हरियाणा में डीएपी खाद की किल्लत: बीजेपी का किसान विरोधी खेल या कृषि संकट की आहट?

इनेलो के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने हरियाणा में डीएपी खाद की कृत्रिम कमी को लेकर बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है और किसान विरोधी कदम उठा रही है। चौटाला ने कहा, “बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि किसान को अपनी फसल एमएसपी से कम दाम में बेचनी पड़ रही है और खाद, बीज और दवाईयां ब्लैक में खरीदनी पड़ रही हैं।”

चौटाला ने यह भी बताया कि हरियाणा में रबी सीजन शुरू होते ही डीएपी उर्वरक की कमी जानबूझकर बनाई गई है। हरियाणा में लगभग 25 लाख हेक्टेयर भूमि पर गेहूं और 7 लाख हेक्टेयर भूमि पर सरसों की खेती होती है, जिसके लिए 2.5 लाख मीट्रिक टन डीएपी खाद की जरूरत होती है। लेकिन 3 नवंबर तक केवल 1.15 लाख मीट्रिक टन डीएपी खाद ही वितरित किया गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार किसानों को प्रताड़ित करने, उन्हें लाइन में खड़ा रखने और उनके आर्थिक नुकसान के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। “सरकारी संरक्षण में लोग डीएपी का बैग ब्लैक में बेच रहे हैं, और मुख्यमंत्री यह दावा कर रहे हैं कि डीएपी खाद की कोई कमी नहीं है,” चौटाला ने कहा।

अभय सिंह चौटाला ने बताया कि खाद के बैग का वजन कम कर दिया गया है और कीमतें बढ़ाई गई हैं। उन्होंने कहा, “आज हालत यह है कि खाद ब्लैक में खरीदने के लिए कोई कमी नहीं है, लेकिन किसानों को यह आसानी से नहीं मिल रहा है।” इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि खाद डीलर किसानों को डीएपी के साथ नैनो यूरिया, बायो डीकंपोजर और बायो डीएपी जैसे बेकार खाद जबरदस्ती बेच रहे हैं, जो वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसित नहीं हैं।

किसानों को थानों में लंबी कतारों में लगकर खाद लेनी पड़ रही है, और उन्हें पुलिस की लाठियां भी खानी पड़ रही हैं। चौटाला ने कहा, “बीजेपी सरकार का पूरा ध्यान प्राइवेट कंपनियों को लाभ पहुंचाने और किसानों को बर्बाद करने पर है।”

उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार द्वारा जानबूझकर बनाई गई डीएपी खाद की कमी न केवल किसानों के लिए, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा साबित होगी। “यह कदम राष्ट्र और किसान विरोधी है, जिससे फसलों की पैदावार में कमी आएगी और देश की खाद्य सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा,” चौटाला ने कहा।

हरियाणा के किसान इस समय कठिनाई का सामना कर रहे हैं, और सरकार के खिलाफ उनकी आवाजें उठ रही हैं। यह स्थिति एक गंभीर चिंतन का विषय है और किसानों के भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा बन गई है।