क्या है भारत का ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल ? क्या है इसके फायदे !

One Nation

One Nation One Election  – दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत लगभग हमेशा चुनावी माहौल में रहता है।

28 राज्यों, आठ केंद्र शासित प्रदेशों और लगभग एक अरब योग्य मतदाताओं के साथ, चुनाव देश की विशेषता है।

जिसमें संसद सदस्यों को चुनने के लिए आम चुनाव होते हैं, विधायकों को चुनने के लिए राज्य चुनाव होते हैं,

जबकि ग्रामीण और शहरी परिषदों में स्थानीय शासन के लिए अलग-अलग वोट होते हैं।

प्रतिनिधियों के इस्तीफे, मृत्यु या अयोग्यता के कारण उनकी खाली जगह को भरने के लिए उपचुनाव होते हैं।

इतने चुनावों को देखते हुए अब ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ नाम का बिल पेश किया गया है।

क्या है ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल, (One Nation One Election ) क्यों है भारत को इसकी ज़रूरत ?

इन दिनों ये सवाल काफी चर्चा में है की क्या है ये ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल और साथ ही क्यों है भारत को इसकी ज़रूरत।

चलिए आपको बताते है कि क्या है पूरा मामला, मार्च में कोविंद के नेतृत्व में एक पैनल ने अपनी 18,626 पन्नों की एक रिपोर्ट में राज्य और आम चुनाव को एक साथ करवाने का प्रस्ताव रखा था।

साथ ही इसमें 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव करवाने की भी सिफारिश की गई।

समिति ने सुझाव दिया कि अगर कोई सरकार चुनाव हार जाती है, तो नए चुनाव कराए जाएंगे, लेकिन इसका कार्यकाल अगले चुनाव तक ही रहेगा।

हालांकि यह बहुत मुश्किल लग रहा है, लेकिन भारत में एक साथ चुनाव कराना कोई नई बात नहीं है।

1951 में पहले चुनाव से लेकर 1967 तक यह एक आम बात थी,

जब राजनीतिक उथल-पुथल और राज्य विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण अलग-अलग चुनाव हुए।

लेकिन यह क्यों जरुरी है ?

1. पैसे की बचत – इसका सबसे बड़ा कारण है पैसे की बचत।

2019 में भारत ने आम चुनाव पर 600 अरब रुपये खर्च किए थे, जो उस समय दुनिया का सबसे महंगा चुनाव बन गया था।

2. समय की बचत – इसका दूसरा कारण है समय की बचत।

जिसके कारण अलग अलग चुनावों में लगने वाला समय सिर्फ एक में चुनाव में लगेगा।

बता दें कि भारत में लगभग 90 करोड़ लोग वोट देने के लिए योग्य हैं।

इसके लिए बड़ी संख्या में वोटिंग मशीन, सुरक्षा और चुनावी अधिकारी चाहिए।

अगर एक साथ चुनाव कराने का फैसला हुआ, तो इन मशीनों की खरीद और चुनावी तैयारी में लगने वाला पैसा और समय दोनों की बचत की जा सकती है।

कानून और न्याय मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पहले ही चुनावों पर हर साल 45 अरब रुपये खर्च करता है।

अगर एक साथ चुनाव कराए जाते हैं, तो नई वोटिंग मशीनों के लिए 93 अरब रुपये और खर्च करने होंगे!

कई दलों ने इस बिल को लेकर चिंता जताई है, लेकिन कई इसका समर्थन भी कर रहे है।

प्रधानमंत्री मोदी की बात करें तो उन्होंने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है।

उन्होंने अगस्त में कहा था, “बार-बार चुनाव कराने से देश की प्रगति में बाधा आ रही है।”

“हर तीन से छह महीने में चुनाव होने के कारण, हर योजना चुनावों से जुड़ी हुई है।”

क्या आपको लगता है कि भारत में एक साथ चुनाव हो पाएगा ? आपका इस मुद्दे पर क्या कहना है?