विक कंपनी की साख पर भी असर डाल सकता है अगर तकनीकी दोष की पुष्टि होती है
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यह हादसा वैश्विक विमानन सुरक्षा मानकों को लेकर नई बहस को जन्म दे सकता है