ब्रह्मसरोवर के घाटों पर विविध लोक संस्कृतियों का धमाल, पर्यटकों का मनमोहक अनुभव

International Gita Mahotsav

कच्ची घोड़ी और बाजीगर ने भी किया आकर्षक प्रदर्शन– कुरुक्षेत्र में चल रहे International Gita Mahotsav 2024 के तहत ब्रह्मसरोवर के घाटों पर विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृतियों ने जोरदार प्रदर्शन किया है।

इन कलाकारों ने अपनी-अपनी पारंपरिक कला और नृत्य शैली से घाटों को रंगीन बना दिया है,

जिससे पर्यटकों को एक शानदार अनुभव मिल रहा है।

ब्रह्मसरोवर की हवादार फिजा में अलग-अलग राज्यों की लोक संस्कृति का समागम हो गया है।

International Gita Mahotsav : राज्यों के लोक कलाकार अपनी कला का जादू दिखा रहे

उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र, पटियाला द्वारा प्रस्तुत इन विशेष प्रदर्शनियों में विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपनी कला का जादू दिखा रहे हैं।

कला केंद्र के अधिकारी जरनैल सिंह ने बताया कि एनजेडसीसी द्वारा आमंत्रित इन कलाकारों में हिमाचल प्रदेश के कलाकार पूजा और घट नृत्य,

जम्मू-कश्मीर के कलाकार धमाली नृत्य व देकू भद्रवाही कुड, पंजाब के झूमर व मलवाई गिद्दा, राजस्थान के चारी,

उत्तराखंड के पांडव नृत्य, मध्य प्रदेश के गंगौर और पांथी नृत्य, झारखंड के पायका नृत्य,

उड़ीसा के संभालपुरी नृत्य, और राजस्थान के कच्ची घोड़ी नृत्य सहित कई अन्य प्रस्तुतियाँ शामिल हैं।

रीति-रिवाजों को भी बहुत ही सुंदर तरीके से प्रदर्शित किया

इन कलाकारों ने न केवल अपनी कला का प्रदर्शन किया,

बल्कि अपने प्रदेश की संस्कृति और रीति-रिवाजों को भी बहुत ही सुंदर तरीके से प्रदर्शित किया।

इन नृत्यों के माध्यम से विभिन्न राज्यों की लोक गायन कला और पारंपरिक गीतों ने महोत्सव में रंग भर दिया।

जरनैल सिंह ने यह भी बताया कि एनजेडसीसी के द्वारा आमंत्रित ये कलाकार 15 दिसंबर तक अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे।

इन प्रस्तुतियों में जम्मू कश्मीर का कुड और राउफ नृत्य, पंजाब का भांगड़ा और जिंदवा, हिमाचल प्रदेश का सिरमौरी नाटी,

उत्तराखंड का छपेली/घसीयारी नृत्य, राजस्थान का सावंरिया सवांग, गुजरात का सिद्दी धमाल, उत्तर प्रदेश के बरसाना की होली,

छत्तीसगढ़ का पांडवानी गायन, मणिपुर का लाई हरोबा और मणिपुरी रास, झारखंड का पुरलिया छाउ,

उड़ीसा का गोटी पुआ नृत्य और राजस्थान के कच्ची घोड़ी, बाजीगर, बहरुपिए आदि के शानदार नृत्य देखने को मिलेंगे।

इस महोत्सव ने ब्रह्मसरोवर को एक सांस्कृतिक हब बना दिया है,

जहाँ एक साथ विभिन्न प्रदेशों की समृद्ध संस्कृति का दर्शन हो रहा है।