हरियाणा के मुख्य सचिव श्री टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने बताया कि राज्य सरकार ने आतिथ्य सुविधाओं के लिए स्वैच्छिक आधार पर स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है। यह प्रणाली उन्हें “सुरक्षित तौर पर प्रबंधित स्वच्छता” को बढ़ावा देने वाली प्रथाओं का पालन करने और स्टार-रेटिंग प्रणाली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इसके लक्ष्य समूह में सभी तरह की सार्वजनिक और निजी पर्यटक सुविधाएं शामिल हैं, जिसमें होटल, होम स्टे, धर्मशालाएं, लॉन्ज, पोर्टेबल शौचालय सुविधाएं या ट्रैकिंग समूह सहित शिविर भी शामिल हैं।
उन्होंने इस अधिकार का वर्णन करते हुए कहा कि स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग प्रणाली ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) प्लस का दर्जा प्राप्त करने के साथ-साथ स्वच्छता और सफाई के प्रोत्साहक के रूप में आतिथ्य संस्थाओं के लिए एक सकारात्मक छवि और ब्रांडिंग बनाने के लिए डिजाइन की गई है।
उन्होंने जानकारी दी कि सार्वजनिक और निजी पर्यटक सुविधाओं में आम जनता, विशेषकर पर्यटकों के लिए साफ-सफाई सुनिश्चित करने के लिए सड़क के साथ लगती सुविधाओं और सड़क के साथ अपशिष्ट निपटान के निर्माण के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा।
अधिकारी ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए प्रत्येक जिले में एक ढाबा और एक पेट्रोल पंप को पायलट आधार पर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के माध्यम से स्वच्छता ग्रीन लीफ कार्यकर्ता के रूप में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग प्रणाली के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए, एक त्रि-स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति, उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति और एस.डी.एम. की अध्यक्षता वाली सत्यापन उप-समिति शामिल हैं।
उपाध्यक्ष डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा पर्यटन मंत्रालय के साथ मिलकर देश की आतिथ्य सुविधाओं में स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग प्रणाली शुरू की गई है।
इस प्रणाली के तहत, सभी सार्वजनिक शौचालयों की मैपिंग की जाएगी ताकि लोगों को इस सुविधा का उपयोग करने में आसानी हो।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि आतिथ्य सुविधा को रैंकिंग देने के लिए तीन केंद्रित थीम हैं, जिनमें सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, फेकल स्लज मैनेजमेंट (मानव मल का प्रबंधन) और ग्रे वाटर मैनेजमेंट शामिल हैं। बैठक में धरोहर एवं पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती कला रामचंद्रन, ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक श्री जय कृष्ण अभीर तथा पर्यटन विभाग के निदेशक श्री प्रभजोत सिंह समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।