न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार, स्पीच डिसऑर्डर और सेरेब्रल पाल्सी जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे बच्चों के लिए हर्बल और फ्लॉवर चिकित्सा एक नई राह दिखा रही है। गुरु नानक फाउंडेशन के Dr. Jaswinder Singh ने शिमला में आयोजित प्रेसवार्ता में इस चिकित्सा पद्धति की सफलता और इसकी जरूरत पर प्रकाश डाला।
डॉ. जसविंदर ने बताया कि उनके जालंधर स्थित केंद्र में यह इलाज नि:शुल्क उपलब्ध है और यह विशेष रूप से उन बच्चों के लिए कारगर साबित हो रहा है,
जो जन्मजात समस्याओं या अत्यधिक स्क्रीन टाइम के कारण इन विकारों से पीड़ित हैं।
उन्होंने कहा, “एलोपैथी में जहां कई असाध्य रोगों का उपचार संभव नहीं है,
वहां हर्बल चिकित्सा एक आशा की किरण बनकर उभर रही है।”
एम्स मोहाली की चौंकाने वाली रिपोर्ट
डॉ. जसविंदर ने एम्स मोहाली की हालिया स्टडी का हवाला देते हुए बताया
कि एक दिन में 58 मिनट या उससे अधिक स्क्रीन टाइम वाले बच्चे बोलने में देरी,
चिड़चिड़े व्यवहार और कार्टून कैरेक्टर जैसी हरकतें करने लगते हैं।
साथ ही, उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि ग्रामीण,
शहरी और आदिवासी इलाकों के 28,070 बच्चों में से 43 बच्चे ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार से ग्रसित पाए गए,
जिससे यह स्पष्ट है कि यह समस्या अब गांवों तक पहुंच चुकी है।
Dr. Jaswinder Singh – हर्बल और फ्लॉवर चिकित्सा की ताकत
डॉ. जसविंदर सिंह के अनुसार, हर्बल और फ्लॉवर चिकित्सा मस्तिष्क को सक्रिय करने में मदद करती है।
उन्होंने बताया कि सेरेब्रल पाल्सी जैसे मामलों में यह उपचार खासतौर पर प्रभावी साबित हो रहा है।
गर्भावस्था के दौरान मस्तिष्क डैमेज होने से पैदा होने वाली इस समस्या का इलाज करने के लिए वह विशेष प्रकार की दवाइयां देते हैं, जो धीरे-धीरे मस्तिष्क को सक्रिय करती हैं।
सफल केस स्टडीज
केस 1:
शिमला की साढ़े चार साल की वेदिका ऑटिज़्म से पीड़ित थी और कई अस्पतालों में इलाज के बावजूद सुधार नहीं हुआ।
डॉ. जसविंदर से इलाज शुरू करने के बाद केवल दो बार के उपचार में ही उसकी स्थिति में सुधार दिखा।
अब वह बोलने लगी है और उसकी गतिविधियों में भी सकारात्मक बदलाव आया है।
केस 2:
चंबा के संजय कुमार के बच्चे को पिछले चार साल से ऑटिज़्म था।
अन्य उपचार पद्धतियों से लाभ न मिलने पर उन्होंने हर्बल चिकित्सा शुरू की।
सिर्फ तीन महीने के इलाज के बाद ही बच्चे की हालत में काफी सुधार हुआ।
भारत में बढ़ता ऑटिज़्म का संकट
इंडियन पीडियाट्रिक जर्नल के अनुसार, भारत में हर 68 में से एक बच्चा ऑटिज़्म से प्रभावित है, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।
डॉ. जसविंदर ने कहा कि इस विषय पर गंभीरता से ध्यान देने और सबूत आधारित शोध की आवश्यकता है।
Dr. Jaswinder Singh को मिली राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पहचान
डॉ. जसविंदर सिंह को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए नेशनल हेल्थकेयर अवार्ड, मेंटल हेल्थ एंड वेलनेस एक्सीलेंस अवार्ड, और इंडियन सीएसआर अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
उन्होंने हर्बल चिकित्सा के जरिए सेरेब्रल पाल्सी, ऑटिज़्म, और स्पीच डिसऑर्डर जैसे विकारों के इलाज में विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
जरूरतमंदों के लिए उम्मीद की किरण
डॉ. जसविंदर का मानना है कि जागरूकता और सही उपचार पद्धति के जरिए इन गंभीर विकारों से पीड़ित बच्चों को सामान्य जीवन जीने का अवसर दिया जा सकता है।
उन्होंने हर्बल और फ्लॉवर चिकित्सा को विज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए इस पर अधिक शोध और जागरूकता की जरूरत पर बल दिया।