AERO इंडिया 2025 में नहीं दिखेगा अमेरिकी F-35, क्या रूस का सुखोई-57 बना वजह?

AERO India 2025 News
AERO India 2025 News – बेंगलुरु में होने वाले एयरो इंडिया शो 2025 में अमेरिकी लड़ाकू विमान F-35 और F-16 हिस्सा नहीं लेंगे।
अमेरिकी वायुसेना ने अपने इन अत्याधुनिक फाइटर जेट्स को प्रदर्शनी में शामिल नहीं करने का फैसला लिया है,
जिससे रक्षा विशेषज्ञों और विश्लेषकों में कई सवाल खड़े हो गए हैं।

AERO India 2025 News  – क्या है मामला?

10 से 14 फरवरी 2025 तक बेंगलुरु के येलहंका एयरबेस पर एयरो इंडिया शो आयोजित होने वाला है।
इस शो को एशिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस प्रदर्शनी माना जाता है,
जिसमें दुनियाभर की सेनाएं और रक्षा कंपनियां अपनी उन्नत सैन्य तकनीकों का प्रदर्शन करती हैं।
शुरुआत में उम्मीद थी कि अमेरिका अपने F-35 लाइटनिंग II और अपग्रेडेड F-16 लड़ाकू विमानों को इस शो में उतारेगा।
लेकिन अब अमेरिका ने अपने इन विमानों को न भेजने का फैसला लिया है।

AERO India 2025 News  – क्या रूस का सुखोई-57 है वजह?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस इस शो में अपना 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट सुखोई-57 प्रदर्शित कर सकता है।
इस विमान को लेकर कहा जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत को इसका ऑफर दे सकते हैं।
यह वही फाइटर जेट है, जिसे रूस अमेरिका के F-35 और चीन के J-20 का जवाब मानता है।
ऐसे में अनुमान लगाए जा रहे हैं कि अमेरिका ने इस मुकाबले से बचने के लिए अपने विमान नहीं भेजने का फैसला किया है।

AERO India 2025 News  – भारत को सुखोई-57 बेचने की तैयारी में रूस?

भारत लंबे समय से 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की जरूरत महसूस कर रहा है।
तेजस मार्क-2 और AMCA प्रोजेक्ट अब भी विकास के चरण में हैं,
जिससे भारतीय वायुसेना को जल्द ही ऐसे उन्नत विमानों की जरूरत पड़ सकती है।
रूस इस मौके को भुनाने की कोशिश कर सकता है और भारत को सुखोई-57 की पेशकश कर सकता है।
इससे पहले, रूस ने नवंबर 2024 में चीन के झुहाई एयरशो में सुखोई-57 का प्रदर्शन किया था।

अमेरिका के फैसले से क्यों हैरान हैं विश्लेषक?

अब तक अमेरिकी वायुसेना एयरो इंडिया शो में अपनी बड़ी उपस्थिति दर्ज कराती रही है।
लेकिन इस बार F-35 के शामिल न होने से रक्षा विश्लेषकों को झटका लगा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे सैन्य शो में विभिन्न देशों की वायुसेनाओं के बीच तकनीकी आदान-प्रदान का अवसर मिलता है।

क्या भारत अमेरिका और रूस दोनों से विमानों की खरीद करेगा?

भारत दशकों से रूसी फाइटर जेट्स (मिग और सुखोई सीरीज) का सबसे बड़ा खरीदार रहा है।
लेकिन हाल के वर्षों में भारत ने फ्रांस (राफेल) और अमेरिका (F-18, F-15EX) जैसे देशों से भी रक्षा सौदे बढ़ाए हैं।
– भारतीय नौसेना के लिए F/A-18 सुपर हॉर्नेट पर विचार किया जा रहा है।
– वायुसेना के लिए अमेरिका के F-15EX और फ्रांस के राफेल-M का भी परीक्षण किया गया था।
– अब रूस के सुखोई-57 को भारत के संभावित लड़ाकू जेट विकल्पों में देखा जा रहा है।

क्या भारत को सुखोई-57 खरीदना चाहिए?

भारत को सुखोई-57 खरीदने से पहले कुछ बातों पर विचार करना होगा:
– तकनीकी क्षमता – सुखोई-57 को रूस ने 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर बताया है,
लेकिन अभी तक इसका व्यापक उत्पादन नहीं हुआ है।
– भारत की आत्मनिर्भरता – भारत AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) विकसित कर रहा है,
जिससे वह भविष्य में खुद 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट बना सके।
– रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव – मौजूदा युद्ध के चलते रूस पर आर्थिक और तकनीकी प्रतिबंध लगे हैं,
जिससे सुखोई-57 के उत्पादन और अपग्रेड में देरी हो सकती है।
अमेरिका द्वारा F-35 और F-16 को न भेजने का फैसला और रूस का संभावित सुखोई-57 ऑफर, एयरो इंडिया 2025 को और रोमांचक बना सकता है।
भारत को अब तय करना होगा कि वह रूसी तकनीक पर भरोसा करता है या अपने स्वदेशी तेजस और AMCA प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता देता है।