तलाक के बाद का हिसाब-किताब? जानिये सुप्रीम कोर्ट के बताए ये 8 दमदार Guidelines!

Supreme Court guidelines
Supreme Court guidelines – सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मामलों में स्थायी गुजारा भत्ता (Permanent Alimony) तय करने के लिए 8 अहम बातें बताई हैं। ये फैसला एक टेक प्रोफेशनल की मौत के मामले के बाद आया है, जिसमें उसने अपनी पत्नी और ससुराल पर उगाही का आरोप लगाया था। कोर्ट ने कहा कि इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए गुजारा भत्ता तय करना चाहिए ताकि दोनों पक्षों के साथ न्याय हो।

ये हैं सुप्रीम कोर्ट के 8 गाइडलाइन्स :

1. दोनों पक्षों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति: पति-पत्नी का समाज में रुतबा और उनकी आर्थिक पृष्ठभूमि।
2.पत्नी और बच्चों की जरूरतें: खासकर बच्चों की पढ़ाई और उनकी परवरिश।
3.दोनों पक्षों की योग्यता और रोजगार स्थिति: नौकरी या आय का स्रोत और क्षमता।
4.आवेदक की स्वतंत्र आय या संपत्ति: पत्नी के पास पहले से कोई जायदाद या आय।
5.विवाह के दौरान पत्नी का जीवन स्तर: शादी के दौरान जो लाइफस्टाइल पत्नी जीती थी।
6.परिवार के लिए किए गए त्याग: करियर या व्यक्तिगत विकास में हुई कुर्बानियां।
7.कानूनी खर्चों का हिसाब: खासकर गैर-कामकाजी पत्नी के लिए।
8.पति की आर्थिक क्षमता: पति की कुल आमदनी और वित्तीय स्थिति।

Supreme Court guidelines – सुप्रीम कोर्ट का मकसद

इस फैसले का मकसद तलाक के मामलों में आर्थिक विवादों को न्यायसंगत और संतुलित तरीके से सुलझाना है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ये मापदंड इस बात को सुनिश्चित करेंगे
कि तलाक के दौरान किसी भी पक्ष के साथ अन्याय न हो और मुआवजा निष्पक्ष तरीके से तय हो।
कोर्ट ने साफ किया है कि फैसला न सिर्फ आर्थिक बल्कि सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी सही होना चाहिए।
अब अदालतें इन बिंदुओं के आधार पर ही गुजारा भत्ता तय करेंगी,
ताकि दोनों पक्षों के साथ इंसाफ हो सके।